(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, प्रश्नपत्र 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।)
संदर्भ
जेफ बेज़ोस ने विगत माह अंतरिक्ष कार्यक्रम की घोषणा की थी। उसके पश्चात् बिल गेट्स ने अपने स्वयं के परमाणु रिएक्टर को लॉन्च करने का महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया, जिसे ‘फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों’ के द्वारा विद्युत की कमी से जूझ रहे राष्ट्रों को निर्यात करने की संभावनाओं के रूप में देखा जा रहा है।
कारण
- जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये इसे एक प्रमुख कदम माना जा रहा है।
- सभी भारी उद्योगों एवं प्रदूषणकारी उद्योगों को अंतरिक्ष में स्थानांतरित करके पृथ्वी को स्वच्छ रखने की योजना है।
- वैश्विक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये स्वच्छ ऊर्जा के रूप में परमाणु ऊर्जा के महत्त्व को स्वीकार करना है। हालाँकि, परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा और परमाणु हथियारों के प्रसार का जोखिम एक बढ़ती हुई चिंता है।
परमाणु ऊर्जा का भविष्य
- वर्ष 2007-08 में, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के तत्कालीन महानिदेशक, मोहम्मद अलबरदेई ने वर्ष 2020 और उसके पश्चात् परमाणु ऊर्जा के भविष्य के लिये एक समिति की स्थापना की थी।
- समिति ने कहा कि विश्व अपने सातवें परमाणु दशक में प्रवेश कर रहा है तथा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के पास अवसर और चुनौतियाँ दोनों ही हैं।
- परमाणु प्रौद्योगिकियों के विस्तारित उपयोग विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अपार संभावनाएँ प्रदान की हैं।
- वस्तुतः ऊर्जा माँगों को पूरा करने और जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने के लिये परमाणु ऊर्जा के विस्तार ने कई अवसर प्रदान किये हैं।
- रिपोर्ट में भविष्यवाणी की गई थी कि ‘परमाणु नवजागृति’ (Nuclear Renaissance) न केवल वैश्विक ऊर्जा समस्याओं का समाधान करेगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन को भी कम करेगा।
फुकुशिमा की घटना
- मार्च 2011 को जापान में फुकुशिमा दाइची दुर्घटना ने परमाणु ऊर्जा की स्थिति को पूरी तरह से परिवर्तित कर दिया।
- साथ ही, इससे न केवल जलवायु परिवर्तन, बल्कि आर्थिक विकास के लिये भी परमाणु ऊर्जा को तेज़ी से बढ़ाने की योजना को भी झटका लगा था।
- आई.ए.ई.ए. के लेख ‘फुकुशिमा के 10 वर्ष पश्चात् परमाणु ऊर्जा’ के अनुसार इस घटना के उपरांत वैश्विक समुदाय ने परमाणु सुरक्षा को मज़बूत करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया, जबकि कई देशों ने परमाणु ऊर्जा को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने का विकल्प चुना।
- रूस, चीन और भारत को छोड़कर परमाणु उद्योग ठप्प था। भारत में भी प्रस्तावित स्थानों पर परमाणु विरोधी आंदोलनों के कारण आयातित रिएक्टरों की स्थापना नहीं की जा सकी।
- भारत को अपने ऊर्जा उत्पादन में परमाणु ऊर्जा की भागीदारी बढ़ाने के लिये और अधिक स्वदेशी रिएक्टरों की तरफ जाना पड़ा।
जलवायु परिवर्तन
- परमाणु सुरक्षा को मज़बूत करने के गहन प्रयासों के पश्चात् और वैश्विक उष्मन के और अधिक स्पष्ट होने के साथ ही परमाणु ऊर्जा एक बार फिर से ‘जलवायु-अनुकूल ऊर्जा विकल्प’ के रूप में वैश्विक बहस में स्थान प्राप्त कर रहा है।
- जापान और जर्मनी जैसे देश ऊर्जा उत्पादन के लिये अपने रिएक्टरों को पुनः संचालित कर रहे हैं।
- ‘इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ (IPCC) और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) जैसे संगठन प्रमुख वैश्विक चुनौतियों से समाधान के लिये परमाणु ऊर्जा की क्षमता को चिह्नित करते हैं।
- हालाँकि, इस पर संशय बना हुआ है कि क्या इस स्वच्छ, विश्वसनीय और टिकाऊ स्रोत के रूप में यह अपनी पूरी क्षमता हासिल कर लेगी या नहीं।
- इसके अतिरिक्त, कुछ प्रमुख बाज़ारों में परमाणु ऊर्जा संबंधी एक अनुकूल नीति और वित्तपोषण ढाँचे का अभाव है, जो जलवायु परिवर्तन और सतत विकास में इसके योगदान को मान्यता देता हो।
बिल गेट्स की योजना
- गेट्स द्वारा स्थापित परमाणु कंपनी ‘टेरापावर’ ने निजी फंड के साथ एक समझौते की घोषणा की है, जिसमें वॉरेन बफेट और स्टेट ऑफ व्योमिंग शामिल हैं।
- टेरापावर ने घोषणा की है कि विस्फोटक प्लूटोनियम की बजाय 20 प्रतिशत U-235 से समृद्ध यूरेनियम के साथ नाट्रियम को ईंधन दिया जाएगा।
- चूँकि यह अमेरिकी ऊर्जा विभाग (DoE) की उन्नत छोटी मॉड्यूलर रिएक्टर परियोजना के अंतर्गत आता है, इसलिये विभाग इस वर्ष इस परियोजना को $80 मिलियन तक सब्सिडी देगा।
- डी.ओ.ई. और अन्य परमाणु ऊर्जा के समर्थक भी मानते हैं कि छोटे, मॉड्यूलर रिएक्टर सस्ते और सुरक्षित होंगे।
- साथ ही, विदेशी खरीदारों के लिये इतने आकर्षक होंगे कि वे अमेरिका के परमाणु उद्योग को पुनर्जीवित कर सकेंगे तथा अमेरिका को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा करने में सक्षम बनाएँगे।
- एक अन्य लाभ की परिकल्पना की गई है कि ‘फास्ट ब्रीडर रिएक्टर’ अमेरिकी सैन्य परमाणु आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये एक ठोस परमाणु औद्योगिक आधार प्रदान करेंगे।
परियोजना से संबंधित चिंताएँ
- ऐसे रिएक्टरों को विकसित करने से पहले के प्रयासों की विफलता के रूप निष्क्रिय यूरेनियम को प्लूटोनियम में बदलने का जोखिम और फिर प्लूटोनियम को ईंधन के रूप में प्रयोग करना।
- यह नए तेज़ रिएक्टरों को ईंधन देने के लिये अतिरिक्त प्लूटोनियम की ब्रीडिंग भी कर सकता है।
- सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि प्लूटोनियम एक परमाणु विस्फोटक है, जिसका इस्तेमाल बम विकसित करने के लिये किया जा सकता है।
- एक चिंता यह भी है कि वाणिज्यिक चैनलों के माध्यम से प्लूटोनियम की उपलब्धता खतरों से भरी होगी।
- वर्तमान में, केवल कुछ मुट्ठी भर देश ही 20 प्रतिशत समृद्ध यूरेनियम बना सकते हैं। आलोचकों का मानना है कि वैश्विक स्तर पर 20 प्रतिशत समृद्ध यूरेनियम बनाने की जल्दीबाजी होगी।
- ईरान में एक बिंदु से आगे परमाणु संवर्द्धन पर मुख्य आपत्ति इस तथ्य से उत्पन्न होती है कि इससे उनके लिये ‘हथियार ग्रेड यूरेनियम’ उपलब्ध होगा।
- फास्ट रिएक्टरों को प्राथमिकता देने का प्रमुख कारण प्लूटोनियम ब्रीडिंग क्षमता को हासिल करना है। निश्चित रूप से विदेशी ग्राहक यही चाहेंगे।
- जिस तरह से इसे ‘कॉन्फ़िगर’ किया जाएगा, उससे रिएक्टर भारी मात्रा में सामग्री का निर्माण और पुन: उपयोग करेगा, जिसे परमाणु विस्फोटक के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।
भारत और चीन पर ध्यान
- भारत के ‘फास्ट ब्रीडर रिएक्टर’ अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षण के अधीन नहीं है, जो भारत की परमाणु हथियार क्षमता को फीड करने के रूप में देखा जाता है।
- हाल में रिपोर्ट किया गया कि चीन दो और फास्ट रिएक्टरों का निर्माण कर रहा है, जिसने चीन के संभावित प्लूटोनियम उत्पादन के बारे में अंतर्राष्ट्रीय चिंताओं को भड़का दिया है।
- टेरापावर के विरोधियों का मानना है कि भारत और चीन फास्ट ब्रीडर रिएक्टर विकसित करने के उनके प्रयासों को प्रोत्साहित करेंगे ताकि वे गेट्स से खरीद सके।
- यह दावा कि तेज़ रिएक्टर ‘लाइट वाटर रिएक्टरों की तुलना में अधिक सुरक्षित हैं, तो यह दावा भी सवालों के घेरे में है।
- गौरतलब है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति गेराल्ड फोर्ड और जिमी कार्टर ने प्लूटोनियम-ईंधन वाले रिएक्टरों के व्यावसायीकरण को हतोत्साहित करने की नीति को अपनाया था।
- राष्ट्रपति फोर्ड ने घोषणा की थी कि अमेरिका प्लूटोनियम ईंधन पर निर्भरता और खर्च किये गए ईंधन से संबंधित पुनर्संसाधन का समर्थन नहीं करेगा, जब तक कि विश्व इससे संबंधित प्रसार के जोखिमों को प्रभावी ढंग से दूर नहीं करने में सक्षम नहीं हो जाता।
निष्कर्ष
यह भविष्यवाणी करना सही नहीं है कि मि. बेज़ोस के अंतरिक्ष साहसिक कार्य या मि. गेट्स के परमाणु उद्यम से अमेरिका और विश्व को फायदा होगा या नहीं। हालाँकि, आलोचकों का मानना है कि अरबपतियों के पास यह जानने के लिये ‘सिक्स सेंस’ है कि अपने खुद के धन को और कैसे बढ़ाया जाए।