(सामान्य अध्ययन, मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र-1)
चर्चा में क्यों
लॉकडाउन के दौरान पंजाब में निहंगों के एक समूह द्वारा पुलिस बल पर हमला करने की घटना सामने आई है।
निहंग समुदाय: इतिहास
- इतिहास और परम्परा के तहत निहंग योद्धाओं को गुरु गोविंद सिंह और माता साहिब देवन के पुत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। निहंगों को आकालियों के तौर पर भी जाना जाता है, अकाली का आशय ईश्वर के सेवक से है।
- 'निहंग' शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘निशंक’ से मानी जाती है। 'निशंक' से तात्पर्य निर्भय, निष्कलंक, पवित्र, अल्हड़ (Carefree) तथा सांसारिक सुख-सुविधा व भौतिकता के प्रति उदासीनता से है।
- गुरु ग्रंथ साहिब में भी एक भजन में निहंग शब्द का प्रयोग हुआ है, जिसका अर्थ निडर व्यक्ति से है। ध्यातव्य है कि सिखों का निहंग समुदाय अपनी आक्रामक शैली के लिये जाना है।
- निहंग मूलतः एक प्रकार के सिख योद्धा हैं। नीली पोशाक, परम्परागत हथियार जैसे- तलवार व भाले तथा धातुओं से बने धार्मिक चिन्ह (Quoits) से सजी पगड़ी इनकी पहचान है। गुरु गोविंद सिंह द्वारा वर्ष 1699 में खालसा की स्थापना के समय निहंग समुदाय के गठन का अनुमान लगाया जाता है।
निहंग तथा अन्य सिक्ख योद्धाओं में अंतर
- ईस्ट इंडिया कम्पनी के कर्नल जेम्स स्किनर के अनुसार खालसा सिखों को दो समूहों में विभाजित किया गया था। प्रथम, गुरु गोविंद सिंह जी की तरह युद्ध के समय नीली पोशाक पहनने वाले; दूसरे, वे जो किसी भी रंग की पोशाक पहन सकते थे। ये दोनों समूह पेशेवर रूप से सैनिक धर्म का पालन करते थे।
- निहंग, खालसा आचार-व्यवहार संहिता का कड़ाई से पालन करते हैं।
- निहंग स्वयं को किसी भी पंथ प्रमुख या गुरु के अधीनस्थ नहीं मानते हैं। वे केवल सिख धार्मिक गुरुओं में ही आस्था रखते हैं। इस प्रकार, वे अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए हुए हैं। ये धार्मिक आस्था से पूर्ण और काफी अनुशासित माने जाते हैं।
इतिहास में योगदान
- प्रथम सिख शासन के पतन के बाद सिख पंथ की रक्षा करने में निहंगों की अग्रणी भूमिका थी। मुगल गवर्नरों द्वारा सिखों की हत्या करने तथा अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह दुर्रानी के हमले के दौरान ये अग्रणी भूमिका में रहे थे।
- निहंगों ने अमृतसर के अकाल तख्त पर सिखों के धार्मिक मामलों को भी नियंत्रित किया है। अकाल तख्त में वे सिखों की परिषद (सरबत खालसा) का आयोजन करते थे और गुरमत नाम से प्रस्ताव पारित किया करते थे।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 1984 में ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के दौरान अजीत सिंह फूलन जैसे कुछ निहंगों ने उग्रवादियों के विरुद्ध पंजाब पुलिस की सहायता की थी।