क्या है : निम्न भू-कक्षीय (LEO) वेधशाला के रूप में कार्य करने वाला नासा एवं इसरो के बीच एक सहयोगी उपग्रह मिशन
पूर्ण नाम : नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar : NISAR)
कार्य : पृथ्वी के भू-परिदृश्यों की निगरानी करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन
संभावित लॉन्च : वर्ष 2024 के अंत तक लॉन्च करने की योजना
प्रयुक्त बैंड : दो बैंड वाला उपग्रह : S-बैंड और L-बैंड
S-बैंड पेलोड इसरो ने एवं L-बैंड पेलोड अमेरिका ने बनाया है।
मिशन अवधि : 3 वर्षीय मिशन
यह प्रत्येक 12 दिनों में पृथ्वी की सभी भूमि एवं बर्फ की सतहों को स्कैन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
डाटा उपयोग : भारत व अमेरिका दोनों द्वारा
निसार उपग्रह की क्षमता
टेक्टॉनिक (विवर्तनकी) गतिविधियों की सेंटीमीटर सटीकता तक निगरानी करने की क्षमता
जल निकायों की सटीकता से माप करने में सक्षम
पृथ्वी पर पानी के दबाव का आकलन करने की योग्यता
वनस्पति एवं हिमावरण की निगरानी में सक्षम
महत्व
जलवायु विज्ञान : स्थलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों, विशेषकर वनों से कार्बन स्रोतों एवं सिंक के बारे में समझ को बढ़ाएगा। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए रणनीति विकसित करने के लिए यह डाटा महत्वपूर्ण है।
भारत-अमेरिका सहयोग : पहली बार अमेरिका एवं भारत ने पृथ्वी-अवलोकन मिशन के लिए हार्डवेयर विकसित करने में सहयोग किया है, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग के लिए महत्वपूर्ण है।