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निसार उपग्रह मिशन

(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन)

संदर्भ 

नासा और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह ‘निसार’ को  जून 2025 में लॉन्च किया जाएगा। 

निसार मिशन के बारे में 

  • परिचय : निसार (NISAR) एक अत्याधुनिक पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह (Earth Observation Satellite) है। 
    • यह उपग्रह दुनिया का पहला द्वि-आवृत्ति (dual-frequency) सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) सैटेलाइट है।
  • पूरा नाम : NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar (NISAR)। 
  • मिशन में शामिल घटक : 
    • NASA द्वारा प्रदत्त घटक: L-बैंड रडार,GPS प्रणाली,डाटा संग्रह और भंडारण के लिए सॉलिड-स्टेट रिकॉर्डर,पेलोड डाटा सबसिस्टम ,रिफ्लेक्टर एंटीना
    • ISRO द्वारा प्रदत्त घटक: S-बैंड रडार,GSLV प्रक्षेपण यान,अंतरिक्ष यान (spacecraft bus) और संबंधित प्रक्षेपण सेवाएँ
  • मिशन का उद्देश्य : धरती की सतह पर होने वाले सूक्ष्म और धीमे बदलावों की निगरानी करना, जिनमें शामिल हैं:
    • भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी और आपदा प्रबंधन में सहायता।
    • हिमखंडों और ग्लेशियरों के बहाव की गति की निगरानी
    • समुद्री तटरेखा में हो रहे बदलाव
    • जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों की जानकारी प्राप्त करना।
    • कृषि, वनस्पति और जल संसाधनों की स्थिति की निगरानी।
    • स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र में हो रहे बदलावों की पहचान करना।

मिशन की प्रमुख विशेषताएँ

  • डुअल SAR रडार प्रणाली: L-बैंड और S-बैंड रडार मिलकर उच्च-गुणवत्ता वाली, विस्तृत और विश्वसनीय छवियाँ बनाएँगे
  • ऑल-वेदर क्षमताएँ: बादल, बारिश जैसी स्थितियों में भी डाटा एकत्र करने में सक्षम
  • 240 किलोमीटर चौड़ी इमेजिंग रेंज: प्रत्येक 12 दिन में पूरी पृथ्वी की सतह की स्कैनिंग
  • रिफ्लेक्टर एंटीना: यह अब तक का NASA का सबसे बड़ा एंटीना है, जो रडार सिग्नल को केंद्रित करेगा। 
  • तीन से पाँच वर्ष तक संचालन: NASA के लिए न्यूनतम 3 वर्ष, जबकि ISRO के लिए 5 वर्ष तक सटीक निगरानी की योजना

निसार मिशन का महत्त्व

  • यह भारत और अमेरिका के बीच वैज्ञानिक सहयोग का प्रतीक है।
  • यह मिशन उन तकनीकी सीमाओं को पार करता है, जो अब तक गहराई से पृथ्वी की निगरानी में बाधा डालती थीं।
  • निसार से प्राप्त जानकारी का उपयोग वैश्विक आपदा प्रबंधन, जलवायु कार्रवाई और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में भी सहायक होगा।
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