संदर्भ
हाल ही में, हार्नेसिंग ग्रीन हाइड्रोजन: अपरचुनिटीज फॉर डीप डीकार्बोनाइजेशन इन इंडिया शीर्षक से जारी नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार आने वाले दशकों में हरित हाइड्रोजन भारत के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ ही औद्योगिक कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने में सहायक होगा।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
- हरित हाइड्रोजन (जल के इलेक्ट्रोलिसिस के जरिये उत्पादित अक्षय ऊर्जा) उर्वरक, रिफाइनिंग, मेथनॉल, मैरीटाइम शिपिंग, लौह एवं इस्पात, परिवहन जैसे क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण साबित होगी। ग्रीन हाइड्रोजन औद्योगिक प्रक्रियाओं में जीवाश्म ईंधन का विकल्प हो सकता है।
- रिपोर्ट में माना गया है कि सही नीतियों से भारत सबसे कम लागत वाले हरित हाइड्रोजन उत्पादक के रूप में उभर सकता है और वर्ष 2030 तक हरित हाइड्रोजन का मूल्य 1 डॉलर प्रति किलोग्राम तक कम किया जा सकता है।
- रिपोर्ट के निष्कर्ष के अनुसार - भारत में वर्ष 2050 तक हाइड्रोजन की मांग चार गुना से अधिक बढ़ सकती है जो वैश्विक मांग का लगभग 10 प्रतिशत है। दीर्घावधि में इस मांग का अधिकांश हिस्सा हरित हाइड्रोजन से पूरा किया जा सकता है। भारत में ग्रीन हाइड्रोजन बाजार का आकार 2030 तक 8 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है।
रिपोर्ट के सुझाव और निष्कर्ष
- हरित हाइड्रोजन की मौजूदा लागत को कम किया जाना चाहिये ताकि इसे मौजूदा ग्रे हाइड्रोजन (प्राकृतिक गैस द्वारा उत्पादित हाइड्रोजन) की कीमतों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।
- अनुसंधान एवं विकास और इलेक्ट्रोलाइजर जैसे उपकरणों के विनिर्माण में मौजूद अवसरों को पहचानने की आवश्यकता है। वर्ष 2028 तक 25 गीगाहर्ट्ज विनिर्माण क्षमता हासिल करने के लिये इलेक्ट्रोलाइजरों को उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना के साथ उचित रूप से प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
- वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हरित हाइड्रोजन उद्योग से हरित हाइड्रोजन और हाइड्रोजन-एम्बेडेड लो-कार्बन उत्पादों जैसे हरित अमोनिया और हरित स्टील का निर्यात हो सकता है। इससे वर्ष 2030 तक देश में 95 गीगावॉट इलेक्ट्रोलिसिस क्षमता हासिल होगी।
निष्कर्ष
नीति आयोग की यह रिपोर्ट पर्यावरण अनुकूल हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा देने पर कार्य करती है, जो वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य तक पहुँचने हेतु भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है।