चर्चा में क्यों
हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका में नोरोवायरस के कारण पेट के संक्रमण के 90 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। भारत में भी इसके कुछ मामले केरल में सामने आए हैं।
नोरोवायरस के बारे में
- नोरोवायरस एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है जिसे 'विंटर वोमिटिंग बग' भी कहा जाता है। यह दूषित भोजन, जल और सतहों के माध्यम से फैल सकता है।
- नोरोवायरस डायरिया उत्पन्न करने वाले रोटावायरस के समान ही है और हर आयु वर्ग के लोगों को संक्रमित करता है।
- बीमारी का प्रकोप सामान्यत: क्रूज जहाजों, नर्सिंग होम, छात्रावासों और अन्य बंद जगहों पर होता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार,“नोरोवायरस संक्रमण आंतों की सूजन तथा कुपोषण से जुड़ा हुआ है जो दीर्घकालिक रुग्णता का कारण बन सकता है”।
- प्रतिवर्ष नोरोवायरस के अनुमानित 685 मिलियन मामले सामने आते हैं, जिनमें 200 मिलियन मामले पाँच साल से कम उम्र के बच्चों से संबंधित होते हैं।
- यू.एस. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की वेबसाइट के अनुसार नोरोवायरस संयुक्त राज्य अमेरिका में खाद्य जनित बीमारी का प्रमुख कारण है, जो देश में सभी खाद्य जनित बीमारियों का 58% के लिए उत्तरदायी है।
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नोरोवायरस के लक्षण
- नोरोवायरस का प्रारंभिक लक्षण डायरिया हैं, जो वायरस के संपर्क में आने के एक या दो दिन बाद दिखाई देते हैं।
- अन्य लक्षणों में मतली,पेट दर्द, बुखार, सिरदर्द और शरीर में दर्द शामिल है। गंभीर मामलों में, तरल पदार्थों की कमी से निर्जलीकरण हो सकता है।
नोरोवायरस का निदान एवं उपचार
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- चिकित्सकों के अनुसार यह बीमारी स्वत: ही समाप्त हो जाती है। लेकिन संक्रमण, रोगी को बहुत नुकसान पहुँचाता है।
- अधिकांश मामलों में युवा व्यक्ति पर्याप्त आराम और अधिक मात्र में जल के सेवन के साथ इससे उबर सकते हैं।
- रोग का निदान वास्तविक समय रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन द्वारा किया जाता है। इस बीमारी के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
- रोग के तीव्र चरण में जलयोजन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। गंभीर मामलों में, रोगियों को नसों के माध्यम से पुनर्जलीकरण तरल पदार्थ दिया जाना चाहिए।