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उत्तर-पूर्व ग्रामीण आजीविका परियोजना

(प्रारंभिक परीक्षा: आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।)

संदर्भ

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (DoNER) मंत्री जी.कृष्ण रेड्डी ने ‘उत्तर-पूर्व ग्रामीण आजीविका परियोजना’ (NERLP) के बारे में पूछे गए एक प्रश्न का लोकसभा में उत्तर दिया।

प्रमुख बिंदु

  • एन.ई.आर.एल.पी. वर्ष 2012 से वर्ष 2019 तक पाँच वर्षों के लिये लागू की गई थी। इसका उद्देश्य 4 पूर्वोत्तर राज्यों – मिज़ोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा – के 11 ज़िलों के 1,645 गाँवों में आजीविका में सुधार करना था। इस योजना में विशेष रूप से महिलाओं, बेरोज़गार युवाओं और वंचित वर्गों पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
  • इस परियोजना में मिज़ोरम, नागालैंड और सिक्किम के दो-दो ज़िले, जबकि त्रिपुरा के 5 ज़िले शामिल थे। ये ज़िले हैं–
  1. मिज़ोरम– आइजोल और लुंगलेई
  2. नागालैंड– पेरेन और तुएनसांग
  • सिक्किम– दक्षिण सिक्किम और पश्चिम सिक्किम
  1. त्रिपुरा– पश्चिम त्रिपुरा, सिपाहीजला, खोवाई, उनाकोटी और उत्तरी त्रिपुरा
  • इस परियोजना के माध्यम से 10,462 पुरुषों और महिलाओं को विभिन्न कार्य-कौशलों में प्रशिक्षित किया गया। इस परियोजना के तहत 28,154 स्वयं सहायता समूहों को 319.15 करोड़ रुपए का ‘सामुदायिक निवेश कोष’ (CIF) जारी किया।
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