प्रारंभिक परीक्षा – नृत्य कलानिधि पुरस्कार (Nritya Kalanidhi’ award) मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 |
चर्चा में क्यों
शास्त्रीय नृत्यांगना और कोरियोग्राफर वसंतलक्ष्मी नरसिम्हाचारी को 04 जनवरी, 2024 को चेन्नई में संगीत अकादमी के 17वें नृत्य महोत्सव में ‘नृत्य कलानिधि’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- 17वें नृत्य महोत्सव में भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, कथक, यक्षगान और मोहिनीअट्टम सहित शास्त्रीय कला की कई शैलियों को एकल और समूह दोनों के रूप में प्रदर्शित किया गया।
- वसंतलक्ष्मी नरसिम्हाचारी भरतनाट्यम, कथकली ,ओडिसी, मोहिनीअट्टम एवं कुचिपुड़ी की नृत्यांगना हैं।
- वसंतलक्ष्मी नरसिम्हाचारी ने वर्ष 1969 में कलासमर्पण फाउंडेशन की स्थापना ललित कला के प्रचार और संवर्धन के लिए किया।
- कर्नाटक गायिका बॉम्बे जयश्री को गायन के लिए वर्ष 2023 के संगीत अकादमी के संगीत कलानिधि पुरस्कार के लिये चुना गया।
- संगीता कलानिधि पुरस्कार को कर्नाटक संगीत के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान माना जाता है। इसकी स्थापना 1942 में की गई थी।
नृत्य कलानिधि पुरस्कार
- इसे मद्रास संगीत अकादमी द्वारा हर वर्ष नृत्य के क्षेत्र में प्रदान किया जाता है ।
मद्रास संगीत अकादमी
- यह ललित कला का ऐतिहासिक संस्थान है।
- यह दिसंबर,1927 में मद्रास में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र की एक शाखा के रूप में स्थापित किया गया।
- इसकी कल्पना कर्नाटक संगीत के मानक संस्थान के रूप में किया गया था।
- यह संस्थान संगीत कलानिधि, नृत्य कलानिधि, संगीत कला आचार्य जैसे विभिन्न पुरस्कार भी प्रदान करता है ।
कर्नाटक संगीत
- कर्नाटक संगीत दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत है।
- कर्नाटक संगीत का विकास दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में हुआ है।
- कर्नाटक संगीत में एक अत्यंत विकसित सैद्धांतिक प्रणाली है। यह रागम (राग) और थालम (ताल) की एक जटिल प्रणाली पर आधारित है।
- त्यागराज, मुथुस्वामी दीक्षितार और श्यामा शास्त्री को कर्नाटक संगीत शैली की 'त्रिमूर्ति' कहा जाता है, जबकि पुरंदरदास को कर्नाटक संगीत का जनक माना जाता है।
- कर्नाटक संगीत के विषयों में पूजा-अर्चना, मंदिरों का वर्णन, दार्शनिक चिंतन, नायक-नायिका वर्णन और देशभक्ति शामिल हैं।
कर्नाटक गायन शैली के प्रमुख रूप
वर्णम:
- इसके तीन मुख्य भाग पल्लवी, अनुपल्लवी तथा मुक्तयीश्वर होते हैं। वास्तव में इसकी तुलना हिंदुस्तानी शैली के ठुमरी के साथ की जा सकती है।
जावाली:
- यह प्रेम प्रधान गीतों की शैली है। भरतनाट्यम के साथ इसे विशेष रूप से गाया जाता है। इसकी गति काफी तेज होती है।
तिल्लाना:
- उत्तरी भारत में प्रचलित तराना के समान ही कर्नाटक संगीत में तिल्लाना शैली होती है। यह भक्ति प्रधान गीतों की गायन शैली है।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ।
- शास्त्रीय नृत्यांगना और कोरियोग्राफर वसंतलक्ष्मी नरसिम्हाचारी को 04 जनवरी, 2024 को चेन्नई में संगीत अकादमी के 17वें नृत्य महोत्सव में ‘नृत्य कलानिधि’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- नृत्य कलानिधि पुरस्कार मद्रास संगीत अकादमी द्वारा हर वर्ष नृत्य के क्षेत्र में प्रस्तुत किया जाता है।
- मद्रास संगीत अकादमी की स्थापना दिसंबर,1927 को किया गया था।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : कर्नाटक संगीत क्या है? कर्नाटक संगीत के प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
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स्रोत : THE HINDU