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परमाणु ऊर्जा का वित्तपोषण

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, परमाणु ऊर्जा शिखर सम्मेलन, IAEA, 'Atoms4Netzero' कार्यक्रम
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर- 3 (ऊर्जा)

संदर्भ:

  • 21 मार्च 2024 को बेल्जियम ने पहली बार परमाणु ऊर्जा शिखर सम्मेलन की मेजबानी की, जिसमें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए परमाणु ऊर्जा की भूमिका को स्पष्ट किया गया।

Nuclear-energy-financing

मुख्य बिंदु:

  • परमाणु ऊर्जा शिखर सम्मेलन का आयोजन ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में किया गया।
  • शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता बेल्जियम के प्रधान मंत्री अलेक्जेंडर डी क्रू और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने की।  
  • दिसंबर 2023 में दुबई (UAE) में आयोजित COP28 शिखर सम्मेलन में जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा की भूमिका को अपरिहार्य बताया गया था। 
  • जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 22 देशों द्वारा हस्ताक्षरित घोषणा-पत्र में वर्ष 2050 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने का लक्ष्य रखा गया है। 
  • परमाणु ऊर्जा शिखर सम्मेलन डीकार्बोनाइजेशन के बहुपक्षीय दृष्टिकोण का हिस्सा है। 
    • यह सम्मलेन IAEA के 'Atoms4Netzero' कार्यक्रम का एक हिस्सा है। 
  • परमाणु ऊर्जा अन्य नवीकरणीय स्रोतों जैसे सौर, पवन, जल विद्युत और भू-तापीय ऊर्जा की तुलना में चार गुना कम कार्बन उत्सर्जित करता है। 
  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (NPP) की अन्य सभी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की तुलना में अन्य प्रमुख विशेषताएं हैं;
    • कम परिचालन लागत
    • कम भूमि की आवश्यकता 
    • लंबा जीवन चक्र 

परमाणु ऊर्जा का वित्तपोषण:

  • परमाणु ऊर्जा को बड़े पैमाने पर ऊर्जा के मुख्य स्रोत के रूप में अपनाने के दो मुख्य कारण प्रौद्योगिकी और वित्त हैं। 
  • हाल ही के विकास ने परमाणु प्रौद्योगिकी में परमाणु संबंधी जोखिमों को काफी हद तक कम कर दिया है। ये परमाणु प्रौद्योगिकी विकास हैं;
    • छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) का निर्माण
    • मौजूदा संयंत्रों में विकिरण प्रूफिंग 
    • विस्तारित ईंधन चक्र
  • कार्बन उत्सर्जन को कम करने में तकनीकी प्रगति की भूमिका पर IAEA ने एक अध्ययन किया है,
    • इसके अनुसार, मौजूदा प्रौद्योगिकियां वर्ष 2050 तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी और कार्बन कटौती का आधा हिस्सा वर्तमान के प्रोटोटाइप चरण के प्रौद्योगिकियों से कम होगा।
  • तकनीकी प्रगति के बावजूद बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDBs) और निजी निवेशकों ने इस उद्योग में कोई महत्वपूर्ण निवेश नहीं किया है। 
  • निजी पूंजी या मिश्रित वित्त मॉडल को आगे बढ़ाने के लिए MDBs को अपने परमाणु वित्तपोषण नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।

सहकारी मॉडल (cooperative model):

  • कुछ सफल वित्तीय पद्धतियां हैं, जिन्हें अपनाया जा सकता है;
    • फ्रांस, दक्षिण कोरिया, रूस और यूके के सहकारी वित्त पोषण मॉडल, 
      • यहाँ निवेशकों का एक समूह बाजार से ऋण लेता है और उसे परियोजना तक वितरण के लिए पूरी जिम्मेदारी लेता है। 
    • 1970 के दशक से फिनलैंड में बड़े बिजली संयंत्रों को 'मनकाला' नामक एक सहकारी वित्त मॉडल द्वारा वित्त पोषित किया गया है;
      • 'मनकाला' को अनेक निजी कंपनियों ने वित्त पोषित किया। 
    • इस मॉडल में कंपनियां संयुक्त रूप से ऊर्जा उत्पादक मालिक भी हैं और संयंत्रों के निर्माण एवं संचालन की लागत लगाती हैं। 
    • ये कंपनियां अपने लाभांश को नहीं लेती हैं, लेकिन अपने शेयर हिस्सेदारी के आधार पर ऊर्जा खरीद सकती हैं;
      • निवेशकों में थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता या बड़ी औद्योगिक फर्म शामिल हो सकते हैं। 
  • कम ब्याज दरों पर वित्तीय सृजन और बाजार का सहयोग बड़े पैमाने पर परमाणु ऊर्जा की क्षमता में वृद्धि कर सकता है।
  • वर्तमान में दुनिया में 440 परमाणु रिएक्टर हैं। 
  • परमाणु रिएक्टरों की संख्या बढ़ रही है,
  • 60 रिएक्टर निर्माणाधीन हैं।
    • 110 रिएक्टरों का निर्माण योजना चरण में है।
    • इनमें से अधिकांश रिएक्टर एशिया (विशेष रूप से चीन) में हैं। 
    • चीन ने अपनी बिजली उत्पादन का वर्ष 2035 तक 10% और वर्ष 2060 तक 18% परमाणु ऊर्जा से उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है। 
  • उटा (Utah) में 462MW छोटा परमाणु रिएक्टर (SMR) बनाने के लिए NuScale Power पहली लाइसेंस प्राप्त  अमेरिकी कंपनी बनने की तरफ अग्रसर थी किंतु बढ़ती लागत के कारण उसने अपनी परियोजना बंद कर दी

भारत की स्थिति:

  • पहलगढ़ (तारापुर) में स्थित भारत का पहला वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा प्रोजेक्ट सौर ऊर्जा की तुलना में 2/kWh कम शुल्क पर ऊर्जा प्रदान करता है। 
  • कुडनकुलम (तमिलनाडु) में स्थापित एक नया परमाणु बिजली संयंत्र थर्मल पावर प्लांट की तुलना में 4-6 / kWh  सस्ती बिजली प्रदान करता है। 
  • अपनी बहुमुखी प्रकृति के बावजूद परमाणु ऊर्जा भारत के कुल नवीकरणीय ऊर्जा में केवल 1.6% योगदान करती है।
    • इसके मुख्य कारण शस्त्रीकरण जोखिम, विकिरण रिसाव, विनियमन, उच्च अग्रिम लागत आदि हैं। 
  • भारत और विश्व में महत्वाकांक्षी योजनाओं के संचालन के कारण परमाणु ऊर्जा उद्योग उदारीकरण के स्वर्णिम दौर से गुजर रहा है। 
  • भारत में वर्ष 2031-2032 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को वर्तमान के 7,480 मेगावाट से चरणबद्ध तरीके से बढ़ाकर तिगुना अर्थात 22,480 मेगावाट करने का लक्ष्य है।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency -IAEA):

  • यह परमाणु क्षेत्र में वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग के लिए दुनिया का प्रमुख अंतरसरकारी मंच है।
  • इसका गठन 29 जुलाई, 1957 को एक स्वायत्त संगठन के रूप में स्थापित किया गया।
  • IAEA संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद दोनों को रिपोर्ट करता है।
  • इसका मुख्यालय वियना (ऑस्ट्रिया) में है।

'Atoms4Netzero' कार्यक्रम:

  • यह IAEA की एक पहल है। 
  • यह कार्यक्रम शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिए सदस्य देशों द्वारा परमाणु ऊर्जा के उपयोग करने के प्रयासों का समर्थन करती है। 
  • यह कार्यक्रम उद्योग, वित्तीय संस्थानों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों सहित सदस्य देशों और हितधारकों को तकनीकी विशेषज्ञता एवं वैज्ञानिक सहयोग प्रदान करता है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न:

प्रश्न:  'Atoms4Netzero' कार्यक्रम के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. यह IAEA की एक पहल है। 
  2. यह कार्यक्रम शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिए सदस्य देशों द्वारा परमाणु ऊर्जा के उपयोग करने के प्रयासों का समर्थन करती है। 

  नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर- (c)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न:

प्रश्न:  वर्तमान में प्रौद्योगिकी और वित्त ने परमाणु ऊर्जा को बड़े पैमाने पर ऊर्जा के मुख्य स्रोत के रूप में अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मूल्यांकन कीजिए।

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