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चंद्रमा पर नाभिकीय संयंत्र

सन्दर्भ

हाल ही में, अमेरिकी ऊर्जा विभाग और नासा द्वारा ‘अंतरिक्ष परमाणु ऊर्जा और प्रणोदन के लिये राष्ट्रीय रणनीति’ जारी की गई।

 प्रमुख बिंदु

  • रणनीति के तहत, अंतरिक्ष नीति निदेशिका- 6 (SPD- 6) में नासा द्वारा वर्ष 2026-2027 तक चंद्रमा की सतह पर परमाणु विखंडन (Fission) ऊर्जा संयंत्र के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।
  • यह संयंत्र 40 किलोवाट या उससे अधिक विद्युत उत्पादन में सक्षम होगा।
  • इसके अलावा, नासा का लक्ष्य वर्ष 2026 तक उड़ान से जुड़ी एक ऐसी हार्डवेयर प्रणाली विकसित करना है, जिसे वह चंद्रमा पर अभियान के दौरान लैंडर के साथ एकीकृत कर सके।
  • ऐसा अनुमान है कि विखंडन ऊर्जा प्रणाली भविष्य में चंद्रमा तथा मंगल पर रोबोट और मानव अन्वेषण अभियानों को लाभान्वित करेगी।

चीन का रुख

  • चीन ने इस खबर पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अमेरिका की इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना के कारण भविष्य में चंद्रमा पर एक सैन्य होड़ शुरू सकती है।
  • चीन के अनुसार चंद्रमा पर हीलियम गैस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, जिसका प्रयोग परमाणु विखंडन के लिये किया जा सकता है और चूँकि अमेरिका ने चंद्रमा पर मौजूद परमाणु सामग्रियों का दोहन कर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण की बात कही है, अतः वह चंद्रमा का इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने के स्थल के रूप में कर सकता है।
  • यद्यपि अमेरिका का कहना है कि उसका उद्देश्य चंद्रमा पर लंबे समय तक अनुसंधान और अध्ययन करने के लिये आवश्यक ऊर्जा की आपूर्ति को सुनिश्चित करना है।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 1979 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने चंद्रमा से जुड़ी संधि को मंज़ूरी दी थी, जिसमें कहा गया था कि चंद्रमा या किसी अन्य खगोलीय पिंड पर कोई भी देश कब्ज़ा कर अपनी संप्रभुता प्रदर्शित की कोशिश नहीं करेगा।
  • हालाँकि अमेरिका इस संधि में शामिल नहीं हुआ था लेकिन वह अभी तक इस संधि में तय नियमों का पालन करता आया है।
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