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नुपी लान

 (प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम, आधुनिक भारतीय इतिहास)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1: स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान)

संदर्भ

हाल ही में, मणिपुर, त्रिपुरा, असम एवं बांग्लादेश के कुछ क्षेत्रों में ‘नुपी लान/लाल नुमित (Nupi Lal/Lan Numit) 2024’ का आयोजन किया गया।

नुपी लान नुमित 2024 के बारे में

  • परिचय : ‘नुपी लान नुमित’ से तात्पर्य ‘महिला युद्ध दिवस’ से है, जो प्रतिवर्ष उत्तर-पूर्वी भारत के अनेक राज्यों, मुख्यत: मणिपुर में आयोजित किया जाता है।
  • उद्देश्य : वर्ष 1904 और वर्ष 1939 में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के अन्याय के खिलाफ विद्रोह में मणिपुरी महिलाओं द्वारा निभाई गई भूमिका के स्मरण के रूप में।
  • तिथि : यह 12 दिसंबर, 1939 को हुए द्वितीय नुपी लान (महिला युद्ध) की स्मृति में प्रतिवर्ष 12 दिसंबर को आयोजित किया जाता है।
  • संस्करण : वर्ष 2024 में इस दिवस का 85 वां संस्करण मनाया गया।
  • श्रद्धांजलि : मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह द्वारा इंफाल में ‘नुपी लान स्मारक परिसर’ में महिला स्वतंत्रता सेनानियों को।
  • नुपी लान मेमोरियल एसोसिएशन : यह एसोसिएशन नुपी लान विद्रोह की स्मृति में कार्य करती है। 
    • यह मणिपुरी महिलाओं की बहादुरी का सम्मान करने और उनकी ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने के लिए नाटक जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करती है।

स्वाधीनता संग्राम में मणिपुरी महिलाओं का योगदान 

भारत की आजादी के संघर्ष में मणिपुर की महिलाओं का ‘नुपी लान’ और ‘7 वर्षीय विध्वंस काल’ में विशेष रूप से महत्त्व रहा है।

नुपी लान के बारे में 

नुपी लान (महिला युद्ध) ब्रिटिश भारत काल के मणिपुर राज्य में औपनिवेशिक अधिकारियों के खिलाफ महिलाओं द्वारा किए गए 2 प्रमुख संघर्ष प्रदर्शन थे।

प्रथम नुपी लान

  • पहला नुपी लान (महिला युद्ध) जुलाई 1904 में कर्नल मैक्सवेल द्वारा समाप्त की गई ‘लालुप प्रणाली’ को पुनः लागू करने के लिए उठाए गए कदम से शुरू हुआ था।
    • लालुप प्रणाली का तात्पर्य था ‘राजा के लिए लोगों का मुफ्त श्रम’ अर्थात पुरुषों को प्रत्येक 30 दिन के बाद 10 दिन तक मुफ्त श्रम करना पड़ता था।
  • वर्ष 1904 में दो ब्रिटिश अधिकारियों के बंगले जला दिए जाने के बाद कर्नल मैक्सवेल ने उन्हें पुनः बनाने के लिए अस्थायी रूप से लालुप प्रणाली को पुनः शुरू किया।
    • इसके परिणामस्वरूप महिलाओं ने एकजुट होकर जबरन श्रम के अन्याय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
  • हालाँकि, यह पहल महिलाओं की सामूहिक पहचान के प्रयासों से की गई थी किंतु इसे ऐतिहासिक रूप से पुरुषों की अनुपस्थिति में महिला सशक्तिकरण के पहले संकेतक के रूप में चिह्नित किया गया है।
  • वर्ष 1891 के आंग्ल-मणिपुर युद्ध के बाद, मणिपुर वर्ष 1907 तक प्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया। इसके बाद राज्य का प्रशासन राजा चुराचंद सिंह और उनके दरबार को सौंप दिया गया।
    • हालांकि, इस क्षेत्र के कामकाज की देखरेख के लिए एक ब्रिटिश राजनीतिक एजेंट को नियुक्त किया गया था और उसे शाही दरबार पर अधिकार था।

द्वितीय नुपी लान

  • द्वितीय नुपी लान (महिला युद्ध) 12 दिसंबर, 1939 को शुरू हुआ था।
  • इस दिन बड़ी संख्या में महिलाओं ने चावल निर्यात पर तत्काल रोक लगाने की मांग को लेकर राज्य दरबार कार्यालय पर उग्र प्रदर्शन किया।
  • यह आंदोलन मणिपुर महाराजा और मणिपुर में ब्रिटिश सरकार के राजनीतिक एजेंट ग्रिमसन (1933-45) की आर्थिक एवं प्रशासनिक नीतियों के खिलाफ मणिपुरी महिलाओं द्वारा एक संघर्ष के रूप में शुरू किया गया था।
  • बाद में यह संघर्ष मणिपुर में संवैधानिक एवं प्रशासनिक सुधार के लिए एक आंदोलन के रूप में विकसित हुआ।
  • अंत में ब्रिटिश सरकार द्वारा चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया किंतु मणिपुर की अनेक महिलाओं ने इस आंदोलन में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे।

7 वर्षीय विध्वंस काल

  • मणिपुर में वर्ष 1819 से वर्ष 1826 के मध्य बर्मा से आक्रमण के काल को '7 वर्षीय विध्वंस काल' (Seven Year Devastation Period) कहा जाता है।
  • लगभग एक वर्ष तक बड़े पैमाने पर बर्मा के सैनिकों ने लूटपाट एवं अत्याचार किया और लगभग 5,50,000 मणिपुरी मारे गए। 
  • इस संघर्ष में मणिपुर की महिलाओं ने साहस का परिचय देते हुए घुसपैठियों के विरुद्ध संघर्ष किया था।
  • डॉ. एन. बिरचंद्र ने अपनी पुस्तक ‘सेवन इयर्स डिवास्टेशन: 1819-1826’ में कहा है कि यह मणिपुरियों (मैती) पर बर्मा के लोगों की क्रूरता व अमानवीय व्यवहार को याद दिलाता है।

मणिपुर सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण हेतु योजनाएँ 

  • इमा नोंग्थांगलीमा याइफा तेंगबांग योजना : मणिपुर सरकार द्वारा इस योजना के अंतर्गत 40 वर्ष से अधिक आयु की बेरोजगार महिलाओं को 500 रुपए प्रति माह की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • इमा बाजार : आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए राज्य के प्रत्येक जिले में इमा बाजार (केवल महिलाओं के लिए बाजार) का निर्माण किया गया है।
  • वित्तीय सहायता : राज्य सरकार द्वारा महिला खिलाड़ियों को प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने तथा युवा खिलाड़ियों को उनके संबंधित खेलों में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • अन्य पहल : मणिपुर सरकार द्वारा सिविल सेवा कोचिंग के लिए मुख्यमंत्री छात्रवृत्ति, व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश परीक्षा (NEET और JEE) के लिए मुख्यमंत्री कोचिंग योजना तथा प्रत्येक जिले में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) की स्थापना आदि शामिल हैं।
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