(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम : योजना एवं कार्यक्रम) |
चर्चा में क्यों
8 मार्च 2025 को पोषण अभियान के सात वर्ष पूरे हुए हैं।
पोषण अभियान
- शुरुआत: पोषण अभियान की शुरुआत 8 मार्च, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राजस्थान के झुंझुनू जिले से की गई थी।
- इसे राष्ट्रीय पोषण मिशन के रूप में भी जाना जाता है।
- मंत्रालय: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
- उद्देश्य: किशोरियों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों के पोषण के स्तर को सुधारना
- यह कार्यक्रम लक्षित दृष्टिकोण के साथ प्रौद्योगिकी, समन्वय और सामुदायिक भागीदारी के उपयोग के माध्यम से बच्चों में बौनापन, कुपोषण, एनीमिया तथा जन्म के समय कम वजन के स्तर में कमी लाने का प्रयास करता है।
- लक्ष्य :
- बच्चों (0-6 वर्ष) में बौनेपन से बचाव और इसमें कमी लाना
- बच्चों (0-6 वर्ष) में कुपोषण (कम वजन का प्रचलन) से बचाव और इसमें कमी लाना
- छोटे बच्चों (6-59 महीने) में एनीमिया के प्रचलन में कमी लाना
- 15-49 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया के प्रचलन में कमी लाना
- कम वजन के साथ जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में कमी लाना
पोषण अभियान के महत्वपूर्ण स्तंभ
- गुणवत्तापूर्ण सेवाओं तक पहुँच: विशेष रूप से बच्चे के जीवन के पहले 1,000 दिनों के दौरान एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) जैसी योजनाओं के माध्यम से आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना।
- क्षेत्रों के बीच समन्वय : स्वच्छ भारत मिशन के तहत जल और स्वच्छता तथा राष्ट्रीय पेयजल मिशन के माध्यम से पीने के पानी तक पहुँच सहित कई मंत्रालयों के प्रयासों में समन्वय करना।
- प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन जैसे उपकरण वास्तविक समय में डाटा संग्रह और हस्तक्षेप को सक्षम करते हैं।
- जन आंदोलन: सामुदायिक सहभागिता व्यापक जागरूकता को बढ़ावा देने और पोषण के बारे में व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करने की कुंजी है।