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गुजरात में ओबीसी आरक्षण

प्रारंभिक परीक्षा - झावेरी आयोग, 74 वां संशोधन अधिनियम, भाग IX-A
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 2      
       

चर्चा में क्यों-

  • गुजरात सरकार ने 29 अगस्त 2023 को पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए मौजूदा आरक्षण को 10% से बढ़ाकर 27% कर दिया है।

मुख्य बिंदु-

  • मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व में राज्य मंत्रिमंडल ने सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के.एस. झावेरी की अध्यक्षता वाले पैनल की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण का निर्णय लिया।
  • झावेरी आयोग का गठन राज्य सरकार द्वारा जुलाई, 2022 में स्थानीय निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ के बारे में डेटा एकत्र करने और विश्लेषण करने के उद्देश्य से की गई थी।
  •  स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी कोटा तय करने के लिए यह आवश्यक था।
  • कैबिनेट ने झावेरी आयोग की सिफारिशों का अध्ययन करने के लिए गठित कैबिनेट उप-समिति की एक रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए यह निर्णय लिया।
  • उप-समिति की अध्यक्षता रुशिकेश पटेल ने की,जिसमें सात अन्य राज्य मंत्री सदस्य थे।
  • पहले, गुजरात में स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण 10% था। 
  • सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए सीट आरक्षण को फिर से परिभाषित करने के लिए न्यायमूर्ति झावेरी की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया था। 
  • झावेरी आयोग ने अपनी रिपोर्ट अप्रैल,2023 में राज्य सरकार को दी।
  • विभिन्न आंकड़ों के आधार पर, आयोग ने गुजरात में ओबीसी समुदायों की कुल औसत आबादी 49.20 प्रतिशत (ग्रामीण क्षेत्रों में 52 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 46.43 प्रतिशत) होने का अनुमान लगाया है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया था कि प्रत्येक स्थानीय निकाय में ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित सीटें एक विस्तृत अध्ययन के बाद एक आयोग की सिफारिशों के अनुसार तय की जाएंगी।

लाभ-

  • सरकार के इस फैसले से स्थानीय निकाय चुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है।
  • कुल मिलाकर, दो जिला पंचायत, 17 तालुका पंचायत, 74 नगरपालिका और 6,000 ग्राम पंचायत के चुनाव लंबित हैं।
  • स्थानीय निकाय चुनाव को सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद स्थगित कर दिया गया था,कि ओबीसी के लिए आरक्षण उनकी जनसंख्या के आधार पर होना चाहिए।
  • अब, चुनाव होने पर पंचायतों (ग्राम, तालुका और जिला), नगर पालिकाओं और नगर निगमों में 27% सीटें ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित रखी जाएंगी।
  • हालांकि, PESA (अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार) अधिसूचित क्षेत्रों में ओबीसी के लिए आरक्षण 10% जारी रहेगा। यह आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए किया गया है।
  • PESA अधिसूचित क्षेत्रों में राज्य के आठ जिलों के 50 मुख्य रूप से आदिवासी तालुका शामिल हैं।
  • इसके अलावा, अनुसूचित जाति (14%) और अनुसूचित जनजाति (7%) के लिए मौजूदा आरक्षण अपरिवर्तित रहेगा और 50% आरक्षण सीमा का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। 
  • उच्चतम  न्यायालय द्वारा आरक्षण पर 50% की अधिकतम सीमा निर्धारित की गई है ।

स्थानीय निकाय के बारे में-

  • पी.वी. नरसिम्हा राव के शासनकाल के दौरान 74वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से शहरी स्थानीय सरकारों का गठन वर्ष 1992 में किया गया था। यह 1 जून, 1993 को लागू हुआ।
  • इसमें भाग IX-A जोड़ा गया है और अनुच्छेद 243-P से 243-ZG तक के प्रावधान शामिल हैं।
  • इसके अतिरिक्त अधिनियम ने संविधान में 12वीं अनुसूची को भी जोड़ा। इसमें नगर पालिकाओं के 18 कार्यात्मक मद शामिल हैं।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- हाल ही में किस राज्य द्वारा स्थानीय निकायों में ओबीसी को 27% आरक्षण देने का फैसला लिया गया है?

(a) असोम

(b) ओडिशा

(c) गुजरात

(d) महाराष्ट्र

उत्तर - (c)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- गुजरात सरकार द्वारा ओबीसी को 27% आरक्षण देने का फैसला किया गया है। इससे किस प्रकार ओबीसी का राजनीतिक सशक्तिकरण होगा?

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