प्रारंभिक परीक्षा – अनुसूचित जनजाति, लोकुर समिति, भारत का महापंजीयक(RGI) मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय |
सन्दर्भ
- भारत के महापंजीयक(RGI) द्वारा किसी भी नए समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में परिभाषित करने के लिए लगभग 60 वर्ष पहले लोकुर समिति द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन किया जाता है।
लोकुर समिति
- लोकुर समिति द्वारा निर्धारित इन मानदंडों के अनुसार, अनुसूचित जनजाति की सूची में किसी भी समुदाय को शामिल करने के लिए भारत के महापंजीयक का अनुमोदन अनिवार्य है।
- किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में एक परिभाषित करने के लिए लोकुर समिति द्वारा निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किये गए हैं –
- आदिम जीवनशैली
- विशिष्ट संस्कृति
- भौगोलिक अलगाव
- संकोची स्वाभाव
- शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ापन
अनुसूचित जनजाति के लिए निर्धारित मानदंडों की समीक्षा के लिए टास्क फोर्स
- 2014 में अनुसूचित जनजाति के लिए निर्धारित मानदंडों की समीक्षा के लिए, जनजातीय मामलों के सचिव के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स की स्थपना की गयी थी।
- इस टास्क फोर्स के अनुसार, लोकुर समिति द्वारा निर्धारित मानदंड संक्रमण और संस्कृतिकरण की प्रक्रिया को देखते हुए अप्रचलित हो सकते हैं।
- इसके अनुसार, जनजातियों के वर्गीकरण और पहचान में हुई अधिकांश गड़बड़ी इन शास्त्रीय अभिविन्यास के कारण है जो कठोर और हठधर्मी दृष्टिकोण का पालन करते हैं।
- टास्क फोर्स ने अनुसूचित जनजाति के रूप में परिभाषित करने के लिए एक प्रमुख मानक के रूप में निर्धारित, भौगोलिक अलगाव के मानदंड की समस्याओं को भी इंगित किया, इसके अनुसार जैसे-जैसे देश भर में बुनियादी ढांचे का विकास हो रहा है कोई भी समुदाय अलगाव में कैसे रह सकता है।
- टास्क फोर्स ने इन मानदंडों में बदलाव की सिफारिश की और जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने जून 2014 में एक कैबिनेट नोट का मसौदा तैयार किया, जिसमें निम्नलिखित मानदंड प्रस्तावित किए गए थे -
- सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक पिछड़ापन
- ऐतिहासिक भौगोलिक अलगाव जो आज मौजूद हो भी सकता है और नहीं भी
- अलग भाषा/बोली
- जीवन-चक्र, विवाह, गीत, नृत्य, चित्रकला, लोककथाओं से संबंधित एक मूल संस्कृति की उपस्थिति
- कैबिनेट नोट के मसौदे में यह भी प्रस्तावित किया गया है, " समुदायों को सिर्फ इस आधार पर अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के लिए अपात्र घोषित नहीं किया जायेगा कि उसने हिंदू जीवन शैली को अपना लिया है।
अनुसूचित जनजाति
- संविधान अनुसूचित जनजाति की मान्यता के मापदंडो का उल्लेख नहीं करता है।
- संविधान के अनुच्छेद 366(25) के अनुसार अनुसूचित जनजातियों का अर्थ ऐसी जनजातियों या जनजातीय समुदाय से है, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार अनुसूचित जनजाति माना जाता है।
- अनुच्छेद 342(1 ) के अनुसार राष्ट्रपति किसी राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के मामले में वहां के राज्यपाल से परामर्श करने के बाद किसी जनजाति या जनजातीय समूह को या उसके किसी हिस्से को उस राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के मामले में अनुसूचित जनजाति के रूप में विनिर्दिष्ट कर सकेगा।
- अनुसूचित जनजाति की मान्यता राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश विशिष्ट होती है, अर्थात अनुसूचित जनजाति की सूची प्रत्येक राज्य के लिये अलग-अलग होती है।
- कोई समुदाय जो एक राज्य में अनुसूचित जनजति के रूप में वर्गीकृत है, आवश्यक नहीं है, की वो किसी अन्य राज्य में भी अनुसूचित जनजाति माना जाये।
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अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की प्रकिया
- राज्य सरकार समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरु करती है, और प्रस्ताव को जनजातीय मामलों के मंत्रालय के पास भेजती है, जो इस प्रस्ताव की समीक्षा करता है।
- जनजातीय कार्यों का मंत्रालय इसे अनुमोदन के लिए भारत के महापंजीयक के पास भेज देता है।
- भारत के महापंजीयक के अनुमोदन के बाद इस प्रस्ताव पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की मंजूरी ली जाती है, तथा अंतिम निर्णय के लिए इसे कैबिनेट के पास भेज दिया जाता है।
- कैबिनेट की सहमती के बाद उस समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल कर लिया जाता है।
अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल होने के लाभ
- सरकार द्वारा अनुसूचित जनजातियों के लिए चलायी जा रही वर्तमान योजनाओं का लाभ प्राप्त करने की पात्रता हासिल।
- सरकारी सेवाओं में आरक्षण का लाभ।
- शिक्षा संस्थाओ में प्रवेश में आरक्षण।
- अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम की तरफ से रियायती ऋण प्राप्त करने की पात्रता।
- सरकार की तरफ से दी जा रही छात्रवृत्तियों का लाभ।
- संविधान का अनुच्छेद 243(घ) पंचायतो में अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
- संविधान का अनुच्छेद 330 लोकसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
- संविधान का अनुच्छेद 332 विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।