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ऑफ-बजट उधार 

प्रारंभिक परीक्षा – ऑफ-बजट उधार, राजकोषीय घाटा
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 - सरकारी बजट

सन्दर्भ 

  • हाल ही में तेलंगाना के वित्त मंत्री द्वारा केंद्र सरकार पर राज्य के विकास में बाधाएं पैदा करने का आरोप लगाया गया।
  • उन्होंने कहा कि राज्य ने कम समय में सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए ऑफ-बजट उधारी का सहारा लिया था, लेकिन केंद्र सरकार ने उधार की सीमा तय कर दी।
    • केंद्र ने राज्यों के लिए शुद्ध उधार सीमा 8,57,849 करोड़ रुपये या जीएसडीपी का 3.5 प्रतिशत तय की है।
    • राज्य बिजली क्षेत्र में सुधारों के लिए जीएसडीपी के 0.50 प्रतिशत की अतिरिक्त उधारी के लिए भी पात्र हैं।
  • उन्होंने तर्क दिया कि उधार सीमा में यह कटौती संघवाद की भावना के खिलाफ है।

ऑफ-बजट उधार

  • ऑफ-बजट उधार ऐसे ऋण हैं जो सरकार द्वारा सीधे नहीं लिए जाते हैं, बल्कि किसी अन्य सार्वजनिक संस्थान द्वारा सरकार के निर्देश पर लिए जाते हैं।
  • ऐसी उधारियों का उपयोग सरकार की व्यय संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है।
  • चूंकि इस प्रकार के ऋण की देनदारी औपचारिक रूप से सरकार पर नहीं होती है, इसलिए यह ऋण राष्ट्रीय राजकोषीय घाटे में शामिल नहीं होता है। 

संवैधानिक प्रावधान

  • संविधान के भाग XII का अध्याय II उधार लेने से संबंधित है।
  • अनुच्छेद 292 में केंद्र सरकार द्वारा उधार लेना तथा अनुच्छेद 293 में राज्यों द्वारा उधार लेने से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
  • अनुच्छेद 293(1) राज्य विधानसभाओं को उधार लेने और गारंटी देने की राज्य की कार्यकारी शक्तियों को सक्षम या सीमित करने के लिए कानून द्वारा शक्ति प्रदान करता है।
  • अनुच्छेद 293 के खंड (3) के अनुसार यदि किसी ऐसे उधार का, जो भारत सरकार ने या उसकी पूर्ववर्ती सरकार ने उस राज्य को दिया था अथवा जिसके संबंध में भारत सरकार ने या उसकी पूर्ववर्ती सरकार ने प्रत्याभूति दी थी, कोई भाग अभी भी बकाया है तो वह राज्य, भारत सरकार की सहमति के बिना कोई उधार नहीं ले सकेगा।
  • अनुच्छेद 293 के खंड (4) के अनुसार खंड (3) के अधीन सहमति उन शर्तों के अधीन दी जा सकेगी जिन्हें भारत सरकार अधिरोपित करना ठीक समझे।

राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)

  • एक वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार द्वारा किये गए व्यय (ऋण पुनर्भुगतान को छोड़कर) और सरकार की आय (ऋण प्राप्तियों को छोड़कर) के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं।  
  • यह उस धन को दर्शाता है, जिसे सरकार को अपनी व्यय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये उधार लेने के आवश्यकता होती है। 
  • इसे जीडीपी के प्रतिशत के रूप में दर्शाया जाता है। 
  • राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम 2003 ने 31 मार्च 2021 तक सरकार को अपना राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3 प्रतिशत तक करने का सुझाव दिया था। 
  • एनके सिंह समिति द्वारा सिफारिश की गई थी कि सरकार को 31 मार्च, 2020 तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3 प्रतिशत तक किया जाना चाहिये, जिसे वर्ष 2020-21 में 2.8 प्रतिशत तक और वर्ष 2023 तक 2.5 प्रतिशत तक कम करना चाहिये।
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