जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार परिषद (BRIC) ने भारत की विशाल सूक्ष्मजीवीय क्षमता को दर्शाने के लिए ‘वन डे वन जीनोम’ पहल की शुरुआत की है।
इन्हें भी जानिए! जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार परिषद (BRIC) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने अपने 13 स्वायत्त संस्थानों को सम्मिलित करके एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में एक स्वायत्त निकाय ‘जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार परिषद’ का सृजन किया है। राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान (NII) इसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम (1860 के XXI) के तहत 24 जून, 1981 को स्वायत्त सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया था। 31 मार्च 1982 को ‘आईसीएमआर-डव्ल्यूएचओ अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र’ का विलय औपचारिक रूप से ‘राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान’ के साथ कर दिया गया। राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान के भवन को औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 6 अक्तूबर, 1986 को राष्ट्र को समर्पित किया। राष्ट्रीय जैव चिकित्सा जीनोमिक्स संस्थान (NIBMG) राष्ट्रीय जैव चिकित्सा जीनोमिक्स संस्थान (NIBMG) को भारत सरकार द्वारा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तत्वावधान में एक स्वायत्त संस्थान के रूप में स्थापित किया गया है। यह भारत का पहला संस्थान है जो बायोमेडिकल जीनोमिक्स में अनुसंधान, प्रशिक्षण, अनुवाद एवं सेवा तथा क्षमता निर्माण के लिए समर्पित है। यह कोलकाता के पास कल्याणी में स्थित है। |
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