प्रारंभिक परीक्षा – बीमा प्राधिकरण मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 – भारतीय अर्थव्यवस्था और संबद्ध क्षेत्र |
संदर्भ:
- भारत का बीमा विकास प्राधिकरण (IRDA) ऐसी योजना बनाने का प्रयास कर रहा है, जिससे भारत में एक सस्ती एकल पॉलिसी के तहत स्वास्थ्य, जीवन, संपत्ति और दुर्घटना को कवर किया जायेगा और जिसका निपटान कुछ ही घंटों के भीतर हो सकेगा।
- यह पॉलिसी वैल्यू एडेड सेवाओं को भी कवर करेगी।
इसकी आवश्यकता क्यों?
- देश में खराब बीमा विस्तार में सुधार करने के महत्वाकांक्षी प्रयास में, बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) द्वारा नागरिकों को कई जोखिमों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक नया किफायती बीमा कवर तैयार किया जा रहा है, और मृत्यु के पंजीकरण को एक प्लेटफार्म पर लाकर दावों के निपटान में तेजी लाने का प्रयास किया जा रहा है।
- ये पहलें एक व्यापक सुधार का हिस्सा हैं जिसमें बैंकिंग क्षेत्र की तरह ही बड़ी कंपनियों के लिए अलग-अलग लाइसेंसों के माध्यम से अधिक निवेश आकर्षित करने का प्रयास किया जायेगा।
- इसके लिए विधायी संशोधनों सहित - सभी नागरिकों के लिए "उपलब्ध, सस्ती और सुलभ" बीमा पॉलिसी बनाने पर ध्यान दिया जायेगा।
- इसके साथ ही इसका विस्तार "ग्राम पंचायत से जिला और राज्य स्तर तक होगा।
यूपीआई जैसा महत्त्व
- विनियामक का मानना है कि इन बदलावों से इस क्षेत्र में नौकरियों की संख्या दोगुनी होकर 1.2 करोड़ हो जाएगी।
- IRDA प्रमुख के अनुसार सामान्य और जीवन बीमा फर्मों के साथ मिलकर बनाई गई एक योजना के माध्यम से बीमा क्षेत्र को "UPI" जैसा बनाने का प्रयास कर रहे हैं जिसे उन्होंने "बीमा ट्रिनिटी" कहा है।
नया प्लेटफॉर्म
- एक नया “बीमा सुगम” प्लेटफॉर्म बीमाकर्ताओं और वितरकों को एक ही प्लेटफॉर्म पर एकीकृत करेगा ताकि इसे ग्राहकों के लिए ‘वनस्टॉप शॉप’ बनाया जा सके, जिसके द्वारा बाद में इसी पोर्टल के माध्यम से सेवा और दावों का निपटान किया जा सके।
- विनियामक द्वारा साथ-साथ एक उत्पाद - बीमा विस्तार - विकसित कर रहा है – जिसमें एक साथ ही जीवन, स्वास्थ्य, संपत्ति और हताहतों या दुर्घटनाओं के लिए जोखिम कवर होगा, जिसमें प्रत्येक जोखिम के लिए परिभाषित लाभ होंगे जिनका भुगतान सामान्य से अधिक तेजी से किया जा सकता है और इसके लिए किसी सर्वेक्षण कर्ता की आवश्यकता नहीं होगी।
क्या किया जायेगा?
- IRDA प्रमुख के अनुसार बैंकों को, बीमा प्रीमियम के भुगतान के लिए ऑटोडेबिट प्राधिकृत, किया जा सकता है।
- प्रत्येक ग्राम सभा में बीमा वाहकों के रूप में महिलाओं का चयन किया जायेगा।
- इनका काम प्रत्येक परिवार की महिला प्रमुखों से मिलना और उन्हें यह समझाने का प्रयास करना होगा कि “बीमा विस्तार” जैसा समग्र बीमा उत्पाद "किसी संकट के उत्पन्न होने पर काम आ सकता है"।
गेम चेंजर
- इस योजना के लागु होने के बाद "एक पॉलिसी धारक को बस इतना करना होगा कि वह “बीमा सुगम” प्लेटफॉर्म पर जाए, बीमाकर्ताओं के रिपॉजिटरी और मृत्यु प्रमाण पत्र से अपनी पॉलिसी लेने के लिए अपनी सहमति दे।
- इसके बाद बीमा धारक के खाते में उसी दिन या अधिकतम अगले दिन तक बैंक खाते में पैसा आ जाएगा।
- इस प्रकार यह गेम चेंजर साबित होगा।
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI)
- भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI), भारत में बीमा क्षेत्र के समग्र पर्यवेक्षण और विकास के लिए संसद के एक अधिनियम, अर्थात, बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 (IRDA अधिनियम, 1999) के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।
- प्राधिकरण की शक्तियां और कार्य IRDA अधिनियम, 1999 और बीमा अधिनियम, 1938 में निर्धारित किए गए हैं। बीमा अधिनियम, 1938 भारत में बीमा क्षेत्र को नियंत्रित करने वाला प्रमुख अधिनियम है।
- यह IRDAI को विनियम बनाने की शक्ति प्रदान करता है जो बीमा क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं के पर्यवेक्षण के लिए नियामक ढांचा निर्धारित करता है।
- IRDA अधिनियम, 1999 की धारा 14 प्राधिकरण के कर्तव्यों, शक्तियों और कार्यों को निर्दिष्ट करती है।
- IRDAI के प्रमुख उद्देश्यों में पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करना, बीमा उद्योग का त्वरित और व्यवस्थित विकास, वास्तविक दावों का त्वरित निपटान, प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र, बीमा से निपटने वाले वित्तीय बाजारों में निष्पक्षता, पारदर्शिता और व्यवस्थित आचरण को बढ़ावा देना, विवेकपूर्ण विनियमन सुनिश्चित करते हुए शामिल हैं।
- बीमा बाजार की वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना भी इसके कार्यों में शामिल है।