प्रारंभिक परीक्षा (भारतीय राज्यतंत्र और शासन- संविधान, राजनीतिक प्रणाली) मुख्य परीक्षा (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता एवं जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ व संभावनाएँ; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता तथा जवाबदेही और संस्थागत एवं अन्य उपाय) |
संविधान संशोधनप्रस्तावित संशोधनों को संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत विशेष बहुमत के माध्यम से लोकसभा एवं राज्यसभा दोनों में पारित किया जाना चाहिए। इसके लिए निम्न दो शर्तें पूरी होनी चाहिए-
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अनुच्छेद 82 |
अनुच्छेद 82 परिसीमन से संबंधित है, जो प्रत्येक दशकीय जनगणना के बाद राज्यों के बीच लोकसभा सीटों के आवंटन का पुनर्समायोजन है। |
अनुच्छेद 83 |
अनुच्छेद 83 संसद के सदनों की अवधि निर्धारित करता है। इसके अनुसार, राज्यसभा भंग नहीं होती है और इसके एक-तिहाई सदस्य हर दूसरे वर्ष सेवानिवृत्त होते हैं; जबकि, लोकसभा का कार्यकाल पांच वर्ष तक का निर्धारित है जब तक कि इसे निर्धारित अवधि से पहले भंग न कर दिया जाए। |
अनुच्छेद 172 |
यह राज्य विधानसभाओं के चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति से संबंधित है। |
अनुच्छेद 327 |
संविधान के अनुच्छेद 327 में ‘निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन’ शब्दों के पश्चात् ‘एक साथ निर्वाचनों का संचालन’ शब्द अंतःस्थापित किए जाएंगे (चुनाव से संबंधित प्रावधान बनाने की संसद की शक्ति)। |
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