(प्रारंभिक परीक्षा : आर्थिक और सामाजिक विकास- गरीबी, समावेशन, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र 2 और 3 - सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप, सार्वजनिक वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय)
संदर्भ
उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों को ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ (ONORC) प्रणाली को लागू करने का निर्देश दिया, जिसके अंतर्गत 31 जुलाई तक ‘अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी’ की अनुमति दी गई है।
एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड
- एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना का उद्देश्य प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों को ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013’ के तहत देश में कहीं भी, किसी भी उचित मूल्य की दुकान (Fair Price Shop) से वहनीय मूल्य पर राशन खरीदने में सक्षम बनाना है।
- उदाहरणार्थ, उत्तर प्रदेश का एक प्रवासी श्रमिक मुंबई में पी.डी.एस. लाभ प्राप्त करने में सक्षम होगा, जहाँ वह काम की तलाश में गया होगा। जबकि कोई व्यक्ति एन.एफ.एस.ए. के तहत अपनी पात्रता के अनुसार उस स्थान पर खाद्यान्न खरीद सकता है, जहाँ वह रह रहा है। साथ ही, उसके परिवार के सदस्य अपने मूल निवास पर अपने राशन डीलर से अपना राशन प्राप्त कर सकते हैं।
- पुराने हो चुके सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में इस सुधार को बढ़ावा देने के लिये केंद्र सरकार ने राज्यों को विभिन्न प्रकार से प्रोत्साहित किया है।
- केंद्र ने विगत वर्ष कोविड-19 के दौरान राज्यों को अतिरिक्त ऋण लेने के लिये ‘एक पूर्व शर्त’ के रूप में ओ.एन.ओ.आर.सी. के कार्यान्वयन को भी अभिनिर्धारित किया था।
- ओ.एन.ओ.आर.सी. सुधार को क्रियान्वित करने वाले 17 राज्यों को वर्ष 2020-21 में अतिरिक्त ₹37,600 करोड़ उधार लेने की अनुमति दी गई थी।
ओ.एन,ओ.आर.सी. की कार्यप्रणाली
- ओ.एन,ओ.आर.सी. विभिन्न प्रौद्योगिकी पर आधारित है, जिसमें लाभार्थियों के राशन कार्ड, आधार संख्या और ‘इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ़ सेल’ (ePoS) का विवरण शामिल है।
- यह प्रणाली, उचित मूल्य की दुकानों पर ई.पी.ओ.एस. उपकरणों पर ‘बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण’ के माध्यम से लाभार्थी की पहचान करती है।
- यह प्रणाली, दो पोर्टल से संचालित होती है; सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एकीकृत प्रबंधन (IM-PDS) तथा अन्न वितरण (annavitran.nic.in), जो सभी प्रासंगिक आँकड़ें को ‘होस्ट’ करता है।
- जब कोई राशन कार्ड धारक उचित मूल्य की दुकान पर जाता है, तो वह ई.पी.ओ.एस. पर बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से अपनी पहचान करता है, जो वास्तविक समय में अन्न वितरण पोर्टल पर विवरण के साथ मेल करता है।
- राशन कार्ड का विवरण सत्यापित होने के पश्चात् डीलर लाभार्थी को राशन देता है। इसके अतिरिक्त, ‘अन्न वितरण पोर्टल’ अंतर-राज्य हस्तांतरण का रिकॉर्ड रखता है, अंतर-ज़िला और अंतरा-ज़िला, आई.एम.-पी.डी.एस. पोर्टल अंतर-राज्य हस्तांतरण को रिकॉर्ड करता है।
लाभार्थियों की संख्या
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत, लगभग 81 करोड़ नागरिक, ₹3 प्रति किलोग्राम चावल, ₹2 प्रति किलोग्राम गेहूँ तथा ₹1 प्रति किलोग्राम के वहनीय मूल्य पर मोटे अनाज निर्दिष्ट उचित मूल्य की दुकानों से खाद्यान्न खरीदने का पात्र हैं।
- 28 जून, 2021 तक देश भर में करीब 5.46 लाख उचित मूल्य की दुकानें तथा 23.63 करोड़ राशन कार्ड धारक हैं।
- प्रत्येक एन.एफ.एस.ए. राशन कार्ड धारक को उस स्थान के पास एक उचित मूल्य की दुकान निर्दिष्ट है, जहाँ उसका राशन कार्ड पंजीकृत है।
ओ.एन.ओ.आर.सी. लॉन्च करने के कारक
- ओ.एन.ओ.आर.सी. से पहले, एन.एफ.एस.ए. लाभार्थी पहले से निर्दिष्ट उचित मूल्य की दुकान के अधिकार क्षेत्र से बाहर अपने पी.डी.एस. लाभों को प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे।
- सरकार ने ओ.एन.ओ.आर.सी. अवधारणा लाभार्थियों को किसी भी उचित मूल्य की दुकान से लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से शुरू की है।
- राशन कार्डों की 100 प्रतिशत ‘आधार-सीडिंग’ के बाद पूर्ण कवरेज संभव होगा तथा सभी उचित मूल्य की दुकानों को ई.पी.ओ.एस. उपकरणों द्वारा कवर किया जाएगा (वर्तमान में देश भर में 4.74 लाख उपकरण स्थापित है)।
- ओ.एन.ओ.आर.सी. को अगस्त 2019 में लॉन्च किया गया था। हालाँकि, राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी पर कार्य, अप्रैल 2018 में ही आई.एम.-पी.डी.एस. के लॉन्च के साथ शुरू हो गया था।
- पी.डी.एस. में सुधार करने का विचार ऐतिहासिक रूप से ‘अक्षमता और लिकेज’ को समाप्त करने से प्रभावित रहा है।
- ओ.एन.ओ.आर.सी.को आरंभिक तौर पर एक अंतर-राज्यीय पायलट योजना के रूप में शुरू किया गया था। हालाँकि, जब विगत वर्ष कोविड -19 ने हजारों प्रवासी श्रमिकों को अपने गाँवों में लौटने के लिये मज़बूर किया तो इस योजना के ‘रोलआउट’ में तेज़ी लाने की आवश्यकता को महसूस की गई।
- कोविड-19 आर्थिक पैकेज के एक भाग के रूप में, केंद्र सरकार ने मार्च 2021 तक सभी राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों में ओ.एन.ओ.आर.सी. के ‘राष्ट्रीय रोलआउट’ की घोषणा की थी।
योजना का वर्तमान दायरा
- अब तक, 32 राज्य और संघ राज्यक्षेत्र, ओ.एन.ओ.आर.सी. योजना में शामिल हो चुके हैं, जिसमें लगभग 69 करोड़ एन.एफ.एस.ए. लाभार्थियों को शामिल किया गया है। चार राज्य; असम, छत्तीसगढ़, दिल्ली तथा पश्चिम बंगाल अभी तक इस योजना में शामिल नहीं हैं।
- केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार, ओ.एन.ओ.आर.सी. के तहत हर माह औसतन 1.35 करोड़ पोर्टेबिलिटी हस्तांतरण दर्ज किये जा रहे हैं।
- अगस्त 2019 में, ओ.एन.ओ.आर.सी. की स्थापना के बाद से इन सभी राज्यों / संघ राज्यक्षेत्रों में कुल 27.83 करोड़ से अधिक पोर्टेबिलिटी हस्तांतरण (अंतर-राज्य लेनदेन सहित) हुए हैं, जिनमें से लगभग 19.8 करोड़ पोर्टेबिलिटी हस्तांतरण, अप्रैल 2020 से मई 2021 की कोविड-19 अवधि के दौरान दर्ज किये गए हैं।
चार राज्यों द्वारा क्रियान्वित न किये जाने के कारण
- चार राज्यों द्वारा क्रियान्वित न किये जाने के विभिन्न कारण हैं। उदाहरणार्थ, दिल्ली ने अभी तक उचित मूल्य की दुकानों में ई.पी.ओ.एस. का प्रयोग शुरू नहीं किया है, जो कि ओ.एन.ओ.आर.सी. के क्रियान्वयन के लिये एक आवश्यक है।
- पश्चिम बंगाल के मामले में, राज्य सरकार ने माँग की है कि गैर-एन.एफ.एस.ए. राशन कार्ड धारकों को राज्य सरकार द्वारा जारी किये गए राशन कार्ड को भी ओ.एन.ओ.आर.सी. के तहत कवर किया जाना चाहिये।