(प्रारंभिक परीक्षा : अर्थव्यवस्था)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र : 3 - सरकारी बजट, भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।)
संदर्भ
हाल ही में प्रस्तुत बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री ने एकल-व्यक्ति कंपनियों (One Person Companies - OPC) की स्थापना से जुड़े मानदंडों को आसान बनाने के उपायों की घोषणा की थी।
ओ.पी.सी. क्या है?
- जैसा कि नाम से स्पष्ट है, एकल-व्यक्ति कंपनी ऐसी कंपनी होती है, जिसे केवल एक शेयरधारक द्वारा भी बनाया जा सकता है।
- ये कंपनियाँ निजी कंपनियों से अलग होती हैं, क्योंकि निजी कम्पनियों की स्थापना के लिये न्यूनतम दो सदस्यों की आवश्यकता होती है।
- यद्यपि यदि व्यावहारिक उद्देश्यों की बात की जाय तो ये निजी कंपनियों की तरह ही होती हैं।
- हालाँकि, एक अवधारणा के रूप में ओ.पी.सी. की शुरुआत होने से पहले भी व्यवसाय करने के आकांक्षी व्यक्ति के लिये विकल्प मौजूद थे। कोई व्यक्ति ‘एकल स्वामित्व’ मोड के माध्यम से भी व्यवसाय में प्रवेश कर सकता है।
ऐसी कंपनियों की आवश्यकता क्यों है?
- एकल-व्यक्ति कंपनी और एकल स्वामित्व में काफी भिन्नता है और कानूनी तौर पर उन्हें अलग-अलग माना जाता है।
- एकल-व्यक्ति कंपनी के मामले में, व्यक्ति और कंपनी को अलग-अलग कानूनी इकाई माना जाता है।जबकि एकल स्वामित्व के मामले में मालिक और व्यवसाय को एक इकाई माना जाता है।
- दायित्व के मामले में भी महत्त्वपूर्ण अंतर दिखता है। एकल-व्यक्ति कंपनी में, मालिक के रूप में देयता उस व्यक्ति के निवेश तक सीमित होती है, जबकि एकल स्वामित्व में मालिक के रूप में व्यक्ति की असीमित देयता होती है क्योंकि उन्हें अलग-अलग कानूनी इकाई नहीं माना जाता है।
- छोटे व्यवसायों के निगमीकरण को प्रोत्साहित करने के लिये व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लेते समय उद्यमियों के लिये एकल-व्यक्ति कम्पनी का विकल्प होना उपयोगी है।
क्या यह एक नया विचार है?
- इस तरह की अवधारणा पहले से ही कई देशों में मौजूद है।भारत में इस अवधारणा को वर्ष 2013 के कंपनी अधिनियम में पेश किया गया था।
- इसकी शुरूआती अवधारणा कंपनी कानूनों पर बनाई गई जे. ईरानी समिति की रिपोर्ट के सुझावों पर आधारित थी, जिसने वर्ष 2005 में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की थीं।
- समिति ने कहा था कि छोटी कंपनियाँ भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देंगी।
- लेकिन उनके आकार के कारण, उन्हें बड़ी सार्वजनिक-सूचीबद्ध कंपनियों के अनुपालन से जुड़ी आवश्यकताओं के बराबर का बोझ नहीं डाला जा सकता।
ओ.पी.सी. की विशेषताएँ
- एकल-व्यक्ति कंपनियों को वार्षिक आम बैठक आयोजित करने की आवश्यकता नहीं है, जो अन्य कंपनियों के लिये एक आवश्यक है।
- एकल-व्यक्ति कंपनी को अपने वार्षिक रिटर्न पर कंपनी सचिव और निदेशक दोनों के हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं होती है, किसी एक के हस्ताक्षर पर्याप्त हैं।
- यद्यपि अभी तक आलोचना की जाती थी कि एकल-व्यक्ति कंपनी को नियंत्रित करने वाले कुछ नियम प्रकृति में प्रतिबंधात्मक हैं लेकिन इस वर्ष के बजट में इससे जुड़ी बातों पर ध्यान दिया गया है और इन प्रतिबंधात्मक नियमों को आसान बनाने से जुड़े उपायों पर ध्यान दिया गया है।
भारत में कितने ओ.पी.सी. हैं?
- कॉरपोरेट सेक्टर पर मासिक सूचना बुलेटिन (Information Bulletin on Corporate Sector) द्वारा संकलित आँकड़ों के अनुसार, भारत में कुल 3 मिलियन सक्रिय कंपनियों में से 34,235 एकल-व्यक्ति कम्पनियाँ हैं (दिसंबर 2020 तक)।
- आँकड़े यह भी दर्शाते हैं कि आधे से अधिक ओ.पी.सी. व्यावसायिक सेवाओं से जुड़ी हुई हैं।