भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र में अनुसंधान को बेहतर बनाने के उद्देश्य से 16 जुलाई को 'एक वैज्ञानिक, एक उत्पाद' कार्यक्रम शुरू किया।
एक वैज्ञानिक, एक उत्पाद योजना के बारे में
- लक्ष्य : इस योजना के अंतर्गत आई.सी.ए.आर. (ICAR) ने संस्थान के सभी 5,521 वैज्ञानिकों को एक उत्पाद, एक तकनीक, एक मॉडल, एक अवधारणा या एक अच्छा प्रकाशन (पेपर) प्रस्तुत करने का लक्ष्य दिया है।
- उद्घाटन : एक वैज्ञानिक, एक उत्पाद कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया।
- निगरानी : हर वर्ष की शुरुआत में वैज्ञानिक या वैज्ञानिकों के एक समूह को उत्पाद की पहचान करनी होगी और आई.सी.ए.आर. वैज्ञानिक या समूह के काम को मैप करेगा।
- इसके तहत हर तीन महीने में संस्थान स्तर पर और हर छह महीने में मुख्यालय स्तर पर इसकी निगरानी की जाएगी।
- योजना अवधि : यह योजना पांच वर्ष तक जारी रहेगी। इस वर्ष उच्च उपज वाले तिलहन एवं दलहन किस्मों के लिए बीज केंद्रों को प्राथमिकता दी जा रही हैं।
- आई.सी.ए.आर. केंद्र की 100 दिवसीय कार्ययोजना के तहत 100 दिनों में 100 नई बीज किस्में और 100 कृषि तकनीक विकसित करने पर भी काम कर रहा है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का प्रयास
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 96वें स्थापना दिवस के अवसर पर अनाज, तिलहन, चारा फसलों और गन्ने सहित 56 फसलों की 323 किस्मों को औपचारिक रूप से जारी करने की घोषणा की गयी।
- इन फसलों में से 289 जलवायु-अनुकूल किस्में और 27 जैव-संवर्धित किस्में शामिल हैं।
- आई.सी.ए.आर. के अनुसार, प्रजनक बीजों (Breeder Seeds) की मदद से वर्ष 2023-24 के दौरान लगभग 16 मिलियन हेक्टेयर (Mha) भूमि विभिन्न फसलों की बायो-फोर्टिफाइड किस्मों के अंतर्गत है। इसमें गेहूं, चावल, बाजरा, मसूर एवं सरसों शामिल हैं।
- वर्ष 2014-15 से 2023-24 तक कुल 2,593 उच्च उपज वाली किस्में जारी की गईं। इनमें 83% जलवायु-लचीली किस्में शामिल हैं, जिनमें जैविक व अजैविक तनाव प्रतिरोधक (Biotic and Abiotic Stress Resistance) क्षमता है।
- 150 जैव-संवर्धित फसल किस्में शामिल हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)
- क्या है : कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के अंतर्गत एक स्वायत्त संगठन
- मुख्यालय : नई दिल्ली
- पूर्व नाम : इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च
- स्थापना : 1929 में रॉयल कमीशन ऑन एग्रीकल्चर की रिपोर्ट के आधार पर सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में
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