(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने ‘एक राज्य-एक आर.आर.बी.’ के सिद्धांत पर 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) के विलय को अधिसूचित किया है।
एक राज्य-एक आर.आर.बी. सिद्धांत के बारे में
पृष्ठभूमि
- व्यास समिति की सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार ने वर्ष 2004-05 में आर.आर.बी. का समेकन शुरू किया।
- तीन चरणों के माध्यम से वर्ष 2020-21 तक आर.आर.बी. की संख्या 196 से घटाकर 43 कर दी गई।
- वर्तमान में यह आर.आर.बी. के विलय का चौथा चरण है।
क्या है एक राज्य-एक आर.आर.बी. सिद्धांत
- इस सिद्धांत के अनुसार, प्रत्येक राज्य में अनेक आर.आर.बी. के स्थान पर केवल एक आर.आर.बी. होगा जो किसी प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक द्वारा प्रायोजित होगा।
- उदाहरण : बिहार में दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक को मिलाकर बिहार ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा, जिसका मुख्यालय पटना में होगा और यह पंजाब नेशनल बैंक द्वारा प्रायोजित होगा।
वर्तमान स्थिति
- वर्तमान में 26 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 43 आर.आर.बी. कार्यरत हैं।
- विलय के बाद 26 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 28 आर.आर.बी. होंगे। 700 जिलों में इनकी 22000 से अधिक शाखाएँ होंगी।
- विलय की प्रभावी तिथि 1 मई, 2025 निर्धारित की गई है।
- राजपत्र अधिसूचना के अनुसार 11 राज्यों (आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा व राजस्थान) में आर.आर.बी. को क्रमशः एक इकाई में विलय किया जाना है ताकि इनमें से प्रत्येक ‘एक राज्य-एक आर.आर.बी.’ के लक्ष्य को साकार कर सके।
- इनके संचालन का मुख्य क्षेत्र ग्रामीण परिवेश है जिसमें लगभग 92% शाखाएँ ग्रामीण/अर्ध शहरी क्षेत्रों में हैं।
कानूनी प्रावधान
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 की धारा 23ए(1) के तहत प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप, ये आर.आर.बी. सार्वजनिक हित में एक एकल इकाई में विलय हो जाएंगे।
- जैसे- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, इंडियन बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा प्रायोजित चैतन्य गोदावरी ग्रामीण बैंक, आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक, सप्तगिरि ग्रामीण बैंक और आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक को आंध्र प्रदेश ग्रामीण बैंक के नाम से एक एकल क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में समाहित कर दिया गया है।
आर.आर.बी. के बारे में
- स्थापना : 26 सितंबर, 1975 को एक अध्यादेश द्वारा (बाद में आर.आर.बी. अधिनियम, 1976 के तहत स्थापित)।
- उद्देश्य : कृषि, व्यापार एवं लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए छोटे किसानों, मजदूरों, कारीगरों व ग्रामीण उद्यमियों को ऋण तथा बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करना।
- स्थापना : प्रायोजक बैंक के अनुरोध पर केंद्र सरकार द्वारा स्थापित।
- संयुक्त स्वामित्व : केंद्र सरकार (50%), राज्य सरकार (15%) और प्रायोजक बैंक (35%) का स्वामित्व
- पर्यवेक्षण एवं विनियमन
- बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमिन किया जाता है।
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का पर्यवेक्षण नाबार्ड करता है।
- कर उद्देश्यों के लिए उन्हें आयकर अधिनियम, 1961 के तहत सहकारी समितियों के रूप में माना जाता है।
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