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वित्तीय संस्थानों में संरचनात्मक सुधारों की ओर एक कदम

(प्रारंभिक परीक्षा- आर्थिक और सामाजिक विकास)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति व विकास से संबंधित विषय)

संदर्भ

भारतीय रिज़र्व बैंक ने खुदरा निवेशकों को सरकारी प्रतिभूति बाज़ारों तक सीधी पहुँच प्रदान करने के लिये केंद्रीय बैंक में ‘गिल्ट खाते’ खोलने की अनुमति प्रदान की है। इसे रिज़र्व बैंक द्वारा संरचनात्मक सुधार की दिशा में एक प्रमुख कदम के रूप में देखा जा रहा है।

क्या है गिल्ट अकाउंट?

  • ‘गिल्ट खाता’ सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने और संधारित करने के लिये खोला गया एक बैंक खाता है, जिसमें डेबिट या क्रेडिट, केवल ट्रेज़री बिल या सरकारी प्रतिभूतियों के माध्यम से किया जाता है।
  • ट्रेज़री बिल या सरकारी प्रतिभूतियों के क्रय करने पर उन्हें गिल्ट खाते में क्रेडिट तथा विक्रय करने पर डेबिट में दर्ज़ किया जाएगा।
  • ऐसे खातों में रखे गए ट्रेज़री बिल और सरकारी प्रतिभूतियों का लाभकारी स्वामित्त्व घटक निवेशकों के साथ निहित होता है, जिन्हें गिल्ट अकाउन्ट होल्डर्स (GAH) के रूप में जाना जाता है।

मुख्य बिंदु

  • यह खुदरा निवेशकों को बिना मध्यस्थों के सीधे तौर पर ‘गिल्ट खाते’ के माध्यम से सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने में मदद करेगा।
  • निवेशक सीधे रिज़र्व बैंक की ‘ई-कुबेर’ प्रणाली का उपयोग करके ‘बोली लगाने की प्रक्रिया’ में भाग ले सकते हैं। रिज़र्व बैंक के अनुसार यह प्रावधान किसी भी तरह से म्यूचुअल फंड स्कीम और बैंक डिपॉज़िट में निवेशकों के फंड प्रवाह में बाधक नहीं बनेगा।
  • सरकारी प्रतिभूतियों के खरीद-फ़रोख्त के मामले में खुदरा निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिये केंद्र सरकार तथा रिज़र्व बैंक ने कई कदम उठाए हैं।
  • इनमें प्राथमिक नीलामी के समय गैर-प्रतिस्पर्धी बोली लगाना, प्राथमिक खरीद को दिशा प्रदान करने के लिये स्टॉक एक्सचेंज को अनुमति देना तथा खुदरा उपभोक्ता वस्तुओं के लिये द्वितीयक बाज़ार का रणनीतिक उपयोग करने की अनुमति देना शामिल है।
  • इन प्रयासों में खुदरा निवेशकों की सरकारी प्रतिभूति बाज़ारों तक ऑनलाइन पहुँच प्रदान करना प्रस्तावित है। यह निवेशक आधार को व्यापक बनाने के साथ-साथ खुदरा निवेशकों को सरकारी प्रतिभूति बाज़ार में भाग लेने के लिये सुविधाजनक पहुँच प्रदान करेगा।
  • यह कदम भारत को यू.एस, ब्राज़ील जैसे चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल होने में मदद करेगा, जिनके पास ऐसी सुविधाएँ हैं। संभवतः भारत ऐसा करने वाला एशिया का पहला देश है।
  • जी-सेक (G-Sec) बाज़ार में खुदरा भागीदारी की अनुमति घरेलू बचत के वित्तीयकरण की दिशा में एक साहसिक और परिवर्तनकारी कदम हो सकता है। आर.बी.आई. जल्द ही इस संदर्भ में गिल्ट खातों को खोलने संबंधी दिशानिर्देश जारी करेगा।

सरकारी प्रतिभूतियाँ  

  • सरकारी प्रतिभूतियाँ (G-Sec) सरकार द्वारा धन जुटाने के लिये जारी किये गए ऋण प्रपत्र हैं। केंद्र या राज्य सरकारें फंड की आवश्यकता तथा तरलता संकट की स्थिति में बाज़ार से धन जुटाने के लिये ऐसे बांड जारी करती हैं।
  • यह अल्प व दीर्घ अवधि के लिये जारी किये जाते हैं, जिसके आधार पर इन्हें प्रमुख रूप से 2 श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है-
    1. ट्रेज़री बिल– ये अल्पकालिक साधन है जिनकी परिपक्वता अवधि 91 दिन, 182 दिन या 364 दिन होती है।
    2. दिनांकित प्रतिभूतियाँ– ये दीर्घकालिक साधन है, जिनकी परिपक्वता अवधि 5 वर्ष से 40 वर्ष के बीच होती है।
  • सावधि जमा के समान G-Sec कर से मुक्त नहीं हैं। इन्हें निवेश का सबसे सुरक्षित रूप माना जाता है, क्योंकि वे सरकार द्वारा समर्थित हैं। इनमें जोखिम कम होता है परंतु ब्याज दरों में होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण वे पूरी तरह से जोखिम मुक्त नहीं हैं।
  • दूसरी ओर डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) द्वारा केवल 5 लाख रुपये तक की सावधि जमा की गारंटी दी जाती है।
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