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‘वन सन - वन वर्ल्ड - वन ग्रिड’ योजना

(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ ; मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 : विषय – सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, विकास से सम्बंधित मुद्दे, भारत और उसके पड़ोसी सम्बंध, भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते, वैश्विक समूह, भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों का प्रभाव, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ, अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और समझौते, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 : पर्यावरण संरक्षण)

हाल ही में, भारत सरकार ने 'वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड' (One Sun One World One Grid-OSOWOG) योजना की शुरुआत करने की बात की है।

यह योजना वैश्विक सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिये एक विशेष रूपरेखा पर केंद्रित है, जो परस्पर नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों (मुख्य रूप से सौर ऊर्जा) के ऐसे वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करती है जिसे अबाध रूप से सभी देशों के साथ साझा किया जा सकता है।

प्रमुख बिंदु :

  • OSOWOG के पीछे का मुख्य दर्शन है 'द सन नेवर सेट्स' अर्थात सूर्य कभी नहीं डूबता और चूँकि सूर्य किसी भी भौगोलिक स्थान पर किसी विशेष समय पर स्थिर ही रहता है अतः यह योजना भी विश्व मेंऊर्जा क्षेत्र में स्थिरता लाएगी, ऐसा अनुमान है।
  • यह किसी भी देश द्वारा शुरू की गई सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है।
  • इसे विश्व बैंक की तकनीकी सहायता कार्यक्रम के तहत शुरू किया गया है।
  • OSOWOG की योजना को भारत द्वारा सह-स्थापित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का भी लाभ मिल सकता है, जिसमें 67 देश सदस्य हैं।
    • सौर स्पेक्ट्रम को आसानी से दो व्यापक क्षेत्रों (भारत जिनके बीच में स्थित है) में विभाजित किया जा सकता है, जो निम्न हैं:
    • सुदूर पूर्व में म्यांमार, वियतनाम, थाईलैंड, लाओस, कम्बोडिया आदि जैसे देश शामिल हैं।
    • सुदूर पश्चिम में इसमें मध्य पूर्व के देश और अफ्रीका के क्षेत्र शामिल हैं।
  • योजना के तीन चरण :
    • पहला चरण: यह चरण मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया (MESASEA) के पारस्परिक सम्बंधों से जुड़ा हुआ है।
    • सीमा पार ऊर्जा व्यापार को बढ़ावा देना भारत की पड़ोसी-प्रथम नीति का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
    • भारत, बांग्लादेश और नेपाल को बिजली की आपूर्ति कर रहा है और उपमहाद्वीपीय क्षेत्र में बिजली की माँग को पूरा करने के लिये सार्क बिजली ग्रिड में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
    • प्रारम्भिक योजनाओं में ओमान के साथ समुद्र के नीचे से लिंक स्थापित करना भीशामिल है।
  • दूसरा चरण: यह चरण MESASEA ग्रिड के साथ अफ्रीकी पावर पूल के साथ जुड़ा हुआ है।
  • तीसरा चरण: यह चरण वैश्विक अंतर्सम्बंधों के बारे में है।

महत्त्व:

  • प्रस्तावित एकीकरण से सभी प्रतिभाग करने वाले देशों की ऊर्जा परियोजनाओं में लगने वाले खर्चे में कमी आएगी,सभी की उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और इन देशों की परिसम्पत्तियों में वृद्धि होगी।
  • इस योजना के लिये केवल वृद्धिशील निवेश की आवश्यकता होगी क्योंकि मौजूदा ग्रिड सिस्टम के साथ ही काम करने के कारण किसी अन्य समानांतर ग्रिड अवसंरचना की आवश्यकता नहीं होगी।
  • यह नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश को आकर्षित करने के साथ-साथकौशल, प्रौद्योगिकी और वित्त का उपयोग करने में सभी प्रतिभागी देशों की मदद करेगा।
  • आर्थिक लाभ के परिणाम स्वरूप पानी, स्वच्छता, भोजन और गरीबी उन्मूलन आदि अन्य सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को कम करने में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे।
  • यह भारत में राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा प्रबंधन केंद्रों को क्षेत्रीय और वैश्विक प्रबंधन केंद्रों के रूप में विकसित करने में सहायक होगा।
  • कोविड-19 महामारी के दौरान यह कदम , भारत की वैश्विक रणनीतियों को विकसित करने और सम्पूर्ण विश्व का नेतृत्व करने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है।

पृष्ठभूमि:

  • भारत पहले से ही लगभग10 बिलियन अमरीकी डॉलर की पूँजी के साथ विश्व सौर बैंक (WSB) को स्थापित करने के लियेISA की योजनाओं में तेज़ी ला रहा है।
  • विश्व सौर बैंक का उद्देश्य भी अन्य नव-निर्मित वैश्विक वित्त-पोषण संस्थानों जैसे एशियाई इन्वेस्टमेंट बैंक (ए.आई.आई.बी.) और न्यू डेवलपमेंट बैंक (एन.डी.बी.) के साथ व्यापारिक प्रतिस्पर्धा करना है।
  • OSOWOG, अन्य उद्योग धंधों के जलवायु पर बुरे प्रभावों को कम करने के लिये स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत प्रदान करने में मदद करेगा। सदस्य देशों को वैश्विक ऊष्मन को कम करने की दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contributions-NDC) को पूरा करने में समर्थ करेगा।
  • चीन ने भी अपनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव पहल में एशिया, अफ्रीका और यूरोप सहित रेलवे, बंदरगाहों और बिजली ग्रिडों सहित अरबों डॉलर की अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश करने के लिये अनेक कार्यक्रम शुरू किये हैं।
  • OSOWOG भारत को एक प्रकार का नया रणनीतिक संतुलन स्थापित करने में मदद करेगा और एशियाई उपमहाद्वीप में बढ़ते चीनी प्रभुत्त्व को नियंत्रित भी करेगा और इससे अन्य विकासशील देशों को एक और बेहतर विकल्प भी मिलेगा।

आगे की राह :

  • यह कदम विश्व स्तर पर अक्षय ऊर्जा प्रणालियों के भविष्य की कुँजी है क्योंकि क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर परस्पर जुड़े ग्रीन ग्रिड, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर अक्षय ऊर्जा के साझाकरण और इसके संतुलन को बढ़ावा देंगे।
  • यह वैश्विक विकास से बहुत कुछ सीखने, वैश्विक कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और महामारियों से समाज को सुरक्षित रखने के लिये, समस्त विश्व में अक्षय ऊर्जा संसाधनों को साझा करने के अवसरों को पहचानने और उनके सदुपयोगको भी बढ़ावा देगा।

(स्रोत: लाइव मिंट)

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