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ऑनलाइन विवाद समाधान

(प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय राज्यतंत्र और शासन- संविधान, राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे इत्यादि)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 : कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।)

संदर्भ

  • हाल ही में, नीति आयोग ने विवादों के निपटान, रोकथाम और ऑनलाइन समाधान हेतु ‘डिज़ाइनिंग द फ्यूचर ऑफ डिस्प्यूट रिजॉल्युशन : द ओ.डी.आर. पॉलिसी प्लान फॉर इंडिया’ नामक रिपोर्ट जारी की।
  • यह रिपोर्ट वर्ष 2020 में कोविड-19 संकट के दौरान नीति आयोग द्वारा ऑनलाइन विवाद समाधान पर गठित की गई समिति द्वारा तैयार की गई है। इसकी अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए.के. सीकरी द्वारा की गई थी।
  • भारत के प्रत्येक व्यक्ति तक न्याय की प्रभावी पहुँच हेतु ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ (ODR) महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें

  • यह रिपोर्ट भारत में ओ.डी.आर. फ्रेमवर्क को अपनाने में आने वाली चुनौतियों से निपटने हेतु त्रिस्तरीय उपायों की बात करता है। ये हैं– संरचनात्मक स्तरीय, व्यवहारगत स्तरीय एवं नियामक स्तरीय।
  • यह रिपोर्ट ‘संरचनात्मक स्तर पर’ डिजिटल साक्षरता बढ़ाने, डिजिटल बुनियादी ढाँचे तक बेहतर पहुँच बनाने और ओ.डी.आर. सेवाओं को वितरित करने के लिये पेशेवरों को प्रशिक्षित करने की सिफारिश करती है।
  • ‘व्यवहारगत स्तर पर’ यह रिपोर्ट सरकारी विभागों और मंत्रालयों से जुड़े विवादों के समाधान के लिये ओ.डी.आर. अपनाने की सिफारिश करती है।
  • ‘नियामकीय स्तर पर’ यह रिपोर्ट ओ.डी.आर. प्लेटफॉर्म्स और सेवाओं को विनियमित करने के लिये एक सॉफ्ट-टच दृष्टिकोण की सिफारिश करती है। इसमें पारिस्थितिक तंत्र का विकास और नवाचारों को बढ़ावा देना शामिल है। इसमें ओ.डी.आर. सेवा प्रदाताओं को स्व-विनियमन का अधिकार देना और उनके नैतिक सिद्धांतों का निर्धारण करना भी शामिल है।
  • इस रिपोर्ट में कानूनों में आवश्यक संशोधन करके ओ.डी.आर. के लिये मौजूदा विधायी ढाँचे को मज़बूत करने पर भी ज़ोर दिया गया है। यह रिपोर्ट भारत में ओ.डी.आर. के लिये चरणबद्ध कार्यान्वयन के फ्रेमवर्क की भी पेशकश करती है।

ऑनलाइन विवाद समाधान क्या है?

  • ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ एक ऐसी डिजिटल तकनीक है, जो छोटे और मध्यम प्रवृत्ति के मामलों का समाधान करती है। इसके अंतर्गत ‘वैकल्पिक विवाद समाधान’ (Alternative Dispute Resolution) तकनीकों, जैसे– मध्यस्थता, सुलह आदि का उपयोग किया जाता है।
  • ओ.डी.आर. का उद्देश्य मध्यस्थता और बातचीत के माध्यम से न्यायिक प्रणाली के बाहर ही विवादों को हल करना है। इस तकनीक में विवादों को सुलझाने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है।

ओ.डी.आर. की आवश्यकता

  • कोविड-19 महामारी के कारण समाज के एक बड़े हिस्से को समय पर न्याय नहीं मिल सका है। पहले से चली आ रही लंबी अदालती प्रक्रियाएँ महामारी के कारण और अधिक पेचीदा हो गई है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, देश के कुल सभी मुकदमों में से लगभग 46% सरकारों से संबंधित हैं। इससे न केवल अदालतों पर, बल्कि सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता है।
  • वर्ष 2017-18 में केंद्र सरकार द्वारा केवल सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे लड़ने पर किया गया खर्च 47.99 करोड़ रुपए था। रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2020 तक देश की विभिन्न अदालतों में सरकार संबंधी 5,80,132 मामले लंबित हैं।
  • नीति आयोग ने किफायती, प्रभावी और समयबद्ध न्याय दिलाने में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए ओ.डी.आर. पहल अपनाने की सलाह दी।
  • ओ.डी.आर. न सिर्फ अदालतों के बोझ को कम कर सकेगा, बल्कि मामलों का कुशलतापूर्वक समाधान भी कर सकेगा।

निष्कर्ष

नीति आयोग की यह रिपोर्ट ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इसके माध्यम से न्याय के प्रार्थी के लिये न्याय की दक्षता और न्याय तक उसकी पहुँच बढ़ाई जा सकती है।

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