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ऑनलाइन शिक्षा पद्धति: चुनौती या अवसर

(प्रारम्भिक परीक्षा: आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: शिक्षा)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया है, जिसके माध्यम से कोविड-19 के मद्देनज़र यू.जी.सी. ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को वृहद स्तर पर नि:शुल्क ऑनलाइन कोर्स (Massive Open Online Courses- MOOC) का उपयोग करने हेतु कहा है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • छात्रों द्वारा ऑनलाइन लर्निंग कोर्स के लिये यू.जी.सी. के वर्तमान विनियमनों के अनुरूप इन पाठ्यक्रम को पूरा करके क्रेडिट का लाभ उठा जा सकता हैं।
  • ऑनलाइन कोर्स के पाठ्यक्रमों की सूची ‘स्वयं प्लेटफार्म’ पर जुलाई 2020 के सेमेस्टर हेतु अपलोड की जाएगी। साथ ही, इन कोर्स में छात्रों व शिक्षकों के साथ-साथ जीवन पर्यंत सीखने के इच्छुक लोग, वरिष्ठ नागरिक एवं गृहणियाँ भी नामांकन करा सकते हैं।

स्वयं पोर्टल (SWAYAM Portal)

  • ‘स्वयं पोर्टल’ भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry Of Human Resource Development- MHRD) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council For Technical Education- AICTE) द्वारा माइक्रोसॉफ्ट की सहायता से तैयार किया गया एक ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्म है।
  • ‘स्वयं पोर्टल’ को शिक्षा नीति के तीन सिद्धांतों की प्राप्ति के उद्देश्य से बनाया गया है। ये सिद्धांत हैं: पहुँच (ACCESS), न्याय संगतता (EQUITY) और गुणवत्ता (QUALITY)।
  • ‘स्वयं प्लेटफार्म’ के माध्यम से कक्षा 9 से परास्नातक स्तर तक के छात्र अपनी आवश्यकतानुसार कोर्स खरीद सकते हैं। यह प्लेटफार्म छात्रों के लिये मुफ्त है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC)

  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग केंद्र सरकार के अंतर्गत कार्य करने वाला एक आयोग है, जो विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को मान्यता प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें अनुदान (Grants) भी प्रदान करता है।
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग दिसम्बर 1953 में अस्तित्व में आया और विश्वविद्यालयी शिक्षा में शिक्षण, परीक्षण व अनुसंधान के मानकों के निर्धारण, समन्वय तथा रखरखाव के लिये वर्ष 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा भारत सरकार के अधीन एक वैधानिक संगठन बन गया।

ऑनलाइन शिक्षा के लाभ

  • ऑनलाइन कोर्स की सहायता से देश में सकल नामांकन की दर (Gross Enrollment Ratio) में तीव्र वृद्धि होने की सम्भावना है। उच्च शिक्षा में सकल नामांकन की दर को 2017-18 की तुलना में वर्ष 2021 तक 25.8% से बढ़ाकर 30% तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • दूरस्थ और ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से समाज के सम्वेदनशील वर्ग (दिव्यांग, महिलाएँ और गरीब) तक शिक्षा की पहुँच सुनिश्चित होती है, जिससे सामाजिक सशक्तीकरण की अवधारणा को प्रोत्साहन मिलता है।
  • ऑनलाइन शिक्षा पद्धति में छात्र या सीखने के इच्छुक व्यक्ति देश- विदेश कहीं से भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अथवा प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते है
  • ऑनलाइन शिक्षा, प्रदाता और छात्र दोनों के लिये कक्षा आधारित शिक्षण की तुलना में सस्ती होती है। इससे कई प्रकार के खर्च जैसे, यातायात, कक्षा सम्बंधी अवसंरचना और यूनिफार्म में बचत होती है।

ऑनलाइन शिक्षा की चुनौतियाँ

  • ऑनलाइन शिक्षा केवल अध्यापक आधारित शिक्षा व्यवस्था पर केंद्रित है। इसमें छात्रों की पूर्ण भागीदारी नहीं हो पाती है।
  • ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था में अध्यापकों व छात्र दोनों के सीखने की क्षमताओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि इसमें अध्यापक द्वारा छात्रों को किसी प्रकार का कौशल सिखाना कठिन है।
  • शिक्षक एक बौद्धिक व्यक्ति होने के नाते छात्रों के साथ महत्त्वपूर्ण बातचीत के माध्यम से उनमें रचनात्मक विचारों को जन्म देता है। साथ ही, भौतिक कक्षा के वातावरण में छात्र, शिक्षकों के लिये भी नए और आधुनिक पीढ़ी के विचारों का ज़रिया बनते हैं। इस प्रकार की रचनात्मक गतिविधियाँ ओपन शिक्षण या ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली में सम्भव नहीं हैं।
  • विद्यालयों या कक्षाओं में छात्रों के व्यक्तित्व में सुधार के साथ-साथ सामाजिक भय, स्टेज फियर और सम्प्रेषण कौशल में भी सुधार होता है, जोकि दूरस्थ शिक्षा व ऑनलाइन माध्यम में एक बड़ी चुनौती है।
  • ऑनलाइन शिक्षा पद्धति से बिना उद्देश्य के डिग्री ग्रहण करने के चलन में वृद्धि होने की सम्भावना है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आने की सम्भावना है।

आगे की राह

  • इस प्रकार के प्लेटफार्म केवल लॉकडाउन जैसी परिस्थितियों में कक्षा के पूरक के रूप में कार्य कर सकते है।
  • ऑनलाइन शिक्षा पद्धति कोविड-19 संकट के दौरान शिक्षा क्षेत्र में एक अच्छे विकल्प के रूप में सामने आ रही है। साथ ही, इससे शिक्षा प्रणाली के बुनियादी ढाँचे में नए और सकारात्मक परिवर्तन देखे जा रहे हैं।
  • इस बदलते वैश्विक परिदृश्य में हर रोज़ नई सम्भावनाओं का विकास हो रहा है इसलिये महामारी के इस अप्रत्याशित संकट के दौरान छात्रों के शारिरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाना चाहिये।
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