ऑर्गन-ऑन-चिप (OoC)तकनीक बायोमेडिकल अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण प्रगति है, जो एक सूक्ष्म स्तर की प्रणाली प्रदान करती है जो मानव शरीर के भौतिकीय वातावरण की नकल करती है।
यह नवीन तकनीक नए दृष्टिकोण विधियों (New Approach Methods - NAMs) के अंतर्गत आती है, जो प्रयोगशाला में मानव अंगों की कार्यप्रणाली और रोग अवस्थाओं को पुनः निर्मित करने में सक्षम है, जिससे दवा खोज, रोग मॉडलिंग और व्यक्तिगत चिकित्सा (Personalized Medicine) में क्रांतिकारी परिवर्तन आता है।
परिचय (Introduction)
ऑर्गन-ऑन-चिप डिवाइस एक ऐसी प्लेटफॉर्म तकनीक है जो सूक्ष्म द्रव प्रणाली (Microfluidic Environment) में जीवित मानव कोशिकाओं को एकीकृत करती है।
इस तकनीक में त्रि-आयामी (3D) ऊतक मॉडल को चिप पर निर्मित किया जाता है, जिससे मानव अंगों की जटिल संरचना और गतिशील कार्यप्रणाली को सटीक रूप से अनुकरण किया जा सकता है।
यह क्षमता शोधकर्ताओं को नियंत्रित प्रयोगशाला परिस्थितियों में अंग-विशिष्ट प्रतिक्रियाओं और प्रणालीगत अंतर-अंग अंतःक्रियाओं (Systemic Inter-Organ Interactions) की अभूतपूर्व समझ प्रदान करती है।
क्रियाविधि (Mechanism of Action)
3D सेल कल्चर और संरचनात्मक निर्माण (3D Cell Culture and Structural Formation)
कोशिका प्रवर्धन (Cell Seeding):
कोशिकाओं को चिप पर सटीक रूप से प्रवर्धित (Seeded) किया जाता है, जिसे पहले से एक पॉलीमर मैट्रिक्स (Polymer Matrix) से उपचारित किया जाता है। यह मैट्रिक्स मानव ऊतकों में पाए जाने वाले एक्स्ट्रासेल्युलर मैट्रिक्स (Extracellular Matrix) की नकल करता है।
3D ऊतक विकास (3D Tissue Development):
अनुकूल परिस्थितियों में, कोशिकाएँ विस्तारित (Proliferate) होकर स्वतः संगठित (Self-organize) होती हैं और 3D संरचनाएँ बनाती हैं, जो वास्तविक अंगों के ऊतकों के समान होती हैं।
अनुकरणित शारीरिक प्रवाह (Simulated Physiological Flow):
चिप में सूक्ष्म तरल (Microfluidic) चैनल होते हैं, जो रक्त संचार की नकल करते हैं और ऑक्सीजन, पोषक तत्वों और औषधीय एजेंटों की आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं।
गतिशील वातावरण (Dynamic Environment):
नियंत्रित तरल प्रवाह शरीर में होने वाली यांत्रिक शक्तियों (Mechanical Forces) जैसे शियर स्ट्रेस (Shear Stress) को अनुकरण करने में मदद करता है, जो ऊतक की कार्यक्षमता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
नये दृष्टिकोण की वैकल्पिक विधियाँ (Alternative New Approach Methods)
हालाँकि OoC तकनीक अग्रणी है, कई अन्य अभिनव 3D कल्चर तकनीकों का भी विकास किया जा रहा है:
ऑर्गेनॉइड्स (Organoids):
स्टेम कोशिकाओं (Stem Cells) के स्वतः संगठित (Self-organizing) होने से उत्पन्न छोटे अंगों के संस्करण, जो शरीर में वास्तविक अंगों की संरचना और कार्य की नकल करते हैं।
स्फेरॉइड्स (Spheroids):
3D कोशिका समुच्चय (Cell Aggregates) जो पारंपरिक दो-आयामी (2D) सेल कल्चर की तुलना में कैंसर के सूक्ष्म पर्यावरण (Tumor Microenvironment) का अधिक सटीक रूप से प्रतिनिधित्व करते हैं।
बायो-प्रिंटिंग (Bio-printing):
3D प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करके जटिल जीवित ऊतक (Living Tissues) और अंग संरचनाएँ बनाना, जिसका उपयोग पुनर्योजी चिकित्सा (Regenerative Medicine) में किया जाता है।
ऑर्गन-ऑन-चिप (OoC) तकनीक के लाभ
सटीक उपचार (Precision Therapeutics)
यह शोधकर्ताओं को विशिष्ट दवाओं के प्रभाव को मानव ऊतक मॉडलों पर परखने में सक्षम बनाता है, जिससे व्यक्तिगत उपचार योजनाओं (Personalized Treatment Regimens) का मार्ग प्रशस्त होता है।
मानव शरीर विज्ञान का सटीक अनुकरण (Accurate Simulation of Human Physiology)
OoC तकनीक मानव अंगों की कार्यप्रणाली का अत्यंत यथार्थवादी अनुकरण करती है, जो रोग तंत्र (Disease Mechanisms) और दवाओं की प्रतिक्रियाओं (Drug Responses) के अध्ययन के लिए आवश्यक है।
जटिल अंग अंतःक्रियाएँ (Complex Organ Interactions)
एक ही चिप पर कई अंग मॉडलों को आपस में जोड़ने की सुविधा उपलब्ध होती है, जिससे संपूर्ण शरीर की प्रणालीगत शारीरिक प्रतिक्रियाओं (Systemic Physiological Responses) का अध्ययन संभव हो जाता है।
नैतिक और व्यावहारिक लाभ (Ethical and Practical Benefits)
यह तकनीक पशु परीक्षण (Animal Testing) का एक नैतिक विकल्प प्रदान करती है, क्योंकि यह मनुष्यों के लिए अधिक प्रासंगिक डेटा प्रदान करती है और पशु मॉडलों पर निर्भरता कम करती है।
भारत में पहल और प्रगति (Initiatives and Advancements in India)
नए औषधि एवं नैदानिक परीक्षण नियम, 2019 में संशोधन (Amendment of New Drugs and Clinical Trials Rules, 2019)
नियामक संशोधनों के तहत अब क्लिनिकल रिसर्च (Clinical Research) में मानव ऑर्गन-ऑन-चिप मॉडलों के उपयोग की अनुमति दी गई है, जिससे नवाचारपूर्ण दवा परीक्षण विधियों (Innovative Drug Testing Methodologies) को बढ़ावा मिलता है।
जीनोम इंडिया परियोजना (Genome India Project - GIP)
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology) द्वारा 2020 में शुरू की गई इस पहल के तहत, शोधकर्ताओं को 10,000-जीनोम डेटाबेस तक पहुंच प्राप्त होती है, जिससे अंग कार्य और रोगों को प्रभावित करने वाले आनुवंशिक कारकों (Genetic Factors) पर अध्ययन संभव होता है।
भारतीय जैविक डेटा केंद्र (Indian Biological Data Centre - IBDC)
यह भारत का पहला राष्ट्रीय जीवन विज्ञान डेटा भंडार (National Repository for Life Science Data) है, जो OoC और संबंधित बायोमेडिकल क्षेत्रों में अनुसंधान को समर्थन और डेटा साझा करने की सुविधा प्रदान करता है।
फेनोम इंडिया परियोजना (Phenome India Project)
सीएसआईआर (CSIR) द्वारा संचालित इस परियोजना का उद्देश्य कोशिकाओं, ऊतकों और अंगों के फेनोटाइप (Phenotypes) का व्यापक डेटाबेस विकसित करना है, जिससे OoC मॉडलों को और अधिक परिष्कृत किया जा सके।