मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।) |
संदर्भ
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में देश में कुल 18,378 अंग प्रत्यारोपण किए गए हैं, जो एक साल में अब तक का सबसे अधिक है।
भारत में अंग प्रत्यारोपण की स्थिति
- राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) की रिपोर्ट के अनुसार :
- पहली बार एक वर्ष में 1,000 से अधिक मृत अंग दाताओं ने अंग दान किया
- मृतक-दाता प्रत्यारोपण वर्ष 2013 में 837 से बढ़कर वर्ष 2023 में 2,935 हो गया
- 63% जीवित दाता महिलाएं थीं जबकि 77% मृत दाता पुरुष थे।
- प्राप्तकर्ताओं में, 30% महिलाएं थीं, जिसमें से 47% से अधिक महिलाओं ने फेफड़े प्राप्त किए थे।
- 1,851 अंग प्रत्यारोपण विदेशी नागरिकों में किए गए हैं, उसके बाद क्रमशः राजस्थान व पश्चिम बंगाल के निवासियों में प्रत्यारोपण किया गया है।
- भारत में अंगों की कमी : प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले रोगियों और उपलब्ध अंगों के बीच बहुत बड़ा अंतर है।
- अनुमानतः हर साल लगभग 1.8 लाख लोग गुर्दे की विफलता से पीड़ित होते हैं, जबकि गुर्दे के प्रत्यारोपण की संख्या लगभग 6000 ही है।
- लगभग 2 लाख मरीज़ यकृत की विफलता या यकृत कैंसर से मरते हैं, जिनमें से लगभग 10-15% लोगों का ही समय पर यकृत प्रत्यारोपण हो पाता है।
- इसी तरह एक वर्ष में हृदय की विफलता के मामले में 10-15 हृदय प्रत्यारोपण ही किए जाते हैं।
- कॉर्निया के मामले में, प्रति वर्ष लगभग 25,000 प्रत्यारोपण किए जाते हैं, जबकि ज़रूरत 1 लाख की है।
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन
- NOTTO स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत स्थापित एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन है।
- यह सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली में स्थित है।
- इसके निम्नलिखित दो प्रभाग हैं-
- राष्ट्रीय मानव अंग और ऊतक निष्कासन व भंडारण नेटवर्क
- मानव अंग प्रत्यारोपण (संशोधन) अधिनियम 2011 के अनुसार, इसे अनिवार्य बनाया गया है।
- नेटवर्क की स्थापना शुरूआत में दिल्ली के लिए की गयी थी, जिसे अब देश के अन्य राज्यों व क्षेत्रों में विस्तारित किया जा रहा है।
- राष्ट्रीय बायोमटेरियल सेंटर
- बायोमटेरियल की खरीद, भंडारण और वितरण की गतिविधियों सहित ऊतक प्रत्यारोपण की मांगों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के ऊतक बैंक की स्थापना करना अनिवार्य किया गया है।
- इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य ऊतकों की ‘मांग’ और ‘आपूर्ति’ के बीच के अंतर को कम करना तथा विभिन्न ऊतकों की उपलब्धता में ‘गुणवत्ता आश्वासन’ सुनिश्चित करना है।
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भारत में अंग प्रत्यारोपण का कानूनी ढांचा
मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994
- उद्देश्य : चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए मानव अंगों को हटाने, भंडारण और प्रत्यारोपण की एक प्रणाली प्रदान करने और मानव अंगों में वाणिज्यिक लेनदेन की रोकथाम के लिए इसे अधिनियमित किया गया था।
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- यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 252 के प्रावधानों के अनुरूप संसद द्वारा पारित किया गया था।
- वर्तमान में यह अधिनियम आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों द्वारा अपनाया गया है।
- अंग का स्रोत : अंग दान की पात्रता मुख्य रूप से दाता की शारीरिक स्थिति (उम्र नहीं) पर आधारित होती है, जिसमें जीवित (18 वर्ष से ऊपर) और मृत व्यक्ति दोनों पात्र होते हैं।
- इस अधिनियम में किसी गैर-संबंधी के अंग प्रत्यारोपण को गैर-कानूनी घोषित किया गया था। दाता निकटतम रिश्तेदार (माता, पिता, पुत्र, पुत्री, भाई, बहन, जीवनसाथी) ही हो सकता है।
- निकट रिश्तेदार दाता के अलावा, ऐसा दाता केवल स्नेह और लगाव से या किसी अन्य विशेष कारण से दान कर सकता है; वह भी प्राधिकरण समिति की मंजूरी से।
- मृत दाता, खास तौर पर ब्रेन स्टेम की मृत्यु के बाद जैसे कि सड़क दुर्घटना आदि का शिकार।
- अन्य मृत दाताओं में हृदय मृत्यु के बाद के दाता हो सकते हैं। प्राकृतिक हृदय मृत्यु के बाद केवल कुछ अंग/ऊतक ही दान किए जा सकते हैं; जैसे- कॉर्निया, हड्डी, त्वचा और रक्त वाहिकाएँ।
मानव अंग प्रत्यारोपण (संशोधन) अधिनियम 2011
- इसमें अंगों के साथ-साथ ऊतकों को भी शामिल किया गया है।
- निकट संबंधी की परिभाषा का विस्तार किया गया, जिसमें पोते-पोतियों, दादा-दादी को भी शामिल किया गया।
- स्वैप दान का प्रावधान शामिल किया गया।
- ICU में भर्ती संभावित दाताओं के परिचारकों से अनिवार्य पूछताछ करने और उन्हें दान करने के विकल्प के बारे में सूचित करने का प्रावधान है।
- अधिनियम के तहत पंजीकृत सभी अस्पतालों में अनिवार्य 'प्रत्यारोपण समन्वयक' का प्रावधान।
- कमजोर और गरीबों की रक्षा के लिए अंगों के व्यापार के लिए उच्च दंड का प्रावधान किया गया है।
- मस्तिष्क मृत्यु प्रमाणन बोर्ड के गठन को सरल बनाया गया है।
- उपयुक्त प्राधिकारी की सहायता और सलाह देने के लिए सलाहकार समिति का प्रावधान है।
- अधिनियम में नाबालिगों और विदेशी नागरिकों के मामले में अधिक सावधानी बरतने और मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों से अंगदान पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है।
- संशोधन अधिनियम के अनुसरण में, मानव अंगों और ऊतकों के प्रत्यारोपण नियम 2014 को अधिसूचित किया गया है।
मुद्दे और चुनौतियाँ
- मांग और आपूर्ति अंतर : भारत में अंगों की मांग आपूर्ति से कहीं अधिक है। राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी सूचना केन्द्र (NCBI) की रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिवर्ष दस लाख से अधिक लोग अंतिम चरण के अंग विफलता से पीड़ित होते हैं, फिर भी भारत में प्रतिवर्ष केवल लगभग 17,000-18,000 प्रत्यारोपण ही किए जाते हैं।
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- ऑर्गन इंडिया के अनुसार हर दिन कम से कम 15 मरीज अंगों के इंतजार में मर जाते हैं और हर 10 मिनट में एक नया मरीज प्रतीक्षा सूची में जुड़ जाता है।
- खराब बुनियादी ढांचा : अंग प्रत्यारोपण की चुनौतियों में खराब बुनियादी ढांचा और सरकारी अस्पतालों में संस्थागत अक्षमता प्रमुख है। भारत में सरकारी स्तर पर अंग प्रत्यारोपण सेवाएं प्रदान करने वाले केवल 750 संस्थान हैं।
- जागरूकता का अभाव : बहुत से लोग अंगदान के लाभों और प्रक्रिया से अनभिज्ञ हैं। क्या कदम उठाने चाहिए, इस बारे में जानकारी की कमी और खराब प्रतिष्ठा या कानूनी नतीजों का डर भी लोगों को अंगदान करने से रोक सकता है।
- धार्मिक मान्यताएँ और मिथक : गलत धारणाएं और अंधविश्वास लोगों को अपने अंग दान करने से हतोत्साहित करते हैं। बहुत से लोगों में गलत धारणा है कि उनका धर्म अंगदान की मनाही करता है।
- प्रणालीगत मुद्दे : कई स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को अंग दान के महत्व और प्रक्रियाओं के बारे में अच्छी जानकारी नहीं है। चिकित्सा संस्थानों के बीच समन्वय भी अपर्याप्त है और अंग दान और प्रत्यारोपण का समर्थन करने के लिए उचित बुनियादी ढांचे की कमी है।
सरकारी प्रयास
- राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम : स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, भारत सरकार संशोधन अधिनियम के अनुसार गतिविधियों को पूरा करने, जनशक्ति के प्रशिक्षण और मृत व्यक्तियों से अंग दान को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम लागू कर रही है।
- राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम के उद्देश्य-
- प्रत्यारोपण के लिए अंग और ऊतक की खरीद और वितरण की एक प्रणाली व्यवस्थित करना
- मृतक अंग और ऊतक दान को बढ़ावा देना
- आवश्यक जनशक्ति को प्रशिक्षित करना
- कमजोर गरीबों को अंग तस्करी से बचाना
- अंग व ऊतक प्रत्यारोपण सेवाओं की निगरानी करना और जब भी आवश्यकता हो नीति एवं कार्यक्रम में सुधार/परिवर्तन करना।
सुझाव
- THOTA का अनुपालन : अधिकारियों को मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (THOTA), 1994 का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।
- किसी भी उल्लंघन की स्थिति में उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।
- यूनिक ID : स्वास्थ्य अधिकारियों की पारदर्शिता और निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए सभी प्रत्यारोपण मामलों में अंग दाताओं व प्राप्तकर्ताओं के लिए एक यूनिक NOTTO-ID का निर्माण सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
- डेटा साझा करना : पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए NOTTO के साथ विदेशियों से जुड़े मामलों सहित, प्रत्यारोपण डेटा का नियमित संग्रह और साझाकरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- कठोर कानून की व्यवस्था : अंग व्यापार पर नकेल कसने और गैर-सरकारी संस्थाओं के विनियमन हेतु उचित कानून बनाए जाने की जरूरत है; साथ ही उसे कठोरता से लागू किया जाना चाहिए।
- लागत संबंधी मुद्दों का निराकरण : अंग प्रत्यारोपण, गरीब व बीमा रहित मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए लगभग असंभव चिकित्सीय व्यवस्था है। अतः इसे लागत प्रभावी बनाने की आवश्यकता है।
- जागरूकता का प्रसार : अंग दान व प्रत्यारोपण संबंधी विषयों के बारे में सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता फैलाया जाना चाहिए।
- प्रोत्साहन राशि : अंग दान के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि के विषय में विचार किया जा सकता है।