(प्रारंभिक परीक्षा: अध्ययन का शीर्षक, ऑक्सफेम, वर्ल्ड एजुकेशन फोरम, चार्ट में दिये गए आंकड़े), (मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र – 2 व 3 : गरीबी, अंतर्राष्ट्रीय फोरम, समावेशी विकास)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, ऑक्सफेम (गैर-सरकारी संगठन) द्वारा एक अध्ययन (Fifty Years of Broken Promises) जारी किया गया। इस अध्ययन में बताया गया है कि कैसे पिछले 50 वर्षों में उच्च आय वाले देशों द्वारा गरीब और निम्न आय वाले देशों को 5.7 ट्रिलियन डॉलर की सहायता से वंचित कर दिया गया।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- 24 अक्टूबर, 2020 को अंतर्राष्ट्रीय सहायता प्रतिबद्धताओं की 50वीं वर्षगांठ पर 50 वर्ष पूर्व निर्धारित प्रतिबद्धताओं की विफलता के विषय पर चर्चा की गई।
- कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक समस्याओं में वृद्धि हुई है तथा अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहायता में और कमी आने से गरीब और विकासशील देशों को राजस्व जुटाने हेतु नए स्रोत तलाशने होंगे।
- अधिकांश धनी देश अपनी सहायता सम्बंधी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर पाने में असफल रहे हैं। वर्ष 2019 में धनी राष्ट्रों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सहायता प्रतिबद्धताओं पर अपनी सकल राष्ट्रीय आय (Gross National income – GNI) का केवल 0.3% (0.7% की तुलना में) हिस्सा ही खर्च किया गया।
- केवल पाँच देशों लक्ज़मबर्ग, नॉर्वे, स्वीडन, डेनमार्क और यू.के. द्वारा निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय सहायता 0.7% (सकल राष्ट्रीय आय का) या इससे अधिक योगदान दिया गया।
हालाँकि इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि किस तरह से अंतर्राष्ट्रीय सहायता ने निम्न आय वाले देशों में सामाजिक और आर्थिक स्तर पर परिवर्तन किया है।
सुधार हेतु किये गए प्रयास
- गरीबी और असमानता के विरूद्ध लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय सहायता एक महत्त्वपूर्ण उपकरण रहा है।
- एड्स, तपेदिक और मलेरिया से लड़ने हेतु ग्लोबल फंड द्वारा समर्थित स्वास्थ्य कार्यक्रमों ने 27 मिलियन से अधिक लोगों की जान बचाई है।
- वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल ने करोड़ों बच्चों के टीकाकरण हेतु वित्तपोषण प्रदान किया है, जिसने 18 मिलियन बच्चों को पक्षाघात तथा अन्य सम्बंधित रोगों से बचाया है।
- वर्ष 2000 में डकार (सेनेगल) में आयोजित ‘वर्ल्ड एजुकेशन फोरम’ में शिक्षा हेतु सहायता पैकेज पर सहमती से बड़ी संख्या में गरीब तथा विकासशील देशों में बच्चों को स्कूल जाने का मौका मिला है।
चिंता के विषय
- रिपोर्ट में बताया गया है कि दाता देशों द्वारा सहायता पैकेज का उपयोग सहायता प्राप्तकर्ता देशों का वाणिज्यिक तथा अंतर्राष्ट्रीय समर्थन हासिल करने हेतु किया जाता है|
- रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति की सम्पत्ति (185 बिलियन डॉलर) सभी अंतर्राष्ट्रीय सहायता बजट से अधिक है। अतः सरकारों को अपने सहायता वादों (aid promises) से अधिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
धनी देशों को समझने की आवश्यकता है कि अंतर्राष्ट्रीय सहायता दान नहीं है, बल्कि यह हम सभी के लिये न्यायपूर्ण, सुरक्षित तथा समृद्ध भविष्य हेतु एक अनिवार्य निवेश है।
प्री फैक्ट्स :
वर्ल्ड एजुकेशन फोरम
- वर्ल्ड एजुकेशन फोरम में दुनिया भर की सरकारें, उनके शैक्षिक विभाग तथा शैक्षिक गतिविधियों में शामिल प्रमुख संगठनों (यूनेस्को, वर्ल्ड बैंक तथा एशियाई विकास बैंक) के प्रतिनिधि शामिल हैं।
- इस फोरम की पहली कांफ्रेंस डकार (सेनेगल) में आयोजित की गई थी, जिसमें डकार फ्रेमवर्क फॉर एक्शन को अपनाया गया।
ऑक्सफेम
- ऑक्सफेम की स्थापना वर्ष 1942 की गई थी। यह 20 स्वतंत्र संगठनों द्वारा समर्थित एक गैर लाभकारी संगठन है। यह वैश्विक गरीबी तथा असामनता को कम करने हेतु कार्य करता है।
- इसका मुख्यालय नैरोबी (केन्या) में स्थित है।
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