(प्रारंभिक परीक्षा : प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र-1,राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ) |
संदर्भ
हाल ही में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ‘From Gridlock to Growth: How Leadership Enables India’s PRAGATI Ecosystem to Power Progress’ नामक रिपोर्ट में भारत की बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन के लिए सरकार के प्रगति (प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन) प्लेटफॉर्म को अभूतपूर्व एवं अन्य देशों के लिए अनुकरणीय मॉडल बताया है।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
- रिपोर्ट के अनुसार प्रगति प्लेटफॉर्म ने वर्ष 2015 से जून 2023 के बीच 17.05 लाख करोड़ रुपये (205 बिलियन डॉलर) की लागत वाली 340 सबसे चुनौतीपूर्ण” बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को गति प्रदान की है।
- अध्ययन में जम्मू-कश्मीर में चिनाब ब्रिज, नवी मुंबई हवाई अड्डे जैसी ऐसी परियोजनाओं पर फोकस किया गया जो कई वर्षों तक विलंबित थीं इस संदर्भ में प्रगति मंच ने इन योजनाओं को समय पर पूरा करने में मदद की।
- रिपोर्ट के अनुसार प्रगति पहल के माध्यम से विवाद के क्षेत्रों की पहचान पहले से ही हो जाती है जिससे परियोजनाओं में नौकरशाही की असहमति या लालफीताशाही के कारण विलंब ना हो।
- ऐसे में यह मंच नौकरशाही की जड़ता को दूर करने तथा टीम इंडिया की मानसिकता और जवाबदेही एवं दक्षता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
- रिपोर्ट में प्रगति पहल के द्वारा निर्णायक नेतृत्व, परियोजना प्रबंधन में प्रौद्योगिकी का उपयोग, प्रभावी विवाद समाधान तंत्र, समावेशी तथा सहयोगी ढाँचे का पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना और नियमित समीक्षा प्रणालियों को संस्थागत बनाना जैसे प्रमुख मुद्दों के समाधान के संदर्भ में यह अन्य देशों के लिए महत्वपूर्ण मॉडल हो सकता है।
- इस मंच से बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी आने के साथ ही इसने स्वच्छ भारत अभियान और जल जीवन मिशन जैसी सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं की निगरानी तथा बेहतर कार्यान्वयन और उनकी प्रभावशीलता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- रिपोर्ट में इस बात पर बल दिया गया कि भारत में प्रभावी प्रशासन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय में प्रगति मंच ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रगति प्लेटफॉर्म (PRAGATI-Pro-Active Governance and Timely Implementation)
- परिचय : यह एक बहुउद्देश्यीय और बहु-मॉडल मंच है जिसका उद्देश्य आम आदमी की शिकायतों का समाधान करना और साथ ही भारत सरकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं के साथ-साथ राज्य सरकारों द्वारा चिह्नित परियोजनाओं की निगरानी एवं समीक्षा करना है।
- यह प्रमुख हितधारकों के बीच वास्तविक समय की उपस्थिति और आदान-प्रदान के साथ ई-पारदर्शिता एवं ई-जवाबदेही पर केंद्रित एक मजबूत प्रणाली है।
- शुभारंभ : प्रगति प्लेटफॉर्म को 25 मार्च, 2015 को लॉन्च किया गया था।
प्रमुख विशेषताएँ
- यह एक त्रिस्तरीय प्रणाली है जो PMO,केंद्र सरकार के सचिवों और राज्यों के मुख्य सचिवों को एक मंच पर लाता है।
- यह मंच डिजिटल डाटा प्रबंधन, वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग और भू-स्थानिक तकनीक द्वारा सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- इसके तहत प्रधानमंत्री द्वारा एक मासिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसमें वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारत सरकार के सचिवों और मुख्य सचिवों के साथ बातचीत करना शामिल है ।
- यह कार्यक्रम हर महीने के चौथे बुधवार को आयोजित जाता है जिसे प्रगति दिवस के रूप में भी जाना जाता है।
- यह प्रणाली शिकायतों के लिए सीपीजीआरएएमएस(Centralised Public Grievance Redress and Monitoring System : CPGRMS) , परियोजना निगरानी समूह (Project Monitoring Group) और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के डाटा बेस को मजबूत करके उसे पुनः तैयार करने का कार्य करती है। प्रगति इन तीनों पहलुओं के लिए एक इंटरफेस और प्लेटफॉर्म प्रदान करती है।
- इसमें आम लोगों या राज्यों के उच्च पदाधिकारियों और/या सार्वजनिक परियोजनाओं के विकासकर्ताओं द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को किए गए विभिन्न पत्राचारों पर विचार किया जाता है।