प्रारम्भिक परीक्षा – यूरोपा में ऑक्सीजन उत्पादन दर कम मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 (भूगोल) |
संदर्भ
नासा के जूनो मिशन के वैज्ञानिकों के अनुसार, बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा में उत्पादित ऑक्सीजन की दर पिछले अध्ययनों की तुलना में काफी कम हो गया है।
प्रमुख बिंदु :-
- यह रिपोर्ट 4 मार्च 2024 को नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित की गई है।
- बृहस्पति का बर्फ से ढका चंद्रमा यूरोपा 24 घंटे में 1,000 टन ऑक्सीजन उत्पन्न करता है।
- यह एक लाख मनुष्यों को एक दिन तक सांस लेने के लिए पर्याप्त है।
- इस रिपोट के अनुसार, बृहस्पति के यूरोपा में उत्पादित ऑक्सीजन की दर पिछले अध्ययनों की तुलना में काफी कम हो गई है।
- यह डेटा जोवियन ऑरोरल डिस्ट्रीब्यूशन एक्सपेरिमेंट (JADE) उपकरण द्वारा एकत्र किया गया है।
- इस डेटा को यूरोपा की सतह से निकलने वाली हाइड्रोजन को मापकर प्राप्त किया गया है।
- इस डेटा के अनुसार,यूरोपा द्वारा उत्पादित ऑक्सीजन की मात्रा पहले कुछ पाउंड से लेकर 2,000 पाउंड प्रति सेकंड (1,000 किलोग्राम प्रति सेकंड से अधिक) तक थी।
- वर्तमान में इसकी मात्रा प्रति सेकंड लगभग 26 पाउंड (12 किलोग्राम प्रति सेकंड) हो गई है।
- वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोप पर उत्पादित कुछ ऑक्सीजन इसके उपसतह महासागर में ऊर्जा के संभावित स्रोत के रूप में कार्य कर रही है।
- इससे ऑक्सीजन उत्पादन कम हो गया है।
यूरोपा
- यह बृहस्पति के 95 ज्ञात चंद्रमाओं में चौथा सबसे बड़ा और चार गैलीलियन उपग्रहों में सबसे छोटा है।
- इसका व्यास लगभग 1,940 मील (3,100 किलोमीटर) है।
- इसकी सतह पर खारे पानी का एक विशाल आंतरिक महासागर स्थित है, जो बर्फ से ढका हुआ है।
- इस पर एक बहुत ही पतला वायुमंडल है, जिसमें अधिकतर आणविक आक्सीजन (O2) मौजूद है।
- इस पर वायु दाब बहुत कम है।
- पृथ्वी पर वायु का दबाव यूरोपा से दस खरब गुना ज़्यादा है।
- इससे इस पर जीवन-समर्थक स्थिति होने की संभावना है।
बृहस्पति के विकिरण का यूरोपा पर प्रभाव :-
- यूरोपा की सतह पर बृहस्पति के विकिरण (Radiation) का अत्यधिक प्रभाव है।
- बृहस्पति की सतह से प्रत्येक दिन औसतन 540 रॅम (rem) का विकिरण उत्सर्जित होता है।
- इस विकिरण का प्रभाव मनुष्य पर जानलेवा हो सकता है।
जूनो मिशन (Juno Mission) :-
- यह बृहस्पति ग्रह का अध्ययन और जांच करने के लिए नासा द्वारा शुरू किया गया एक अंतरिक्ष मिशन है।
- इसे 5 अगस्त 2011 को लॉन्च किया गया था।
- इसने पांच साल बाद जुलाई 2016 में बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश किया।
- जूनो बृहस्पति पर नासा का दूसरा मिशन है।
- पहला गैलीलियो ऑर्बिटर था जो वर्ष 1995 से वर्ष 2003 तक चला।
जूनो मिशन का उद्देश्य:-
- बृहस्पति ग्रह की संरचना, चुंबकीय और गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र तथा ध्रुवीय मैग्नेटोस्फीयर को मापना।
- बृहस्पति के निर्माण और उत्पत्ति की जांच करना।
- इसके वायुमंडल में मौजूद पानी की मात्रा का पता लगाना।
- बृहस्पति का कोर चट्टानी है या नहीं यह पता लगाना।
- इसके वायुमंडल का पता लगाना।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : हाल ही में नासा के वैज्ञानिकों ने वृहस्पति के किस उपग्रह में उत्पादित ऑक्सीजन की दर में कमी का पता लगाया है?
(a) गैनिमीड
(b) कलिस्टो
(c) यूरोपा
(d) आयो
उत्तर (c)
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स्रोत: NASA