संदर्भ
हाल ही में जारी एक नए अध्ययन में शक्तिशाली ओजोन-क्षयकारी पदार्थों (ODS) हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs) की वायुमंडलीय सांद्रता में पहली बार उल्लेखनीय कमी की सूचना दी गई है।
क्या होते हैं ओजोन-क्षयकारी पदार्थ
- ओजोन-क्षयकारी पदार्थ (ozone-depleting substances : ODS) ऐसे रसायन हैं जो समतापमंडल में ओजोन परत के क्षय का कारण बनते हैं।
- ओजोन परत सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (UV) विकिरण के अधिकांश भाग को अवशोषित करके पृथ्वी पर जीवन की रक्षा के लिए आवश्यक है।
- सबसे आम ओ.डी.एस. में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs), हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs), हैलोन, कार्बन टेट्राक्लोराइड और मिथाइल क्लोरोफॉर्म शामिल हैं।
- इन पदार्थों का उपयोग आमतौर पर रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, अग्निशामक यंत्र और एरोसोल में किया जाता है।
ओजोन परत
- ओजोन परत पृथ्वी की सतह से लगभग 15 और 35 किमी (9 और 22 मील) के बीच स्थित होती है। यह ओजोन अणुओं (O3) की अपेक्षाकृत उच्च सांद्रता युक्त ऊपरी वायुमंडल का क्षेत्र है।
- ओजोन परत की खोज 1913 में फ्रांसीसी भौतिकविदों चार्ल्स फैब्री और हेनरी बुइसन ने की थी।
- वायुमंडल की लगभग 90 प्रतिशत ओजोन समताप मंडल में पायी जाती है। यह सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (UV) विकिरण से पृथ्वी की रक्षा करती है।
- यह ज़मीनी स्तर पर कम सांद्रता में पायी जाती है, जिसे क्षोभमंडलीय ओजोन कहते हैं। यह ओजोन एक प्रदूषक की तरह कार्य करती है जो शहरों के ऊपर धुंध का एक प्रमुख हिस्सा है।
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मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का एच.सी.एफ.सी. के स्तर में गिरावट में महत्वपूर्ण योगदान है। इस प्रोटोकॉल में 1987 में हस्ताक्षर किए गए थे।
- यह प्रोटोकॉल, क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसे ओ.डी.एस. के उत्पादन और खपत को समाप्त करके समतापमंडलीय ओजोन परत की रक्षा के लिए एक वैश्विक समझौता है।
- इस प्रोटोकॉल के तहत वर्ष 2010 से सी.एफ.सी. के उत्पादन में विश्वव्यापी प्रतिबंध लागू है।
- सी.एफ.सी. को प्रतिस्थापित करने के लिए एच.सी.एफ.सी. का उत्पादन शुरू किया गया। हालाँकि, यह भी एक मजबूत ग्रीनहाउस गैस और ओ.डी.एस. है।
- इसलिए, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में कोपेनहेगन (1992) और बीजिंग (1999) संशोधनों ने एच.सी.एफ.सी. उत्पादन और उपयोग को वर्ष 2040 तक चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का आदेश दिया।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन
- 2016 में, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकारों ने किगाली संशोधन को अपनाया।
- इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से कम करना है।
- एच.एफ.सी. का व्यापक रूप से हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs) और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) जैसे ओ.डी.एस. के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है, जिन्हें पहले से ही मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत विनियमित किया जाता है।