(प्रारम्भिक परीक्षा: ओज़ोन परत, ओज़ोन क्षरण)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र: 2 संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।)
संदर्भ
- हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ओजोन परत धीरे-धीरे ठीक हो रही है, जिससे अंटार्कटिका पर बने छिद्र का लगभग 43 वर्षों में पूर्ण रूप से ठीक होने की संभावना है।
प्रमुख बिन्दु
- प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल पर किए जाने वाले वैज्ञानिक आकलन में पाया गया कि दुनिया के लगभग सभी देश ने पृथ्वी के वायुमंडल में ओजोन की परत को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनों का उत्पादन बंद करने पर सहमति जताई है।
- इसके वर्ष 2066 तक सही होने की संभावना है।
ओज़ोन
- ओज़ोन गैस स्थायी गैस न होकर एक अस्थाई गैस होती है क्योंकि एक तरफ इसका निर्माण होता रहता है तो दूसरी तरफ इसका वियोजन एवं विनाश भी होता रहता है अर्थात ओज़ोन का निर्माण तथा विनाश एक क्रमिक तथा स्थायी प्राकृतिक प्रक्रिया है।
ओज़ोन का निर्माण
ओज़ोन परत
- ओजोन परत पृथ्वी की सतह से लगभग 15 और 35 किमी (9 और 22 मील) के बीच स्थित होती है।
- यह ओजोन अणुओं (O3) की अपेक्षाकृत उच्च सांद्रता युक्त ऊपरी वायुमंडल का क्षेत्र है।
- वायुमंडल की लगभग 90 प्रतिशत ओजोन समताप मंडल में पायी जाती है। यह सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (UV) विकिरण से पृथ्वी की रक्षा करती है।
ओज़ोन छिद्र
- उद्योग और अन्य मानवीय गतिविधियों से क्लोरीन या ब्रोमीन गैस युक्त रासायनिक यौगिकों के उत्सर्जन के कारण ऊपरी वायुमंडल में ओजोन परत की सांद्रता कम हो जाती है, ओजोन रिक्तीकरण कहलाता है।
- इसी रिक्तिकरण की स्थिति को ओज़ोन छिद्र कहा जाता है।
ओजोन छिद्र का कारण
- ओजोन रिक्तीकरण समताप मंडल में ओजोन-क्षयकारी पदार्थों (ODS) के मानव-संबंधित उत्सर्जन के कारण होता है।
- ODS में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी), ब्रोमीन युक्त हैलोन और मिथाइल ब्रोमाइड, एचसीएफसी, कार्बन टेट्राक्लोराइड (सीसीएल4) और मिथाइल क्लोरोफॉर्म शामिल हैं।
- "ओजोन छिद्र" के रूप में जानी जाने वाली अंटार्कटिक ओजोन परत की गंभीर कमी वहां मौजूद विशेष वायुमंडलीय और रासायनिक स्थितियों के कारण होती है।
- सर्दियों में अंटार्कटिक समताप मंडल का कम तापमान ध्रुवीय समतापमंडलीय बादलों (पीएससी) के गठन की अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करता है।
- यह ध्रुवीय समतापमंडलीय बादल क्लोरीन और ब्रोमीन की प्रतिक्रियाओं के लिए माध्यम के रूप में कार्य करते हैं, जिसके फलस्वरूप बसंत ऋतु में अंटार्कटिक क्षेत्र में ओजोन छिद्र बनते हैं।
ओजोन रिक्तीकरण को रोकने के लिए वैश्विक पहल
वियना कन्वेंशन
- यह ओजोन परत के संरक्षण के लिए वर्ष 1985 में हुआ एक अंतरराष्ट्रीय समझौता था।
- इसमें संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने समतापमंडलीय ओजोन परत को होने वाले नुकसान को रोकने के मूलभूत महत्व को मान्यता दी थी।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
- यह ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों को नियंत्रित करने को लेकर 1987 में हुई संधि है।
- इसमें ओजोन-क्षयकारी पदार्थों, मुख्य रूप से क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) के उत्पादन और उपयोग को नियंत्रित करने के लिए 1987 में 197 पार्टियों द्वारा प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए थे।
किगाली प्रोटोकाल
- इसे वर्ष 2016 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में संशोधन करने के उद्देश्य से अपनाया गया था। यह संशोधन 2019 में लागू हुआ।
- इससे HFC के उत्पादन और खपत में कमी आएगी और अनुमानित वैश्विक तापन में वृद्धि और संबंधित जलवायु परिवर्तन से बचा जा सकेगा।
आगे का रास्ता
- विकसित देशों से विकासशील देशों को वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुनिश्चित होना चाहिए।
- रेफ्रिजरेटिंग प्रौद्योगिकियों में एक प्रतिस्थापन खोजने के लिए अनुसंधान और विकास किया जाना चाहिए, अर्थात एक गैर-ओजोन क्षयकारी पदार्थ युक्त रेफ्रिजरेटिंग प्रौद्योगिकियों का विकास किया जाना चाहिए जिसमें न्यूनतम ग्लोबल वार्मिंग क्षमता हो।
- ओजोन रिक्तीकरण जैसे पर्यावरणीय मुद्दों पर सार्वजनिक चर्चा के माध्यम से जन जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
- SDG 13 अर्थात जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करने के लिए, इसके साथ ओजोन की सुरक्षा भी जोड़ा जाना चाहिए।