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पाकिस्तान तथा एफ.ए.टी.एफ. की ग्रे लिस्ट : कारण तथा प्रभाव

(प्रारंभिक परीक्षा : अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र – 3 : धन शोधन तथा इसे रोकना, संगठित अपराध)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफ.ए.टी.एफ.) की बैठक में पाकिस्तान को फरवरी 2021 तक ग्रे लिस्ट में रखने का निर्णय लिया गया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • महामारी के कारण एफ.ए.टी.एफ. द्वारा वर्चुअल बैठक की गई। इस बैठक में समीक्षा की गई कि पाकिस्तान चरमपंथ का वित्तपोषण तथा धन शोधन को रोकने में कितने मानदंडों (Mandates) में सफल रहा।
  • एफ.ए.टी.एफ. के अनुसार पाकिस्तान के आतंकवाद रोधी कानून की अनुसूची 5 के तहत 7600 आतंकियों की मूल सूची से 4000 से अधिक नाम संदिग्ध रूप से गायब हो गए हैं।
  • पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने का समर्थन करने वाले प्रमुख देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी भी पाकिस्तान द्वारा आतंकी गतिविधियों की रोकथाम सम्बंधी कार्यवाहियों से संतुष्ट नहीं हैं।

पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बने रहने के कारण

  • एफ.ए.टी.एफ. द्वारा जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला गया था एवं वर्ष 2019 के अंत तक धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) तथा आतंकवादी गतिविधियों हेतु वित्तपोषण पर अंकुश लगाने हेतु कार्ययोजना (एक्शन प्लान) लागू करने के लिये कहा गया था। लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इस समय-सीमा में वृद्धि की गई थी।
  • 23 अक्टूबर, 2020 को एफ.ए.टी.एफ. द्वारा पाकिस्तान को फरवरी, 2021 तक ग्रे लिस्ट में ही रखने का निर्णय लिया गया है।
  • पाकिस्तान आतंकी फंडिंग की जाँच से सम्बंधित 27 में से 6 मानदंडों का पालन करने में असफल रहा है।
  • कार्ययोजना की समय-सीमा समाप्त होने के कारण एफ.ए.टी.एफ. ने सख्ती से पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग की रोकथाम हेतु बाकी 6 प्रतिबद्धताओं को फरवरी 2021 तक पूरा करने को कहा है।
  • पाकिस्तान, सयुंक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी संगठन तथा उनके सरगनाओं पर जैसे, जैश-ए-मोहम्मद (जे.ए.म.) के प्रमुख तथा लश्कर-ए-तैयबा (एल.ई.टी.) के मुखिया पर कार्यवाही करने में भी नाकम रहा है।

पाकिस्तान पर प्रभाव

  • एफ.ए.टी.एफ. द्वारा पाकिस्तान को वर्ष 2012 से 2015 तक ग्रे लिस्ट में रखा गया था। लेकिन संतोषजनक कदम ना उठाए जाने के कारण इसे वर्ष 2018 में दोबारा इस लिस्ट में डाल दिया गया।
  • ग्रे लिस्ट में बने रहने से पाकिस्तान के विदेशी निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही, आयात-निर्यात तथा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं (आइएमएफ और एडीबी) से ऋण प्राप्त करने की क्षमता भी प्रभावित हो रही है।
  • आतंकी गतिविधियों की रोकथाम हेतु पर्याप्त कदम ना उठाए जाने के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान का बहिष्कार किया जा रहा है।
  • अगर पाकिस्तान ने एफ.ए.टी.एफ. द्वारा निर्धारित मानदंडों पर निश्चित समय-सीमा में पर्याप्त कदम नहीं उठाए तो पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डालने की सम्भावना बढ़ जाएगी, जिससे वहाँ आर्थिक तथा राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।
  • पाकिस्तान का सार्वजनिक ऋण 37,500 अरब पाकिस्तानी रुपए या सकल घरेलू उत्पाद का 90% हो गया है। अतः कोई भी देश आर्थिक तथा राजनितिक रूप से अस्थिर देश में निवेश नहीं करना चाहता है।

तुर्की का समर्थन

एफ.ए.टी.एफ. की हालिया बैठक में तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन करते हुए कहा कि एफ.ए.टी.एफ. द्वारा निर्धारित 27 में से 6 मानदंडों को पूरा करने हेतु पाकिस्तान को और समय दिया जाना चाहिये लेकिन बाकी देशों ने तुर्की के इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बने रहने का ही समर्थन किया है।

एफ.ए.टी.एफ.

  • एफ.ए.टी.एफ. की स्थापना वर्ष 1989 में धन शोधन, वित्तीय अपराध तथा आतंकी फंडिंग की रोकथाम हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में की गई थी, जिसका मुख्यालय पेरिस (फ़्रांस) में स्थित है।
  • वर्तमान में एफ.ए.टी.एफ. के 39 सदस्य देश (इसमें दो क्षेत्रीय संगठन यूरोपियन कमीशन तथा खाड़ी सहयोग संगठन शामिल हैं। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिये 12 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता है।
  • ध्यातव्य है कि ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिये किसी भी देश को 12 मतों या सदस्य देशों के समर्थन की आवश्यकता होती है।
  • वर्तमान में ग्रे लिस्ट में 18 देश तथा ब्लैक लिस्ट में दो देश (ईरान और उत्तर कोरिया) हैं।

एफ.ए.टी.एफ. की दो सूचियाँ है –

ब्लैक लिस्ट तथा ग्रे लिस्ट

  • ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों के धन-शोधन और आतंकी फंडिंग की रोकथाम सम्बंधी प्रयास असफल रहते हैं तथा ये वैश्विक स्तर पर सहयोगात्मक रवैया भी नहीं अपनाते हैं। ऐसे देशों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर रोक लगा दी जाती है।
  • ग्रे लिस्ट में शामिल देशों के धन शोधन तथा आतंकी फंडिंग पर कार्यवाही करने हेतु नियंत्रण उपायों को अपर्याप्त माना है। हालाँकि ऐसे देश एफ.ए.टी.एफ. के साथ समन्वय बनाए रखते हैं।
  • ग्रे लिस्ट में आने वाले देशों को आतंकी फंडिंग तथा धन शोधन के लिये टैक्स चोरी का स्वर्ग (Safe Tax Heavens)  माना जाता है। हालाँकि ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाना ब्लैक लिस्ट में शामिल करने जितना गम्भीर नहीं है। ग्रे लिस्ट में शामिल देशों के लिये यह धन-शोधन और आतंकी फंडिंग को रोकने हेतु एक चेतावनी है।

निष्कर्ष

पाकिस्तान को अपनी ज़मीन से आतंकवादी गतिविधियों को समाप्त करने हेतु ठोस और व्यावहारिक कदम उठाने चाहिये जिससे न केवल पाकिस्तान में वरन् एशियाई महाद्वीप में भी शांति और समृद्धि की राह सुनिश्चित हो सकेगी

प्री फैक्ट्स :

एफ.ए.टी.एफ. से सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • एफ.ए.टी.एफ. द्वारा कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी से जुड़े अपराधों में वृद्धि हुई है, जिसमें व्यापक स्तर पर नकली चिकित्सा आपूर्ति तथा ऑनलाइन घोटाले दुनिया भर की सरकारों के लिये चिंता का विषय बने हुए हैं।
  • ध्यातव्य है कि पाकिस्तान द्वारा एफ.ए.टी.एफ. की लिस्ट से बाहर आने हेतु अमेरिका की प्रमुख लॉबिस्ट फर्म (किसी भी विषय या मुद्दे पर राजनीतिक सहयोग के माध्यम से समर्थन करने वाली संस्थाएँ) कैपिटल हिल कंसल्टिंग ग्रुप की सेवाएँ ली गईं।
  • वर्तमान में एफ.ए.टी.एफ. के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर हैं।
  • काले धन को सफेद या वैधानिक बनाए जाने की प्रक्रिया धन-शोधन कहलाती है।
  • एफ.ए.टी.एफ.से जुड़ी एजेंसी एशिया पैसिफिक ग्रुप (ए.पी.जी.) एशियाई-प्रशांत क्षेत्र में धन-शोधन और आतंकी फंडिंग पर नज़र रखती है। एपीजी की तरह ही यूरोप, दक्षिण अमेरिका और अन्य क्षेत्रों में एफ.ए.टी.एफ. से जुड़ी संस्थाएँ हैं।

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