(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव) |
संदर्भ
अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर पर पुन: अपना नियंत्रण स्थापित करने की घोषणा की। इसके विरोध में पनामा ने संयुक्त राष्ट्र में देश की स्वतंत्रता एवं संप्रभुता के उल्लंघन के लिए शिकायत दर्ज कराई है।
पनामा नहर के बारे में
- परिचय : यह उत्तरी अमेरिका के पनामा देश के मध्य में स्थित एक अंतर-महासागरिय कृत्रिम जलमार्ग है जो कैरेबियन सागर (अटलांटिक महासागर) को प्रशांत महासागर से जोड़ता है।
- इस नहर का निर्माण पनामा स्थलडमरूमध्य (Isthmus) के मध्य से किया गया है, जो उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप को एक दूसरे से जोड़ता है।
- आकार : कुल लंबाई 82 किमी., औसत चौड़ाई 90 मी., न्यूनतम गहराई 12 मी.
- निर्माण कार्य : जनवरी 1881 से 15 अगस्त, 1914 तक
- पनामा ने 3 नवंबर, 1903 को कोलंबिया से स्वतंत्रता की घोषणा की।
- वर्ष 1903 में हे-बुनौ-वारिला संधि (The Hay–Bunau-Varilla Treaty) के तहत पनामा द्वारा नहर निर्माण का कार्य अमेरिका को सौंप दिया गया।
- अमेरिकी राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट (1901-1909 ई.) की देख रेख में प्रमुख निर्माण कार्य हुआ।
- संचालन प्रारंभ : वर्ष 1914
- नौवहन पद्धति : पनामा नहर वॉटर पास या वॉटर लॉक पद्धति पर आधारित है।
- इस पद्धति में पनामा नहर के मुख्य तल पर जहाज़ों को 85 फ़ीट (26 मीटर) ऊपर उठाने और फिर नीचे उतारने के लिए लॉक सिस्टम बनाए गए हैं।
- इसका कारण : चूँकि प्रशांत महासागर का जलस्तर तुलनात्मक रूप से अटलांटिक महासागर से थोड़ा अधिक (उच्च) है, इसलिए इस क्षेत्र को पार करने वाले जहाजों को नहर के दूसरे छोर तक पहुंचने के लिए समुद्र तल से 26 मीटर ऊपर/नीचे पहुंचना पड़ता है।
- नियंत्रण स्थिति :
- वर्ष 1914 से वर्ष 1977 तक अमेरिका के नियंत्रण के अधीन
- वर्ष 1977 से वर्ष 1999 तक संयुक्त रूप से अमेरिका एवं पनामा द्वारा संचालन
- 31 दिसंबर, 1999 से पनामा सरकार के स्वामित्व एवं संचालन के अधीन
पनामा नहर का महत्त्व
- आर्थिक लाभ : पनामा सरकार को इस नहर से प्रतिवर्ष एक अरब डॉलर से ज्यादा की ट्रांजिट फीस मिलती है।
- वर्ष 2000 से अब तक इस जलमार्ग ने पनामा के सरकारी खजाने में 30 बिलियन डॉलर से अधिक का योगदान दिया है, जिसमें पिछले वित्तीय वर्ष में दिया गया लगभग 2.5 बिलियन डॉलर का योगदान भी शामिल है।
- एक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2024 में पनामा नहर का राजस्व लगभग 5 बिलियन डॉलर था, जो पनामा के कुल वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 8% योगदान देता है।
- समुद्री परिवहन : प्रत्येक वर्ष पनामा नहर से करीब 14 हजार पोतों का आवागमन होता है।
- समय की बचत : पनामा नहर को पार करने में जलयानों को 8 घंटे का समय लगता हैं।
- कम दूरी : यह जलमार्ग उत्तरी या दक्षिणी अमेरिका का चक्कर लगाने वाली महंगी स्थलीय यात्रा करने से बचाता है (लगभग 15,000 किमी कम)।
- पर्यावरणीय लाभ : यह नहर कार्बन उत्सर्जन को कम करने में योगदान देती है और वैश्विक समुद्री परिवहन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में सहायक है।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला : यह नहर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
पनामा नहर विवाद से संबंधित बिंदु
- रणनीतिक महत्त्व : डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पनामा नहर का स्वामित्व वापस प्राप्त करने और इसके सुरक्षित, कुशल एवं विश्वसनीय संचालन में अमेरिका के रणनीतिक स्वार्थ निहित हैं।
- यह रणनीतिक महत्व आर्थिक लाभों से परे है और इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा क्षमताएं, राजनयिक संबंध और तीव्र समुद्री परिवहन शामिल है।
- चीन का बढ़ता प्रभाव
- पनामा में हालिया वर्षों में चीन का प्रभाव बढ़ा है।
- वर्ष 2017 के बाद से पनामा और चीन के संबंध अत्यधिक घनिष्ठ हुए हैं। इसी वर्ष पनामा ने ताइवान से राजनयिक संबंध भी समाप्त कर दिए।
- इसके बाद चीन ने पनामा में भारी निवेश किया और उसका अहम सहयोगी बन गया।
- व्यापारिक प्रतिद्वंदिता : पनामा नहर से अमेरिकी पोतों की आवाजाही सर्वाधिक होती है। पनामा नहर से लगभग 75% मालवाहक शिप अमेरिका जाने और वहां से आने वाले होते हैं।
- ऐसे में चीन का बढ़ता प्रभाव अमेरिका को असहज कर रहा है।
क्या आप जानते हैं?
- विश्व की सर्वाधिक प्राचीन नहर चीन में स्थित बीजिंग-हांग्जो ग्रैंड कैनाल है। यह उत्तर में बीजिंग से दक्षिण में झेजियांग प्रांत तक विस्तारित है।
- इसकी कुल लंबाई 1,776 किमी. है जोकि दुनिया का सबसे लंबा मानव निर्मित जलमार्ग है।
- इसका निर्माण 5वीं सदी ईसा पूर्व में हुआ। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल है।
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