New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

राजभाषा पर संसदीय समिति 

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - राजभाषा पर संसदीय समिति, भाषा से संबंधित संवैधानिक प्रावधान)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ

  • हाल ही में राजभाषा पर संसदीय समिति ने अपनी 11वें खंड की रिपोर्ट को पेश किया, जिसमे हिन्दी के प्रयोग को बढ़ाने के लिए सुझाव दिए गए है।

महत्वपूर्ण सुझाव 

  • समिति ने हिंदी भाषी राज्यों में आईआईटी, आईआईएम और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा के माध्यम के रूप में हिंदी का उपयोग करने की सिफारिश की।
  • गैर-हिंदी भाषी राज्यों में उच्च न्यायालय, जहां कार्यवाही अंग्रेजी या एक क्षेत्रीय भाषा में दर्ज की जाती है, का हिंदी में अनुवाद उपलब्ध कराना चाहिए। 
  • केंद्र सरकार के सरकारी अधिकारी और अन्य कर्मचारी जो हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी का उपयोग नहीं करते हैं, उन्हें वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (एपीएआर) में परिणाम भुगतने होंगे।
  • हिंदी में काम करने वाले केंद्र सरकार के अधिकारियों/कर्मचारियों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि को बढ़ाया जाए।
  • तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों को राजभाषा अधिनियम, 1963 और नियमों और विनियमों (अधिनियम के), 1976 के तहत छूट दी गई है।
  • नियमों के अनुसार, ए श्रेणी के राज्यों में हिंदी आधिकारिक भाषा है, जिसमें बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं।
  • श्रेणी बी के राज्य, जहां 65 प्रतिशत से कम हिंदी का उपयोग किया जाता है, उनमें गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली शामिल हैं।
  • श्रेणी सी में वे राज्य हैं जहां हिंदी का उपयोग 65 प्रतिशत से कम है।
  • समिति ए श्रेणी के राज्यों में संचार के माध्यम के रूप में हिंदी का पूरी तरह से उपयोग करने का सुझाव देती है, जबकि अन्य राज्य क्षेत्रीय भाषाओं का उपयोग कर सकते हैं।
  • विदेशों में स्थित दूतावासों और संगठनों से समय-समय पर हिंदी के काम की रिपोर्ट मांगी जाए, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि उनके काम की निगरानी की जा रही है।
  • हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाये जाने के लिए कोशिश करने का सुझाव भी दिया गया है।
  • आधिकारिक स्तर की हिंदी और बोलचाल की हिंदी के बीच के अंतर को कम किया जाना चाहिए। 
  • अन्य भाषाओं के लोकप्रिय शब्द और कुछ शब्दों को बिना अनुवाद किए मूल रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • इसका अंतिम उद्देश्य आधिकारिक संचार में अंग्रेजी भाषा के उपयोग को कम करना और हिंदी के उपयोग को बढ़ाना है।

राजभाषा पर संसदीय समिति

  • राजभाषा पर संसद की समिति का गठन 1976 में राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 4 के तहत किया गया था।
  • अधिनियम की धारा 4 में कहा गया है कि- "राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति से संसद के किसी भी सदन में इस आशय के प्रस्ताव को पेश करने और दोनों सदनों द्वारा पारित किए जाने पर राजभाषा पर एक समिति का गठन किया जाएगा।"
  • 1963 के अधिनियम के प्रावधानों के तहत, समिति अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपती है, जो रिपोर्ट को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखते हैं, और सभी राज्य सरकारों को भी भेजते हैं।
  • समिति की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री करते हैं, और 1963 के अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, इसमें 30 सदस्य होते हैं - लोकसभा से 20 सांसद और राज्यसभा के 10 सांसद।
  • समिति का कार्य आधिकारिक उद्देश्यों के लिए हिंदी के उपयोग में हुई प्रगति की समीक्षा करना और आधिकारिक संचार में हिंदी के उपयोग को बढ़ाने के लिए सिफारिशें करना है।
  • समिति द्वारा पहली रिपोर्ट वर्ष 1987 में प्रस्तुत की गई थी।

भाषा से संबंधित संवैधानिक प्रावधान

  • अनुच्छेद 120 - संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा।
  • अनुच्छेद 210 - विधान-मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा।
  • अनुच्छेद 343 - संघ की राजभाषा।
  • अनुच्छेद 344 - राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति।
  • अनुच्छेद 345 - राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं।
  • अनुच्छेद 346  - एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा।
  • अनुच्छेद 347 - किसी राज्य की जनसंख्या के किसी भाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध।
  • अनुच्छेद 348 - उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा।
  • अनुच्छेद 349 - भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया।
  • अनुच्छेद 350  - व्यथा के निवारण के लिए अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा।
  • अनुच्छेद 350 (क) - प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएं।
  • अनुच्छेद 350 (ख) - भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए विशेष अधिकारी।
  • अनुच्छेद 351 - हिंदी भाषा के विकास के लिए निदेश।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR