प्रारम्भिक परीक्षा : संसदीय विशेषाधिकार,अनुच्छेद 105 & अनुच्छेद 19 मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र:2- संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय। |
सन्दर्भ
- कुछ विपक्षी नेताओं द्वारा संसद के सत्र के दौरान राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने भाषण के कुछ हिस्सों को हटाने का विरोध किया जा रहा है।
- अनुच्छेद 105 के तहत संसद सदस्य को बोलने की स्वतंत्रता दी गई है।
अनुच्छेद 105
- यह संसद के सदनों, इसके सदस्यों और समितियों की शक्तियों तथा विशेषाधिकारों से संबंधित है, इसमें निम्नलिखित प्रावधान हैं -
- संसद सदस्यों को संसद में बोलने की स्वतंत्रता होगी
- सांसदों को संसद में अपने कर्तव्यों के दौरान दिए गए किसी बयान या किए गए कार्य के लिए किसी भी कानूनी कार्रवाई से छूट दी गई है।
- संसद का कोई सदस्य उत्तरदायी नहीं होगा -
- संसद में उनके द्वारा कही गई या दिए गए किसी मत के संबंध में किसी भी अदालत में किसी भी कार्यवाही के लिए।
- संसद के किसी भी सदन के प्राधिकार द्वारा या उसके अधीन किसी रिपोर्ट, पेपर, मत या कार्यवाही के प्रकाशन के लिए।
- ऐसी शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां समय-समय पर संसद द्वारा कानून द्वारा परिभाषित की जायेंगी।
- जब तक संसद द्वारा उन्हें परिभाषित नहीं किया जाता है, तब तक, वही उन्मुक्तियां लागू होंगी, जो संविधान (44वां संशोधन) अधिनियम, 1978 के लागू होने से ठीक पहले प्रभावी थे।
- उपरोक्त प्रावधान उन व्यक्तियों पर भी लागू होंगे जिन्हें संसद के किसी सदन/उसकी किसी समिति की कार्यवाही में बोलने/भाग लेने का अधिकार है।
- यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि सांसद अपनी संसदीय जिम्मेदारियों को बिना किसी बाधा/भय के निभा सकें और संसद के अधिकार, गरिमा को बनाए रख सकें।
अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 105 में तुलना
- दोनों अनुच्छेद बोलने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं, हालांकि, अनुच्छेद 105 संसद सदस्यों पर लागू है।
- दूसरी ओर, अनुच्छेद 19(1)(ए) नागरिकों पर लागू होता है और उचित प्रतिबंधों के अधीन है।
- अनुच्छेद 105 सांसदों को दिया गया एक विशेषाधिकार है, इस विशेषाधिकार का उपयोग संसद परिसर में किया जा सकता है न कि संसद के बाहर।
इस विशेषाधिकार की सीमा
- संविधान का अनुच्छेद 121 संसद में किसी भी न्यायाधीश के आचरण (SC/HC में अपने कर्तव्यों का पालन करते समय) की चर्चा को प्रतिबंधित करता है।
- लेकिन, न्यायाधीश को हटाने की अनुशंसा करने वाले समावेदन को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करने के प्रस्ताव पर चर्चा की जा सकती है।
अनुच्छेद 105 के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 105 (2) एक संसद सदस्य को अदालत में कार्यवाही के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है जो संसद में उसके द्वारा कही गई किसी भी बात या दिए गए मत से संबंधित है।
- अनुच्छेद 105 सदस्यों को संसदीय बहसों में निडरता से भाग लेने में सक्षम करता है और इन सदस्यों को उन सभी दीवानी और आपराधिक कार्यवाही के खिलाफ व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है, जो संसद में उनके द्वारा दिए गए भाषण या मत से संबंधित हैं।
संसदीय विशेषाधिकार
सामूहिक विशेषाधिकार
संसद के दोनों सदनों के संबंध में सामूहिक विशेषाधिकार निम्न हैं:-
1. इसे अपनी रिपोर्ट, वाद-विवाद और कार्यवाही को प्रकाशित करने तथा अन्यों को इसे प्रकाशित न करने देने का भी अधिकार है।
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- 1978 के 44वें संशोधन अधिनियम ने सदन की पूर्व अनुमति बिना संसद की कार्यवाही की सही रिपोर्ट के प्रकाशन की प्रेस की स्वतंत्रता को पुनर्स्थापित किया किंतु यह सदन की गुप्त बैठक के मामले में लागू नहीं है।
2. यह अपनी कार्यवाही से अतिथियों को बाहर कर सकती है तथा कुछ आवश्यक मामलों पर विचार-विमर्श हेतु गुप्त बैठक कर सकती है।
3. यह अपनी कार्यवाही के संचालन, कार्य के प्रबंध तथा इन मामलों के निर्णय हेतु नियम बना सकती है।
4. यह सदस्यों के साथ-साथ बाहरी लोगों को इसके विशेषाधिकारों के हनन या सदन की अवमानना करने पर निंदित, चेतावनी या कारावास द्वारा दंड दे सकती है (सदस्यों के मामले में बर्खास्तगी या निष्कासन भी)।
5. इसे किसी सदस्य की बंदी, अवरोध, अपराध सिद्धि, कारावास या मुक्ति संबंधी तत्कालिक सूचना प्राप्त करने का अधिकार है।
6. यह जांच कर सकती है तथा गवाह की उपस्थिति तथा संबंधित पेपर तथा रिकॉर्ड के लिए आदेश दे सकती है।
7. न्यायालय, सदन या इसकी समिति की कार्यवाही की जांच के लिए निषेधित है।
8. सदन क्षेत्र में पीठासीन अधिकारी की अनुमति के बिना कोई व्यक्ति (सदस्य या बाहरी व्यक्ति) बंदी नहीं बनाया जा सकता और न ही कोई कानूनी कार्यवाही (सिविल या आपराधिक) की जा सकती है।
व्यक्तिगत विशेषाधिकार
1. संसद सदस्यों को संसद की कार्यवाही के दौरान, संसद सत्र के शुरू होने से 40 दिन पूर्व तथा समाप्त होने के 40 दिन बाद तक बंदी नहीं बनाया जा सकता है।
- यह अधिकार केवल नागरिक मुकदमों में उपलब्ध है, आपराधिक तथा प्रतिबंधात्मक निषेध मामलों में नहीं।
2. उन्हें संसद में भाषण देने की स्वतंत्रता है। कोई सदस्य संसद या इसकी समिति में दिए गए वक्तव्य या मत के लिए किसी भी न्यायालय की किसी भी कार्यवाही के लिए जिम्मेदार नहीं है।
- यह स्वतंत्रता, संविधान के प्रावधान तथा संसद की कार्यवाही के नियम एवं स्थायी आदेश के संचालन से संबंधित है।
3. वे न्याय निर्णयन सेवा से मुक्त हैं, संसद के सत्र में होने के दौरान वे किसी न्यायालय में लंबित मुकदमे में प्रमाण प्रस्तुत करने या उपस्थिति होने के लिए मना कर सकते हैं।
अनुच्छेद 194
जिस प्रकार से संसद सदस्य को लोकसभा और राज्यसभा में बोलने का अधिकार प्राप्त है अनुच्छेद 194 के अंतर्गत वैसे ही अधिकार सभी राज्य विधानमण्डलों के सदस्य को भी प्राप्त हैं।
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