(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, खादी और ग्रामोद्योग आयोग (के.वी.आई.सी.) ने पहली बार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के बाहर पश्मीना ऊन के प्रसंस्करण और सम्बंधित उत्पादों के लिये उत्तर प्रदेश के चार खादी संस्थानों को अनुबंधित किया है।
उत्पादन
- पश्मीना ऊन को लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र में समुद्र तल से 15,000 फीट की ऊँचाई पर पाई जाने वाली चांगथांगी बकरी से प्राप्त किया जाता है।
- लेह-लद्दाख स्थित कुछ छोटी इकाइयाँ पश्मीना उत्पादों के निर्माण के लिये केवल 500 किलोग्राम (0.5 मीट्रिक टन) ऊन का ही प्रयोग कर पाती हैं, फलतः लद्दाख में पश्मीना उद्योग में पर्याप्त रोज़गार सृजन नहीं हो पा रहा है।
लद्दाख से बाहर पश्मीना उत्पादों का उत्पादन
- के.वी.आई.सी. ने ‘कृषक ग्रामोद्योग विकास संस्थान, वाराणसी’; ‘श्री महादेव खादी ग्रामोद्योग संस्थान, गाजीपुर’; ‘खादी कंबल उद्योग संस्थान, गाजीपुर’ और ‘ग्राम सेवा आश्रम, गाजीपुर’ को पश्मीना उत्पादन के लिये चुना है।
- लद्दाख के बाहर पश्मीना उत्पादन के लिये वहाँ के शिल्पकारों की माँग के कारण लद्दाख के स्थानीय लोगों के लिये रोज़गार सृजन के साथ-साथ इस शिल्पकला के संरक्षण को भी बल मिलेगा।