हाल ही में, असम के सिल्चर में मछली बाज़ार से कछुए की एक संवेदनशील प्रजाति ‘पीकॉक सॉफ्ट-शेल्ड टर्टल’ को बचाया गया है, जिसका वैज्ञानिक नाम ‘निल्सोनिया ह्यूरम’ (Nilssonia hurum) है।
यह प्रजाति केवल भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में ही पाई जाती है। यह प्रजाति अधिकांशतः भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी और मध्य भागों में मिलती है, जो नदी, नालों, झीलों तथा तालाबों में रहती है।
इसका मांस और कैलीपी (कछुए के कवच के निचले हिस्से में पाया जाने वाला पीले रंग का एक जैलीयुक्त पदार्थ) के लिये इसका शिकार और तस्करी की जाती है।
यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची – 1 में तथा आई.यू.सी.एन. की रेड लिस्ट में संवेदनशील (Vulnerable) श्रेणी में शामिल है।
ध्यातव्य है कि जल प्रदूषण, नदी परिवहन में वृद्धि तथा रेत खनन के कारण गंगा नदी में कछुओं की संख्या में निरंतर गिरावट आ रही है।