प्रारंभिक परीक्षा के लिए - अनुच्छेद 19(1)(बी) मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - शासन व्यवस्था, न्यायपालिका |
सन्दर्भ
- पिछले कुछ समय से देश के कुछ पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।
सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शन के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
- वर्ष 2019 -20 में शाहीन बाग़ में कई महीनों तक प्रदर्शनकारियों ने नागरिकता संसोधन क़ानून को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था।
- इस प्रदर्शन के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी।
- याचिका पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सार्वजनिक जगहों को अनिश्चित समय के लिए विरोध-प्रदर्शनों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
- सर्वोच्च अदालत के अनुसार, कोई भी व्यक्ति विरोध प्रदर्शन के मक़सद से किसी सार्वजनिक स्थान या रास्ते को रोक नहीं सकता।
- विरोध-प्रदर्शन के अधिकार और लोगों के आवागमन के अधिकार (अनुच्छेद 19(1)(e)) के बीच संतुलन होना चाहिए।
- विरोध-प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से किया जा सकता है, लेकिन विरोध-प्रदर्शन का अधिकार निरंकुशता पूर्ण नहीं है।
- अदालत ने ये भी स्पष्ट किया कि सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चितकाल के लिए इस तरह धरना या प्रर्दशन स्वीकार्य नहीं है और ऐसे मामलों में सम्बन्धित अधिकारियों को इससे निपटना चाहिए।
अनुच्छेद 19(1)(बी)
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(बी) शांतिपूर्वक और बिना हथियारों के एकत्र होने का अधिकार प्रदान करता है।
- इसमें जनसभाएं करने, भूख हड़ताल करने और जुलूस निकालने का अधिकार शामिल है।
- हालाँकि, सभा शांतिपूर्ण और हथियारों के बिना होनी चाहिए।
- अनुच्छेद 19(1)(बी) के अंतर्गत सरकारी परिसर या दूसरों की निजी संपत्ति पर सभा आयोजित करने का कोई अधिकार नहीं है।
- अनुच्छेद 19 के खंड 3 के अनुसार, अनुच्छेद 19(1)(बी) को निम्नलिखित आधारों पर प्रतिबंधित किया जा सकता है -
- भारत की संप्रभुता और अखंडता के हित में।
- लोक व्यवस्था के हित में।