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आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण वार्षिक रिपोर्ट

(मुख्य परीक्षा – सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।)

संदर्भ

हाल ही में, श्रम ब्यूरो द्वारा जुलाई 2023 से जून 2024 तक के लिए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) की 7वीं वार्षिक रिपोर्ट जारी की गई।

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण

  • राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) श्रमबल आंकड़ों की समय समय पर लगातार उपलब्धता के महत्व पर विचार करते हुए वर्ष 2017 से आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (PLFS) करता आ रहा है।
    • यह सर्वेक्षण भारत में रोजगार एवं बेरोजगारी की स्थिति पर आंकड़ों का प्राथमिक स्रोत है। 
    • इन आंकड़ों का उपयोग योजना, नीति निर्माण, निर्णय समर्थन और सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए सरकार के विविध विभागों, मंत्रालयों, अन्य संगठनों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और विद्वानों द्वारा किया जाता है।
  • PLFS के मुख्यतः दो उद्देश्य हैं :
    • शहरी क्षेत्रों के लिए तीन महीने के छोटे समय अंतराल में केवल ‘वर्तमान साप्ताहिक स्थिति’ (Current Weekly Status) में प्रमुख रोजगार और बेरोजगारी संकेतकों का अनुमान लगाना। 
    • ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में वार्षिक रूप से ‘सामान्य स्थिति’ और सीडब्ल्यूएस दोनों में रोजगार और बेरोजगारी संकेतकों का अनुमान लगाना।
  • PLFS में शामिल किए जाने वाले संकेतक
    • श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) : जनसंख्या में नियोजित व्यक्तियों का प्रतिशत।
    • श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) : जनसंख्या में श्रम बल में शामिल व्यक्तियों (काम करने वाले, काम की तलाश करने वाले या काम के लिए उपलब्ध) का प्रतिशत।
    • बेरोज़गारी दर (UR): श्रम बल में शामिल व्यक्तियों में बेरोज़गार व्यक्तियों का प्रतिशत।

वार्षिक PLFS के मुख्य निष्कर्ष

  • बेरोज़गारी दर : कुल बेरोजगारी दर (UR) विगत वर्ष के समान 3.2% पर बनी हुई है। विनिर्माण जैसे क्षेत्रों के लिए नौकरी बाजार में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 2017-18 में 5.3% से घटकर 2023-24 में 2.5% हो गई है। 
    • शहरी क्षेत्रों के लिए यह 7.7% से घटकर 5.1% हो गई है।
    • भारत में पुरुषों के लिए बेरोजगारी दर 2017-18 में 6.1% से घटकर 2023-24 में 3.2% हो गया और महिलाओं में यह 5.6% से घटकर 3.2% हो गई।
  • महिला कार्यबल भागीदारी : कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में बढ़ोतरी का सकारात्मक रुझान देखा गया है। महिलाओं की संख्या में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
  • श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) : 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए सामान्य स्थिति में LFPR जुलाई 2023 - जून 2024 के दौरान 60.1% थी।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में, LFPR 2017-18 में 50.7% से बढ़कर 2023-24 में 63.7% हो गई। 
    • इसी अवधि में शहरी क्षेत्रों में यह 47.6% से बढ़कर 52% हो गई।
    • पुरुष और महिला LFPR में वृद्धि : पुरुषों के लिए LFPR 2017-18 में 75.8% से बढ़कर 2023-24 में 78.8% हो गया।
    • महिलाओं के लिए, यह 23.3% से बढ़कर 41.7% हो गया, एक महत्वपूर्ण वृद्धि, जो दर्शाता है कि अधिक महिलाएं कार्यबल में प्रवेश कर रही हैं।
  • कृषि श्रमिकों में वृद्धि : कृषि हिस्सेदारी में श्रमिकों की भागीदारी लगातार चौथे वर्ष बढ़ी है। कृषि में नियोजित श्रमिकों की संख्या में वृद्धि दर्शाता है कि इस क्षेत्र में अधिक लोग काम कर रहे हैं।
    • यह बदलाव यह दर्शाता है कि बहुत से लोग कृषि की ओर लौट रहे हैं, संभवतः इसलिए क्योंकि उन्हें अन्य क्षेत्रों में नौकरियां नहीं मिल पाईं।
  • विभिन्न समुदायों के लिए LFPR : 
    • मुस्लिम महिलाओं के लिए LFPR 2021-22 में 15% से बढ़कर 2023-24 में 21.4% हो गया।
    • इसी अवधि के दौरान हिंदू महिलाओं की भागीदारी 26.1% से बढ़कर 33.3% हो गई।
    • सिख महिलाओं के लिए LFPR 19.8% से बढ़कर 26.7% और ईसाई महिलाओं के लिए 34.2% से बढ़कर 38.3% हो गया।
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