New
The Biggest Holi Offer UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 12 March Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back The Biggest Holi Offer UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 12 March Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back

भारत में दुर्लभ तितलियों की मौजूदगी

(प्रारम्भिक परीक्षा- पर्यावरणीय पारिस्थितिकी और जलवायु परिवर्तन सम्बंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में, भारत में दुर्लभ ‘ब्रांडेड रॉयल तितली’ को 130 वर्षों से अधिक अंतराल के बाद नीलगिरी में देखा गया है।
  • इसको अंतिम बार वर्ष 1888 में ब्रिटिश कीट-विज्ञानशास्री (Entomologist) जी.एफ. हैम्पसन द्वारा रिकॉर्ड किया गया था।
  • इसके अतिरिक्त काले रंग के मखमली पंखों वाली ब्लू मॉर्मन तितली को पटना में देखा गया है, जबकि यह पश्चिमी घाट की एक स्थानिक प्रजाति है।
  • स्पॉटेड एंजल तितली नामक एक अन्य दुर्लभ प्रजाति को छत्तीसगढ़ के आरक्षित वनों में देखा गया है। साथ ही लिलिअक सिल्वरलाइन तितली को पहली बार राजस्थान के अरावली रेंज में देखा गया जोकि केवल बेंगलुरु में पाई जाने वाली एक संरक्षित प्रजाति है।

वास स्थान के प्रति विशिष्टता

  • तितलियाँ वास स्थान के प्रति अत्यंत विशिष्ट व सम्वेदनशील होती हैं, अत: इनके वास स्थान में बदलाव बहुत कम देखा जाता है अर्थात अनुकूल वास स्थान के आभाव में तितलियाँ उस क्षेत्र को छोड़ देती हैं और इसीलिये इन्हें जैव-संकेतक भी माना जाता है।
  • भारत में आमतौर पर तितलियों की उपस्थिति दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत से लेकर मानसून के बाद तक देखी जाती है।

वास स्थान में बदलाव का कारण

  • वास स्थान के बाहर तितलियों का पाया जाना इनके आवास स्थल के विस्तार की ओर संकेत करते हैं। इसका दूसरा कारण महामारी के दौरान अधिक लोगों द्वारा गैर-अन्वेषित आवासों तक पहुँच और घरेलू उद्यानों आदि का अधिक अवलोकन हो सकता है।
  • इसके अतिरिक्त इन तितलियों का पहाड़ी और ऊँचे स्थानों की जगह मैदानी व अपेक्षाकृत कम ऊँचाई पर मिलना जलवायु परिवर्तन का भी द्योतक है।
  • ‘बटरफ्लाई मैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से प्रसिद्ध इसाक केहिमकर के अनुसार, तितलियाँ मौसम व आवास के प्रति सम्वेदनशील होती हैं और जब आवास स्थल प्रदूषित होता है तो वे इसको छोड़ देती हैं।
  • इसके अतिरिक्त आवास स्थलों के संकुचन से भी इनकी आबादी बाह्य क्षेत्रों में दिखाई देने लगी हैं।

अन्य तथ्य

  • विशाखापत्तनम में पहली बार रिकॉर्ड किये गए मार्बल्ड मैप तितली को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-II के तहत संरक्षित किया गया है। यह दुर्लभ प्रजाति सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, झारखंड, भूटान और म्यांमार के पहाड़ी जंगलों तक सीमित है।
  • ‘भूटान ग्लोरी’ भी एक संकटापन्न प्रजाति है और इसे भी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित किया गया है। विदित है कि मालाबार बैंडेड पीकॉक दक्षिण भारत की एक स्थानिक तितली है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X