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असमिया परंपराओं मोह जुज और बुलबुल की लड़ाई पर प्रतिबंध के लिए याचिका

प्रारंभिक परीक्षा- मोह जुज, बुलबुल की लड़ाई, PETA, PETA इंडिया, बिहू, जल्लीकट्टू, कंबाला
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-1, भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप

संदर्भ-

हाल ही में ‘माघ बिहू’ के दौरान भैंस (मोह जुज) और बुलबुल की लड़ाई की पारंपरिक प्रथाओं को पुनर्जीवित करने की असम सरकार की कोशिश को PETA इंडिया ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय में कानूनी चुनौती दी है।

मुख्य बिंदु-

  • गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने PETA इंडिया की याचिकाओं को स्वीकार कर लिया है।
  • ये परम्पराएं ‘माघ बिहू’ से जुड़ी लोक संस्कृति का हिस्सा हैं।
  • ‘माघ बिहू’ असम का शीतकालीन फसल उत्सव है।
  • इसे प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में मनाया जाता है।
  • इसी समय देश के अन्य हिस्सों में मकर संक्रांति, पोंगल और लोहड़ी जैसे फसल उत्सव मनाये जाते हैं।

मोह जुज और बुलबुल की लड़ाई की परंपरा -

  • मोह जुज बहुत पुरानी प्रथा है।
  • इसमें भैंसों को आपस में लड़ाया जाता है।
  • अहोम शासकों द्वारा इसे बहुत धूमधाम मनाया जाता था।
  • ‘माघ बिहू’ के दौरान असम के विभिन्न हिस्सों में इसका आयोजन किया जाता है।

Moh-Juj

  • यह असम की लोक संस्कृति और परंपरा से जुड़ी होने के साथ ही धर्म से भी जुड़ी है।
  • लड़ाईयां दीपक (साकी)जलाकर और भगवान विष्णु को प्रसाद (ज़ोराय) चढ़ाकर आयोजित की जाती हैं।
  • इसके आयोजन का सबसे बड़ा केंद्र असम के नागांव जिले का अहातगुरी है। 
  • अहतगुरी में दशकों से इसका आयोजन ‘स्थानीय मोह-जूज अरु भोगली उत्सव उद्जापन समिति’ (Ahatguri Anchalik Moh-jooj aru Bhogali Utsav Udjapan Samiti) द्वारा किया जाता है।गुवाहाटी से लगभग 30 किमी दूर हाजो में हयाग्रीव माधब मंदिर में बुलबुल की लड़ाई भी आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र है।

Nightingale

PETA की याचिका-

  • PETA इंडिया ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के समक्ष दो याचिकाएं दायर की हैं, जिसमें मोह जुज और बुलबुल की लड़ाई पर रोक लगाने की मांग की गई है।
  • PETA इंडिया ने कार्यवाही के दौरान ऐसे किसी भी कार्यक्रम को रोकने के लिए अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की  है।
  • याचिकाओं में PETA इंडिया ने कहा कि उसने वर्ष, 2024 में अहातगुरी और हाजो दोनों में हुई कार्यक्रमों की जांच की। 
  • PETA इंडिया के अनुसार, अहतगुरी में भैंसों को लड़ने के लिए उत्तेजित करने के लिए उनके मालिकों ने उन्हें मारा, धक्का दिया, उन पर लकड़ी के डंडों से वार किया। 
  • लड़ाई के कारण कई भैंसों के शरीर पर चोटें आई थीं।
  • हाजो में हुए कार्यक्रम के संबंध में PETA इंडिया ने कहा कि बुलबुलों को अवैध रूप से पकड़ा गया और भोजन के लिए लड़ने की उनकी स्वाभाविक प्रवृत्ति के विरुद्ध उन्हें उत्तेजित किया गया।
  • 1 फरवरी, 2024 को कोर्ट ने याचिकाकर्ता की एक अंतरिम याचिका पर सुनवाई की- 
    • इस याचिका में कहा गया था कि 4 फरवरी, 2024 को नागांव जिले में मोह जुज आयोजित होने वाला था।
    • यह  सरकार के दिशानिर्देशों में निर्धारित अवधि के बाहर है।
    • कोर्ट ने कहा कि 25 जनवरी के बाद भैंसों की लड़ाई का आयोजन करना प्रथम दृष्टया सरकार की अधिसूचना का उल्लंघन है। 
    • याचिकाकर्ताओं को घटना के विवरण के बारे में संबंधित जिला प्रशासन को सूचित करना चाहिए।
    • सूचित करने के बाद SOP के अनुरूप कार्यक्रम को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

PETA

    • पेटा एक संगठन है, जो जानवरों के अधिकारों की रक्षा करता है। 
    • यह एक गैर-लाभकारी संस्थान है।
    • इसका पूरा नाम People for the Ethical Treatment of Animals है।
    • इसे इनग्रिड न्यूकिर्क और एलेक्स पचेको द्वारा 22 मार्च 1980 में गठित किया गया था।
    • इसका मुख्यालय अमेरिका के वर्जिनिया में स्थित नॉफ़ल्क में है।
    • PETA इंडिया का गठन वर्ष, 2000 में किया गया। 
  • इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है। 
  • PETA का स्लोगन -पशु हमारे खाने, प्रयोग करने, मनोरंजन करने और किसी भी प्रकार का दुरूपयोग करने के लिए नहीं है।

बिहू

  • यह असम का प्रमुख त्योहार है। 
  • इसे वर्ष में तीन बार मनाया जाता है- रोंगाली बिहू , काती बिहू और माघ बिहू।  

1. रोंगाली बिहू- 

  • रोंगाली बिहू या बोहाग बिहू असम में नव वर्ष (हर साल 14 अप्रैल) की शुरुआत को संदर्भित करता है।

यह बीज बोने के समय का आगमन है। 

2. काती बिहू

  • काती बिहू  या  कोंगाली बिहू मध्य अक्टूबर में शरदकालीन 'विषुव' के समय मनाया जाता है। 
  • काती बिहू बुआई के मौसम के पूरा होने का प्रतीक है। 
  • लहलहाते धान के खेतों में साकी (मिट्टी के दीपक) जलाए जाते हैं और प्रार्थना की जाती है, कि किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली फसल सुनिश्चित हो।

 3. माघ बिहू  

  • माघ बिहू  या  भोगाली बिहू मध्य जनवरी में मनाया जाता है। 
  • यह फसल कटाई का प्रतीक है। 
  • यह तब मनाई जाती है; जब फसलें कट जाती हैं, खेत खाली हो जाते हैं और भोरल (खलिहान) भर जाते हैं। 

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय-

  • सुप्रीम कोर्ट के वर्ष, 2014 के फैसले के बाद इस प्रकार की परंपराओं को बंद कर दिया गया था।
  • इस फैसले के बाद तमिलनाडु, महाराष्ट्र या देश में कहीं भी जानवरों की लड़ाई के आयोजनों और बैलगाड़ी दौड़ में बैल के प्रयोग पर रोक लगा दी गई थी।
  • न्यायालय ने ‘भारतीय पशु कल्याण बोर्ड’ (AWBI) को यह यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया था कि; 
    • "जानवर का मालिक किसी जानवर को किसी इंसान या किसी अन्य जानवर से लड़ने के लिए नहीं प्रेरित नहीं करेगा।" 
  • जनवरी, 2015 में AWBI ने असम सरकार को पत्र लिखकर बिहू उत्सव के दौरान आयोजित होने वाले जानवरों और पक्षियों की लड़ाई को रोकने को कहा।
  •  AWBI के इस पत्र के बाद असम सरकार ने जिला प्रशासन को इसे रोकने का निर्देश दिया।
  • निषेध के बाद भी कुछ क्षेत्रों में भैंसों की लड़ाई जारी रही और ‘हयाग्रीव माधब मंदिर’ के प्रबंधन ने AWBI के आदेश को गुवाहाटी उच्च न्यायालय में चुनौती दी।

असम सरकार द्वारा ‘मानक संचालन प्रक्रिया’ (SOP) जारी-

  • सुप्रीम कोर्ट ने मई 2021 में अपने वर्ष 2014 के निर्णय को रद्द कर दिया। 
  • सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू , कंबाला और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने के लिए ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम,1960 में तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकारों द्वारा किए गए संशोधनों को अनुमति दी। 
  • सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय बाद असम सरकार ने क्रूरता के बिना भैंस और बुलबुल की लड़ाई के विनियमित आचरण के लिए SOP तैयार करने को मंजूरी दे दी। 
  • SOP में कहा गया कि, 
    • लड़ाई की अनुमति केवल उन जगहों पर दी जाएगी जहां वे पिछले 25 वर्षों से पारंपरिक रूप से आयोजित की जाती रही हैं।
    • ‘मोह जुज’ का आयोजन केवल 15 जनवरी से 25 जनवरी के बीच होगा। 
    • ‘मोह जुज’ पर दिशानिर्देश मानव द्वारा जानवरों को पहुंचाई गई चोटों पर रोक लगाते हैं।
    • ये दिशानिर्देश जानवरों को नशीली या उत्तेजित करने वाली दवाओं के साथ-तीव्र उपकरणों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाते हैं। 
    • बुलबुल की लड़ाई के लिए जारी SOP के तहत आयोजकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि खेल के अंत में पक्षियों को सही स्थिति में खुले में छोड़ा जाए। 
    • इन शर्तों का उल्लंघन करने वाले किसी भी संगठन को अगले पांच वर्षों के लिए प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा।
  • अनेक वर्षों के अंतराल के बाद वर्ष, 2022 में ये कार्यक्रम पुनः प्रारंभ किए गए।

जल्लीकट्टू

  • जल्लीकट्टू तमिलनाडु का एक पारंपरिक खेल है।
  • इस खेल में लोगों की भीड़ में एक साँड को छोड़ दिया जाता है। 
  • खेल के प्रतिभागी साँड के कूबड़ को पकड़ने और यथासंभव लंबे समय तक सवारी करने या इसे नियंत्रण में लाने का प्रयास करते हैं।
  • इसे जनवरी में तमिल फसल उत्सव ‘पोंगल’ के अवसर पर खेला जाता है।

कंबाला

  • कंबाला कर्नाटक का एक पारंपरिक उत्सव है। 
  • यह नवंबर में शुरू होता है और दक्षिण कन्नड़ में मार्च तक मनाया जाता है।
  • कंबाला 'कम्पा-काला' शब्द से लिया गया है।
    • 'कम्पा' शब्द का अर्थ गंदा या मैला है और ‘काला’ का तात्पर्य मैदान से है।
  • यह भगवान शिव के अवतार भगवान कादरी मंजुनाथ को समर्पित है।
  • इस खेल में भैसों को प्रशिक्षित किया जाता है, जिनका उपयोग दौड़ में किया जाता है।
  • दौड़ कार्यक्रम कृषक समुदाय के लिए मनोरंजन का एक रूप है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- जल्लीकट्टू के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. यह केरल का एक पारंपरिक खेल है।
  2. इस खेल में लोगों की भीड़ में एक साँड को छोड़ दिया जाता है। 
  3. खेल के प्रतिभागी साँड को नियंत्रण में लाने का प्रयास करते हैं।
  4. इसे अक्टूबर महीने में खेला जाता है।

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 3 और 4

(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर- (b)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- असम के पारंपरिक खेल मोह जुज और बुलबुल की लड़ाई की लड़ाई के लिए असम सरकार द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया की विवेचना करते हुए इन खेलों के प्रति पेटा इंडिया की प्रतिक्रिया स्पष्ट करें।

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