(प्रारंभिक परीक्षा : सरकारी योजनाओं से संबंधित प्रश्न,मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्यनन प्रश्नपत्र 2 – स्वास्थ्य से संबंधित सामजिक सामाजिक क्षेत्र के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)
संदर्भ
- स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने बेंगलुरु से ‘संवाद’ कार्यक्रम के दूसरे चरण का शुभारंभ किया।
- संवाद एक राष्ट्रीय पहल और एकीकृत संसाधन है, जो बाल संरक्षण, मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक देखभाल के लिये कार्य करता है।
प्रमुख बिंदु
- संवाद, कमज़ोर परिस्थितियों में बच्चों के लिये समर्थन, सहायता एवं मानसिक स्वास्थ्य उपायों और संकट निवारण (SAMVAD) कार्यक्रम है।
- इस कार्यक्रम का नेतृत्व राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS) द्वारा किया जाता है।
- इसका वित्त पोषण महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा किया गया है।
- इस पहल के अंतर्गत गोद लेने के संदर्भ में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य सहायता, सुरक्षा तथा देखभाल प्रदान करना।
- यह पहल बाल संरक्षण कार्यकर्त्ताओं, टेली-परामर्शदाताओं, शिक्षकों, कानूनी पेशेवरों सहित करीब 1 लाख हितधारकों को प्रशिक्षित कर संकटग्रस्त बच्चों के लिये सहायता तंत्र प्रदान कर रही है।
- संवाद ‘पंचायती राज प्रणाली’ के साथ बाल संरक्षण और मानसिक स्वास्थ्य को एकीकृत करने तथा जागरूकता उत्पन्न करने व ज़मीनी स्तर पर सेवा वितरण में सुधार के लिये देश भर के आकांक्षी ज़िलों में काम प्रारंभ करने हेतु तैयार है।
मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP)
- मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानसिक विकारों के अत्यधिक दबाव और योग्य पेशेवरों की कमी को दूर करने के लिये भारत सरकार द्वारा वर्ष 1982 से ‘राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ (NMHP) को क्रियान्वित किया जा रहा है।
- इस कार्यक्रम में वर्ष 1996 में ‘जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ जोड़ा गया था।
- वर्ष 2003 में, इस कार्यक्रम की रणनीति को पुनः निर्धारित कर इसके अंतर्गत दो पहलों को शामिल किया गया:
- राज्य मानसिक अस्पतालों का आधुनिकीकरण करना।
- मेडिकल कॉलेजों/सामान्य अस्पतालों के मनोरोग विंग का उन्नयन।
- साथ ही, वर्ष 2009 में जनशक्ति विकास योजना को भी इसका हिस्सा बनाया गया।
- मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम (MHCA) 2017
- यह मानसिक विकास से प्रभावित प्रत्येक व्यक्ति को सरकार द्वारा संचालित या वित्तपोषित सेवाओं से मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और उपचार तक पहुँच की गारंटी देता है।
- इस अधिनियम ने आई.पी.सी. की धारा 309 के उपयोग के दायरे को काफी कम कर दिया है और आत्महत्या करने के प्रयास को केवल एक अपवाद के रूप में दंडनीय बना दिया है।
- इस अधिनियम को ‘विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन’ की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये वर्ष 2018 में लागू किया गया था।
- विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को भारत ने वर्ष 2007 में अनुमोदित किया।
अन्य पहलें
- किरण
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने चिंता, तनाव, अवसाद, आत्महत्या का विचार और अन्य मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं का सामना कर रहे लोगों को सहायता प्रदान करने के लिये 24×7 टोल-फ्री हेल्पलाइन शुरू की है।
- यह ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत शिक्षा मंत्रालय की एक पहल है।
- इसका उद्देश्य कोविड-19 महामारी के दौरान छात्रों, परिवार के सदस्यों और शिक्षकों को उनके मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिये मनोसामाजिक सहायता प्रदान करना है।