प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-2 |
संदर्भ-
- प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चार साल (2023 से आगे) के लिए केंद्रीय योजना के रूप में ई-कोर्ट प्रोजेक्ट चरण- III को 13 सितंबर 2023 को मंजूरी दे दी है।
मुख्य बिंदु-
- निचली न्यायपालिका के डिजिटल बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण को मंजूरी दी गई है।
- ‘राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना’ के हिस्से के रूप में, भारतीय न्यायपालिका के आईसीटी(सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) सक्षमता के लिए ‘ई-कोर्ट परियोजना’ 2007 से कार्यान्वित है, जिसका दूसरा चरण 2023 में समाप्त हुआ।
- ई-कोर्ट परियोजना का तीसरा चरण "पहुंच और समावेशन" के दर्शन पर आधारित है ।
- परियोजना के चरण- III में ₹2,038.40 करोड़ की अनुमानित लागत पर विरासत(legacy) और लंबित दोनों मामलों के पूरे अदालती रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया जाएगा।
- केंद्र प्रायोजित ई-कोर्ट चरण III योजना न्याय विभाग, कानून और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार तथा ई-कमेटी, सुप्रीम कोर्ट की संयुक्त साझेदारी के तहत संबंधित उच्च न्यायालयों के माध्यम से विकेन्द्रीकृत तरीके से न्यायिक विकास के लिए कार्यान्वित की जा रही है।
- यह ऐसी प्रणाली प्रदान करेगी, जो सभी हितधारकों के लिए प्रणाली को अधिक सुलभ, किफायती, विश्वसनीय, पूर्वानुमानित और पारदर्शी बनाकर न्याय में आसानी को बढ़ावा देगी।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार,“ई-कोर्ट प्रोजेक्ट चरण-III को कैबिनेट की मंजूरी के साथ, हम भारत में न्याय वितरण के एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं। उन्नत प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने से हमारी न्यायिक प्रणाली अधिक सुलभ और पारदर्शी हो जाएगी”
- सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ का कहना है कि ई-कोर्ट परियोजना के लिए 'भारी बजट' निचली अदालतों को तकनीक-अनुकूल बनाने में मदद करेगा।
- सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के अनुसार,प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के "सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास" के दृष्टिकोण के अनुरूप ई-कोर्ट मिशन मोड परियोजना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके न्याय तक पहुंच में सुधार के लिए एक प्रमुख प्रस्ताव है।
उद्देश्य-
- चरण- I और चरण- II के लाभों को अगले स्तर पर ले जाते हुए, ई-कोर्ट चरण- III का उद्देश्य संपूर्ण न्यायालयी रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के माध्यम से डिजिटल, ऑनलाइन और पेपरलेस अदालतों की ओर बढ़ते हुए न्याय की आसान व्यवस्था शुरू करना है।
- इसमें विरासत रिकॉर्ड(legacy records) को शामिल करना और सभी अदालत परिसरों को ई-सेवा केंद्रों से पूर्ण करके ई-फाइलिंग/ई-भुगतान का सार्वभौमिकरण करना है।
- यह मामलों को शेड्यूल या प्राथमिकता देते समय न्यायाधीशों और रजिस्ट्रार के लिए डेटा-आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए इंटलीजेंट स्मार्ट सिस्टम स्थापित करेगा।
- चरण-III का मुख्य उद्देश्य न्यायपालिका के लिए एक एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच बनाना है; जो अदालतों, वादियों और अन्य हितधारकों के बीच एक सहज और कागज रहित इंटरफ़ेस प्रदान करेगा।
ई-कोर्ट प्रोजेक्ट चरण- III के घटक-
- चरण- III के भाग के रूप में सिस्टम को क्लाउड तकनीक में स्थानांतरित किया जाएगा और 25 पेटाबाइट (मौजूदा आवश्यकताओं के अनुसार) क्लाउड स्टोरेज प्रदान करने की अनुमानित लागत ₹1,205.20 करोड़ है।
- राज्य सरकारों, केंद्र और 25 उच्च न्यायालयों के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिसके तहत उपकरणों के रखरखाव और प्रतिस्थापन की जिम्मेदारी संबंधित राज्यों की होगी, जबकि धन और आवश्यक हार्डवेयर केंद्र द्वारा प्रदान किया जाएगा।
- यह परियोजना एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण करके मामलों की सुनवाई के लिए आभासी अदालतों को स्थापित और विस्तारित करने का भी प्रयास करती है। सूत्रों के अनुसार 1,150 आभासी अदालतों की स्थापना के लिए 413.08 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है।
- इस परियोजना में अदालतों, जेलों, पुलिस स्टेशनों और फोरेंसिक प्रयोगशालाओं जैसे कर्तव्य धारकों(duty holders) को इंटर ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) के साथ एकीकरण करना शामिल है।आईसीजेएस के सफल कार्यान्वयन के लिए अनुमानित लागत ₹11.7 करोड़ है।
योजना से अपेक्षित परिणाम-
- जिन नागरिकों की प्रौद्योगिकी तक पहुंच नहीं है, वे ई-सेवा केंद्रों से न्यायिक सेवाओं तक पहुंच सकते हैं। इस प्रकार डिजिटल विभाजन को समाप्त किया जा सकता है।
- अदालती रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण परियोजना में अन्य सभी डिजिटल सेवाओं की नींव रखता है। यह कागज-आधारित फाइलिंग को कम करके और दस्तावेजों की भौतिक आवाजाही को कम करके प्रक्रियाओं को अधिक पर्यावरण अनुकूल बनाने में सक्षम बनाता है।
- अदालती कार्यवाही में आभासी भागीदारी से अदालती कार्यवाही से जुड़ी लागत कम हो जाती है, जैसे- गवाहों, न्यायाधीशों और अन्य हितधारकों के लिए यात्रा व्यय।
- कहीं से भी, कभी भी अदालती फीस, जुर्माना और जुर्मानों का भुगतान किया जा सकता है।
- दस्तावेज़ दाखिल करने में लगने वाले समय और मेहनत को कम करने के लिए ई-फ़ाइलिंग का विस्तार किया जाएगा। इससे मानवीय त्रुटियां कम होंगी क्योंकि दस्तावेजों की स्वचालित रूप से जांच हो जाती है और आगे कागज आधारित रिकॉर्ड को भी रोका जा सकता है।
- "स्मार्ट" पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करके एक सहज अनुभव प्रदान करने के लिए एएल और उसके सबसेट मशीन लर्निंग (एमएल), ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (ओसीआर), नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (एनएलपी) जैसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
- रजिस्ट्रियों में कम डेटा प्रविष्टि और न्यूनतम फ़ाइल जांच होगी जिससे बेहतर निर्णय लेने और नीति नियोजन में सुविधा होगी।
- इसमें स्मार्ट शेड्यूलिंग, इंटलीजेंट प्रणाली की परिकल्पना की गई है जो न्यायाधीशों और रजिस्ट्रारों को डेटा-आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाती है और न्यायाधीशों तथा वकीलों की क्षमता के प्रभावी और अधिकतम उपयोग की अनुमति देती है।
- यातायात उल्लंघन के मामलों में आभासी अदालतों का विस्तार, जिससे अदालत में वादी या वकील के उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होगी।
- अदालती कार्यवाही में सटीकता और पारदर्शिता बढ़ेगी।
- एनएसटीईपी (नेशनल सर्विंग एंड ट्रैकिंग ऑफ इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेसेज) का और विस्तार करके अदालती समन की स्वचालित डिलीवरी पर जोर दिया गया है, जिससे परीक्षणों में देरी में काफी कमी आएगी।
- अदालती प्रक्रियाओं में उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग उन्हें अधिक कुशल और प्रभावी बना देगा, जिससे लंबित मामलों को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- ई-कोर्ट प्रोजेक्ट चरण- III के अंतर्गत किन मामलों के अदालती रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया जाएगा?
- विरासती
- लंबित
- a और b दोनों
- कोई नहीं
उत्तर - (c)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- ई-कोर्ट प्रोजेक्ट चरण- III के बारे में बताते हुए स्पष्ट करें कि अदालती प्रक्रियाओं में उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग उन्हें अधिक कुशल और प्रभावी बनाएगा।
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