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बैटरी में फॉस्फोरस का उपयोग और खाद्य बनाम कार की दुविधा

प्रारंभिक परीक्षा

(सामान्य विज्ञान)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव, कृषि से संबंधित विषय और बाधाएँ)

संदर्भ 

इथेनॉल एवं बायोडीजल उत्पादन के लिए गन्ना, चावल, मक्का, पाम या सोयाबीन तेल के संदर्भ में ‘खाद्य बनाम ईंधन’ की बहस व्यापक है। वर्तमान में इसके बाद ‘खाद्य बनाम कार' की दुविधा उभर रही है क्योंकि विद्युत वाहनों की बैटरी बनाने के लिए उपयोग किया जाने वाला फॉस्फोरिक एसिड भारतीय कृषि के लिए चिंता का विषय बन सकता है। 

‘खाद्य बनाम कार’ की उभरती दुविधा का कारण  

  • इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बैटरी उत्पादन में प्रमुख घटक के रूप में फॉस्फोरिक एसिड का उपयोग किया जाता है। हालाँकि, फॉस्फोरिक एसिड, डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) उर्वरक का भी प्रमुख घटक है।
  • भारत के कृषि क्षेत्र में यूरिया के बाद DAP का ही सर्वाधिक उपयोग किया जाता है और भारत पोषक तत्वों (उर्वरकों) के अत्यधिक आयात पर निर्भर है  
  • DAP में 46% फॉस्फोरस (P) होता है। फसल की जड़ों एवं टहनियों के विकास के शुरुआती चरणों इस पोषक तत्व की आवश्यकता होती है। 
    • ‘फॉस्फोरस’ फॉस्फोरिक एसिड से प्राप्त होता है, जिसे फॉस्फेट शैल अयस्क से सल्फ्यूरिक एसिड के साथ प्रतिक्रिया करके निर्मित किया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त फॉस्फोरिक एसिड लिथियम-आयरन-फॉस्फेट (LFP) बैटरियों में ‘फॉस्फोरस’ का भी स्रोत है। वर्ष 2023 में वैश्विक EV क्षमता की मांग का 40% से अधिक हिस्सा लिथियम-आयरन-फॉस्फेट (LFP) बैटरियों से पूरा किया गया। इससे पूर्व सामान्य निकल-आधारित ‘NMC’ (Lithium Nickel Manganese Cobalt Oxide) एवं ‘NCA’ (Lithium Nickel Cobalt Aluminum Oxide) बैटरियों का प्रयोग अधिक किया जाता था। 
    • LFP, NMC एवं NCA तीनों ही लिथियम आयन बैटरियां हैं। LFP बैटरी में कैथोड या धनात्मक इलेक्ट्रोड के लिए कच्चे माल के रूप में आयरन फॉस्फेट का उपयोग किया जाता है जबकि NMC एवं NCA में अधिक महंगे निकल, मैंगनीज, कोबाल्ट व एल्यूमीनियम ऑक्साइड का उपयोग किया जाता है।

भारत के लिए निहितार्थ

  • भारत में प्रतिवर्ष 10.5-11 मिलियन टन डी.ए.पी. की खपत होती है। इसका आधे से अधिक हिस्सा चीन, सऊदी अरब, मोरक्को, रूस एवं अन्य देशों से आयात किया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त, भारत डी.ए.पी. तथा अन्य फॉस्फोरस-युक्त उर्वरकों के घरेलू उत्पादन के लिए फॉस्फोरिक एसिड (मुख्यत: जॉर्डन, मोरक्को, सेनेगल एवं ट्यूनीशिया से) और रॉक फॉस्फेट (मोरक्को, टोगो, अल्जीरिया, मिस्र, जॉर्डन एवं यू.ए.ई. से) का आयात करता है।
  • जिस प्रकार खाद्यान्न, गन्ना एवं वनस्पति तेलों का वैकल्पिक प्रयोग जैव-ईंधन के लिए किया जाने लगा है उसी प्रकार उर्वरकों में प्रयुक्त होने वाला ‘52-54% फॉस्फोरस’ युक्त वाणिज्यिक ग्रेड फॉस्फोरिक एसिड का अनुप्रयोग शोधन के उपरांत EV बैटरियों में कैथोड के लिए कच्चे माल के रूप में किया जाने लगा है। 
  • चीन में इसका प्रयोग पहले से ही हो रहा है, जहाँ वर्ष 2023 में बेची जाने वाली दो-तिहाई ई.वी. में LFP बैटरी का प्रयोग किया गया था। चीन भारत के लिए एक प्रमुख डी.ए.पी. आपूर्तिकर्ता है। यह वर्ष 2023 में मोरक्को एवं रूस के बाद डी.ए.पी. एवं अन्य फॉस्फेटिक उर्वरकों का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा शिपर (Shipper : निर्यातक) भी था। 
  • चीन में एल.एफ.पी. बैटरी के निर्माण में फॉस्फोरिक एसिड का उपयोग बढ़ने से उर्वरकों के निर्माण के लिए इसकी उपलब्धता में कमी आएगी। इन स्थितियों में कार बनाम भोजन की दुविधा उत्पन्न होती है। 

लिथियम-आयरन-फॉस्फेट (Lithium-iron-phosphate) बैटरियों के लाभ 

  • निम्न आर्थिक लागत 
  • दीर्घकाल तक कार्यशीलता (इसे अधिक बार चार्ज किया जा सकता है) 
  • सुरक्षात्मक दृष्टि से बेहतर (ओवरहीटिंग की समस्या में कमी) 
  • निम्न ऊर्जा घनत्व (अर्थात समान मात्रा में ऊर्जा संग्रहित करने के लिए बड़े आकार की आवश्यकता नहीं)

उभरती चुनौतियाँ 

  • दुनिया LFP बैटरियों की मांग बढ़ने से संभावित रूप से फॉस्फेट उर्वरकों की आपूर्ति में कमी आ सकती है। 
    • अप्रैल-अगस्त 2024 के दौरान भारत का डी.ए.पी. आयात 1.59 मीट्रिक टन था जो पिछले वर्ष की इसी अवधि से 51% कम था।
    • इसका मुख्य कारण चीन द्वारा लगाए गए निर्यात प्रतिबंध थे।
  • यद्यपि वर्तमान में चीन एकमात्र ऐसा देश है जो एल.एफ.पी. बैटरियों का उत्पादन बड़े पैमाने पर कर रहा है किंतु मोरक्को ने भी एल.एफ.पी. कैथोड सामग्री एवं ई.वी. बैटरी विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना के लिए निवेश में रुचि ली है।
    • चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा रॉक फॉस्फेट खननकर्ता उत्तरी अफ्रीकी देश ‘मोरक्को’ ही है जहाँ अनुमानतः 50,000 मिलियन टन या लगभग 68% वैश्विक भंडार है।
  • भारत का फॉस्फेट भंडार लगभग 31 मिलियन टन है और वह 1.5 मिलियन टन वार्षिक फॉस्फेट का उत्पादन करता है। भारत उर्वरक आदि पोषक तत्वों की अधिकांश आवश्यकता मोरक्को, रूस एवं सऊदी अरब जैसे देश से पूरी करता है।
  • इस प्रकार, आयात पर अत्यधिक निर्भरता के कारण भारत वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रति संवेदनशील हो जाता है। 

भारत के लिए आगे की राह 

  • किसानों द्वारा DAP के स्थान पर अन्य उर्वरकों के मिश्रण का उपयोग किया जा सकता है। भविष्य में ऐसे उर्वरक उत्पादों पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए जिनमें N, P, K एवं S निम्न मात्रा में हो और पोषक तत्वों की उपयोग दक्षता अधिक हो।
  • दीर्घावधि में भारत को विदेशी संयुक्त उद्यमों और बाय-बैक व्यवस्थाओं के माध्यम से कच्चे माल, विशेष रूप से फॉस्फेट की आपूर्ति सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है। 
  • भारतीय कंपनियों के पास सेनेगल, जॉर्डन, मोरक्को एवं ट्यूनीशिया में फॉस्फोरिक एसिड बनाने वाले चार संयंत्र पहले से ही हैं। संभवतः भविष्य में ऐसे अन्य संयंत्रों की भी आवश्यकता है।
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