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IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

फाइटोरिड टेक्नोलॉजी सीवेज ट्रीटमेंट

प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में, डॉ. हर्षवर्धन ने पुणे के राष्ट्रीय रसायन प्रयोगशाला (NCL) में स्थित फाइटोरिड टेक्नोलॉजी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का उद्घाटन किया।
  • इसका विकास राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI), नागपुर एवं एन.सी.एल. द्वारा किया गया है। यह सीवेज ट्रीटमेंट की पर्यावरण अनुकूल एवं कुशल तकनीक है।
  • इसे एन.ई.ई.आर.आई, नागपुर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट कराया गया है, जो 10 वर्ष से अधिक समय से निरंतर संचालन और सफल प्रदर्शन के साथ सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम के रूप में मौजूद है।
  • एन.सी.एल, एन.ई.ई.आर.आई. की फाइटोरिड तकनीक का उपयोग करने वाली पहली सी.एस.आई.आर. प्रयोगशाला है।

सिद्धांत एवं कार्य-पद्धति

  • फाइटोरिड अपशिष्ट जल की सफाई की एक भरोसेमंद तथा स्व-धारणीय (Self Sustainable) तकनीक है, जो प्राकृतिक आर्द्रभूमि के सिद्धांत पर कार्य करती है। इस प्रकार यह एक उपसतह मिश्रित प्रवाह निर्मित आर्द्रभूमि प्रणाली है।
  • यह तकनीक कुछ विशिष्ट पौधों का उपयोग करती है जोकि अपशिष्ट पानी से पोषक तत्वों को सीधे अवशोषित कर सकते हैं परंतु उन्हें मिट्टी की जरुरत नहीं होती है। ये पौधे पोषक तत्त्व के सिंकर और रिमूवर (Sinker and Remover) के रूप में कार्य करते हैं।

लाभ

  • पारम्परिक प्रक्रियाओं की तुलना में प्राकृतिक प्रणाली पर आधारित अवशिष्ट जल शोधन की यह फाइटोरिड तकनीक शून्य ऊर्जा और शून्य संचालन एवं रख-रखाव की खूबियों से सुसज्जित है।
  • फाइटोरिड तकनीक सफाई की एक प्राकृतिक पद्धति है जिसके द्वारा शोधित किये गये जल को पेयजल समेत विभिन्न प्रयोजनों के लिये उपयोग किया जा सकता है।
  • अवशिष्ट जल शोधन के लिये फाइटोरिड तकनीक द्वारा उपचारित जल का उपयोग बागवानी प्रयोजनों के लिये किया जा सकता है।
  • इससे आने वाले वर्षों में जल-संकट की चुनौती से निपटने में सहायता मिलेगी।
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