प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, इंटरसेक्स व्यक्ति, जनहित याचिका मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-2 (अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिए विधि) |
संदर्भ:
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इंटरसेक्स लिंग परिवर्तन सर्जरी से जुड़ी जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) और अन्य से जवाब मांगा है।

मुख्य बिंदु:
- यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में मदुरै (तमिलनाडु) निवासी गोपी शंकर एम. ने दायर की है।
- इसकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है, जिसमें जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा शामिल हैं।
जनहित याचिका में की गई मांग:
- याचिका में जन्म के समय लिंग परिवर्तन सर्जरी सहित अन्य चिकित्सा कार्यों को विनियमित कर इंटरसेक्स बच्चों के हितों की सुरक्षा के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।
- बच्चों के माता-पिता की सहमति से सेक्स-असाइनमेंट सर्जरी की जा रही है।
- ऐसे चिकित्सा कार्यों को विनियमित करने के लिए कानून बनाने की आवश्यकता है, जिसमें माता-पिता की सहमति से शिशुओं की सर्जरी की जा रही है।
- मद्रास उच्च न्यायालय के एक निर्देश के बाद तमिलनाडु में ऐसी सर्जरी पर तब तक प्रतिबंध लगा दिया गया है जब तक कि बच्चा वयस्क होकर निर्णय लेने में सक्षम न हो जाए।
- दूसरे देशों में इस तरह के चिकित्सा कार्य दंडनीय अपराध हैं।
- वहां यह निर्धारित करने के लिए डॉक्टरों की विशेष टीमें हैं कि;
- क्या लिंग निर्धारण सर्जरी की तत्काल आवश्यकता है।
- या इसके लिए तब तक इंतजार किया जा सकता है जब तक कि बच्चा सहमति देने की आयु तक न पहुंच जाए।
- भारत में इस तरह का कोई कानूनी तंत्र नहीं है।
- सुप्रीम कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की सहायता करने का निर्देश दिया है।
इंटरसेक्स व्यक्ति
- इंटरसेक्स ऐसे व्यक्ति होते हैं जो पुरुष और महिला के जैविक गुणों के संयोजन के साथ पैदा होते हैं।
- ये पुरुष अथवा महिला शरीर की अवधारणाओं के अंतर्गत नहीं आते हैं।
- ऐसे बच्चों को उनके जन्म के बाद से ही भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
- ऐसे बच्चों के लिए ऑनलाइन सरकारी पंजीकरण आवेदनों पर उनके जन्म और मृत्यु विवरण दर्ज करने का कोई विकल्प नहीं है।
जनहित याचिका (Public Interest Litigation- PIL):
- PIL को किसी भी कानून या अधिनियम द्वारा परिभाषित नहीं किया गया है।
- इसकी अवधारणा भारत में न्यायिक समीक्षा की शक्ति से उत्पन्न हुई ।
- वर्ष 1979 में वकील कपिला हिंगोरानी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की;
- इस याचिका के द्वारा 'हुसैनारा खातून' मामले में पटना की जेलों से लगभग 40000 विचाराधीन कैदियों की रिहाई हुई।
- इस सफल मामले के कारण कपिला हिंगोरानी को 'जनहित याचिकाओं की जननी' कहा जाता है।
- न्यायमूर्ति भगवती और न्यायमूर्ति वीआर कृष्णा अय्यर जनहित याचिका स्वीकार करने वाले देश के पहले न्यायाधीश थे।
- इन्होंने जनहित याचिका की अवधारणा को प्रतिपादित किया।
- PIL को व्यक्तिगत हितों की नहीं, बल्कि सामूहिक हितों की रक्षा के लिए कोर्ट में दायर किया जाता है।
- इसे केवल भारत के सुप्रीम कोर्ट (अनु. के तहत 32) या राज्य उच्च न्यायालयों (अनु. 226 के तहत) में ही दायर किया जा सकता है।
- PIL केवल केंद्र सरकार, राज्य सरकार या नगरपालिका के विरूद्ध दायर की जा सकती है, व्यक्तियों के खिलाफ नहीं।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न:
प्रश्न: इंटरसेक्स व्यक्तियों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
- इंटरसेक्स ऐसे व्यक्ति होते हैं जो पुरुष और महिला के जैविक गुणों के संयोजन के साथ पैदा होते हैं।
- ये पुरुष अथवा महिला शरीर की अवधारणाओं के अंतर्गत नहीं आते हैं।
नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर- (c)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न:
प्रश्न: इंटरसेक्स व्यक्ति कौन होते हैं? हाल ही में इनके हितों की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में क्या कहा गया है?
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