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प्लास्टिक चट्टानें : समुद्री पर्यावरण के लिए संकट

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव-विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन, संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं को तमिलनाडु के समुद्री तट पर पहली बार प्लास्टिक की चट्टानें मिली हैं। ये समुद्री जैव विविधता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। 

प्रमुख बिंदु 

  • भारत में पहली बार पायरोप्लास्टिक्स एवं प्लास्टिक्रस्ट  की उपस्थिति के प्रमाण प्राप्त हुए हैं जबकि देश में दूसरी बार प्लास्टिग्लोमेरेट्स के पाए जाने की पुष्टि हुई हैं। 
  • प्लास्टिक युक्त चट्टानों का पाया जाना इस बात का प्रमाण है कि मनुष्यों द्वारा फैलाया गया प्लास्टिक कचरा भूवैज्ञानिक चक्र को भी प्रभवित कर रहा है।

PLASTIC

अध्ययन के निष्कर्ष 

  • शोधकर्ताओं को तमिलनाडु के आसपास प्लास्टिक से बनी 16 प्रकार की हाइब्रिड चट्टानें मिली हैं। ये चट्टानें मृत समुद्री प्रजातियों से ढंकी हुई थी।
  • इनमें प्लास्टिग्लोमेरेट्स, पायरोप्लास्टिक्स एवं प्लास्टिक्रस्ट  चट्टानें शामिल हैं। 
  • ये चट्टानें पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट (PET), पॉलीप्रोपाइलीन, पॉलीविनाइल क्लोराइड, पॉलीएमाइड एवं विभिन्न घनत्व वाले पॉलीइथिलीन जैसी प्लास्टिक सामग्री से निर्मित थी।
  • शोध में प्लास्टिग्लोमेरेट्स चट्टानों पर रेत या प्लास्टिक से भरे बुलबुले और पॉकेट देखे गए जो प्लास्टिक के अवैध दहन या समुद्र तट पर कैम्प फायर के कारण हो सकती हैं।
  • शोध के अनुसार, समुद्र तट पर छोड़े गए प्लेट, कटलरी, पानी की बोतलें, बैग एवं मछली पकड़ने के जाल जैसे डिस्पोजेबल प्लास्टिक पर्यावरण संबंधी समस्याओं में अधिक वृद्धि कर रहे हैं।
  • ये प्लास्टिक युक्त चट्टानें भूवैज्ञानिक चक्र को भी प्रभावित कर रही हैं। प्लास्टिक में 16,000 से अधिक रसायन होते हैं। इनमें से 26% रसायन मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए जोखिम पैदा कर रहे हैं। 

प्लास्टिक कचरे से संबंधित अन्य अध्ययन 

  • कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाईजेशन (CSIRO) और टोरंटो विश्वविद्यालय से संबद्ध एक अन्य अध्ययन के अनुसार, अब तक 110,00,000 टन प्लास्टिक महासागरों में जमा हो चुका है। 
  • शोध के अनुसार, प्रति मिनट एक ट्रक के बराबर प्लास्टिक कचरा समुद्र में समा रहा है जो पर्यावरण एवं जैवविविधता के लिए अत्यधिक गंभीर संकट बन चुका है।
  • आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) द्वारा जारी ‘ग्लोबल प्लास्टिक आउटलुक: पालिसी सिनेरियोज टू 2060’ रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2060 तक प्रतिवर्ष उत्पन्न होने वाला यह प्लास्टिक कचरा करीब तीन गुना बढ़ जाएगा। 

इन्हें भी जानिए!

  • प्लास्टिग्लोमेरेट्स (Plastiglomerates) : ये तलछट, प्राकृतिक सामग्री एवं अन्य मलबे से निर्मित चट्टानें होती हैं, जिन्हें प्लास्टिक एक साथ जोड़े रखता है।
  • यह उन स्थानों पर पाई जाती हैं जहां लोगों ने प्लास्टिक कचरा जलाया हो। प्लास्टिक की बनी ये हाइब्रिड चट्टानें समुद्र तटों या अन्य प्राकृतिक वातावरणों में पाई जा सकती हैं।
  • पायरोप्लास्टिक्स (Pyroplastics) : ये प्लास्टिक के ऐसे टुकड़े होते हैं, जो गर्मी के कारण पिघल जाते हैं या अपना रूप बदल लेते हैं। ये प्राय: जलने से इस प्रकार का रूप ले लेते हैं।
  • प्लास्टिक्रस्ट (Plasticrust) : यह प्लास्टिक प्रदूषण में एक नया शब्द है, जिसका उपयोग प्लास्टिक से बने मलबे के लिए किया जाता है। 
  • यह मलबा शैवाल एवं अन्य समुद्री जीवों से ढक जाता है और समुद्री वातावरण में चट्टानों या अन्य सतहों पर एक परत के रूप में दिखता है।
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