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पीएम धन-धान्य कृषि योजना

(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम, योजना एवं कार्यक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 3: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का प्रतिरूप- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी)

संदर्भ 

केंद्रीय बजट 2025-26 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए ‘पीएम धन-धान्य कृषि योजना’ की घोषणा की। इसके तहत कृषि जिलों का विकास किया जाएगा। 

पीएम धन धान्य कृषि योजना -कृषि जिलों का विकास कार्यक्रम :

  • लक्षित जिले : यह योजना विशेष रूप से निम्न उत्पादकता, फसलों की कम बुआई वाले और औसत से कम ऋण उपलब्धता वाले 100 जिलों को लक्षित करती है।
    • इस कार्यक्रम को मौजूदा योजनाओं एवं विशिष्‍ट उपायों के अभिसरण के माध्‍यम से लागू किया जाएगा। 
  • लाभार्थी : इस कार्यक्रम से लगभग 1.7 करोड़ छोटे एवं सीमांत किसान लाभान्वित होंगे। 
  • अन्य प्रमुख बिंदु : यह योजना भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण के साथ चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी। 
    • यह कार्यक्रम आकांक्षी जिला कार्यक्रम से प्रेरित है जिसे वर्ष 2018 में देश भर के 112 अल्प विकसित जिलों को शीघ्रतापूर्वक व प्रभावी रूप से बदलने के लिए शुरू किया गया था।

पीएम धन धान्य कृषि योजना के प्रमुख उद्देश्य 

  • फसल विवधीकरण : यह बाजार तक पहुँच बढ़ाकर और विविध फसल पैटर्न को बढ़ावा देकर किसानों के लिए बेहतर मूल्य प्राप्ति का समर्थन करती है।
  • टिकाऊ और जलवायु-लचीली खेती: यह पहल उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए जलवायु-विशिष्ट खेती, जल दक्षता और सटीक कृषि को अपनाने के लिए प्रेरित करेगी।
  • किसानों के लिए वित्तीय सहायता: यह योजना आधुनिक उपकरण, गुणवत्ता वाले बीज और उन्नत कृषि तकनीकों को अधिक सुलभ बनाते हुए अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण सहायता प्रदान करेगी।
  • फसल के बाद भंडारण क्षमता को बढ़ाना : यह पहल पंचायत और ब्लॉक स्तरों पर कुशल भंडारण, गोदाम और रसद प्रदान करके फसल के बाद के नुकसान को कम करेगी।
  • सिंचाई सुविधाओं मे सुधार : यह योजना सिंचाई कवरेज को बढ़ाएगी और फसल की तीव्रता और उपज स्थिरता बढ़ाने के लिए कुशल जल-उपयोग प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देगी।
  • प्रौद्योगिकी एकीकरण: यह योजना उत्पादन को अनुकूलित करने के लिए नवीन कृषि उपकरणों को बढ़ावा देती है।
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